अमरावती

पहले नकद डोनेशन, फिर एडमिशन

भारी-भरकम फीस भी तोड रही अभिभावकों की कमर

अमरावती/दि.14- कोविड संक्रमण एवं लॉकडाउन काल के बाद दुबारा शुरू हुई अंग्रेजी माध्यमवाली शालाओं ने अपनी फीस में भारी-भरकम वृध्दि की है. वहीं कुछ नामांकित शालाओें द्वारा वार्षिक फीस के अलावा भारी-भरकम डोनेशन भी लिया जाता है. इसमें भी डोनेशन की रकम नकद स्वरूप में दिये जाने का आग्रह संबंधित शालाओं के व्यवस्थापन द्वारा किया जाता है. ऐसे में अब अंग्रेजी शालाओं की फीस और डोनेशन को भरना सर्वसामान्य वर्ग के अभिभावकों हेतु संभव नहीं रहा. जिसके चलते कई अभिभावक अब अपने बच्चों को मनपा व जिला परिषद की शालाओं में प्रवेश दिला रहे है, ताकि बढती महंगाईवाले इस दौर में उनके बच्चे जैसे-तैसे अपनी पढाई-लिखाई को पूरा कर लें.

* शिक्षकों के साथ ही पालकों की भी लूट
– कोविड संक्रमण काल के दौरान शालाएं बंद रहने की वजह को आगे करते हुए कई शाला संचालकों द्वारा अपने शिक्षकों का वेतन अदा नहीं किया गया, लेकिन उस समय भी अभिभावकोें से उनके बच्चों की शालेय फीस वसूल की गई और उस समय के शुल्क की वसूली अब तक चल रही है.
– अंग्रेजी माध्यमवाली निजी शालाओं में नये सिरे से अपने बच्चों का प्रवेश करवानेवाले अभिभावकों से संबधित शाला प्रबंधन द्वारा विभिन्न शर्तों व मदों के नाम पर डोनेशन की मांग की जा रही है. साथ ही डोनेशन की रकम नकद स्वरूप में देने हेतु कहा जा रहा है, ताकि इसका कोई हिसाब-किताब न रखना पडे.
– कई शालाओें द्वारा विद्यार्थियों के लिए स्कुल बैग, कॉपी-किताब, जुते-मोजे व शालेय गणवेश सहित सभी स्टेशनरी स्कुल के स्टोर से ही लेने का आग्रह किया जाता है. यानी इस जरिये भी अभिभावकों की जेब से पैसा निकाला जाता है.

* 10 हजार से 50 हजार तक फीस और लाख रूपये तक कैश डोनेशन
शहर की अधिकांश शालाओं में 10 से 50 हजार रूपये तक वार्षिक फीस ली जाती है और नई एडमिशन लेनेवाले विद्यार्थियो के अभिभावकों से लाख-डेढ लाख रूपये का कैश डोनेशन भी वसूला जाता है. अपने बच्चों को बेहतरीन दर्जे की शिक्षा मिले, इस बात के मद्देनजर सर्वसामान्य वर्ग के कई अभिभावक जैसे-तैसे पैसों का जुगाड करते हुए इन शालाओं की फीस और डोनेशन की रकम भरते है.

* कोरोना के बाद बढा डोनेशन
कोविड संक्रमण काल से पहले सभी शालाओं का शुल्क काफी कम था. परंतू कोविड काल के दौरान कई अभिभावकों द्वारा शुल्क अदा नहीं किये जाने की वजह से कई शालाओं पर ताले लगाने की नौबत आ गई थी. ऐसे में नये शैक्षणिक सत्र से सभी शालाओें में अपनी फीस के साथ-साथ डोनेशन की रकम में भी वृध्दि कर दी, ताकि पुराने घाटे को भरा जा सके. ऐसी जानकारी भी सामने आयी है.

* डोनेशन देने के अलावा कोई पर्याय नहीं
अपने बच्चोें की अच्छी पढाई-लिखाई के लिए सभी माता-पिता उन्हें बेहतरीन शालाओं में प्रवेश दिलवाना पसंद करते है. परंतू ऐसी कई नामांकित शालाओें में डोनेशन दिये बिना प्रवेश मिलना संभव नहीं होता. जिसके चलते इन शालाओं में मुंहमांगा डोनेशन देने के अलावा अभिभावकोें के सामने अन्य कोई पर्याय भी नहीं रहता.

यदि किसी शाला में बेवजह ही अनाप-शनाप फीस वसुली जा रही है, या डोनेशन लिया जा रहा है, तो इससे संबंधित शिकायत मिलने पर संबंधित शाला प्रबंधन के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाती है. कोविड संक्रमण काल के दौरान अदालत ने फीस में कटौती करने का निर्णय लिया था. जिसे ध्यान में रखते हुए हमने कुछ स्थानों पर कार्रवाई भी की थी और इससे संबंधित निर्देश सभी शालाओं को जारी किये थे.
– प्रिया देशमुख
प्राथ. शिक्षाधिकारी (जिप)

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