दो आईएफएस अधिकारियों के गिरफ्तारी की पहली ही घटना
डॉ.सरवदे मुंबई में दाखल होते ही हुआ रेड्डी पर अपराध दर्ज
अमरावती/प्रतिनिधि दि.३० – वनपरिक्षेत्र अधिकारी ने वरिष्ठों की त्रासदी से त्रस्त होकर आत्महत्या करने के बाद अपराध दर्ज होकर 2 आईएफएस अधिकारियों को गिरफ्तार होने की देश की पिछले 15 से 20 वर्ष की यह संभवत: पहली घटना है, अमरावती जिले में घटीत होने की बात कही जा रही है.
मेेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के वनपरिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण ने आत्महत्या से पहले लिखे हुए तीन पत्र पुलिस जांच में महत्वपूर्ण सबूत साबित हुए, ऐसा दिखाई देता है. दिपाली चव्हाण ने आत्महत्या से पहले अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक एम.एस.रेड्डी के लिए लिखे हुए पत्र में हो रहे त्रासदी की कल्पना देने का उल्लेख है, ऐसा रहते हुए भी रेड्डी ने उपवनसंरक्षक विनोद शिवकुमार पर कार्रवाई नहीं की. जिससे अप्रत्यक्ष रुप से एम.एस.रेड्डी पर भी आरोप हुए. रेड्डी ने शिवकुमार पर अपराध दर्ज होने के बाद स्वयं को दीपाली ने कैेसे अच्छा कहा, यह दिखाने का काफी प्रयास किया है. किंतु विविध संगठनों ने यह मुद्दा उठाया था, इस कारण रेड्डी व उनके लिए प्रयासरत रहने वाली आईएफएस अधिकारियों की लॉबी को सफलता नहीं मिल पायी. यहीं बात इस घटना से दिखाई देती है. रेड्डी के सभी प्रयास असफल होने के बाद प्राथमिक जांच के लिए नियुक्त की गई आईपीएस अधिकारी डॉ.प्रज्ञा सरवदे का अमरावती दौरा, उनके व्दारा दर्ज किये गए बयान, की हुई जांच और वह मुंबई में दाखल होते ही रेड्डी के खिलाफ अपराध दर्ज होकर तत्काल गिरफ्तारी की कार्रवाई होना यह सभी बाते समाज माध्यमों समेत विविध पार्टी संगठना के दबाव से आखिर संभव होने की बात कही जा रही है.
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यह भाजपा के आंदोलन से सफल
दीपाली चव्हाण की दुर्दैवी आत्महत्या मामले में शिवकुमार के बाद एम.एस.रेड्डी को भी सहआरोपी के रुप में अपराध दर्ज कर पुलिस व्दारा गिरफ्तार करना यह भाजपा के आंदोलन को मिली हुई सफलता है, इस तरह का दावा प्रदेश प्रवक्ता शिवराय कुलकर्णी ने किया है.
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अन्यों के लिए यह एक चेतावनी
दीपाली चव्हाण की आत्महत्या मामले में सहआरोपी कर रेड्डी को गिरफ्तार करना यह ऐसे ही प्रकार की वृत्ति रखने वाले अन्य अधिकारियों के लिए एक इशारा है. एम.एस.रेड्डी की गिरफ्तारी होनी चाहिए, इस मांग के लिए विविध संगठनों की ओर से हुए प्रयास, प्रशासकीय स्तर पर मुख्यमंत्री, जिले की पालकमंत्री यशोमती ठाकुर, सांसद सुप्रिया सुले, प्राथमिक जांच अधिकारी प्रज्ञा सरवदे ने उचित भूमिका निभाई. जिससे यह संभव हुआ, इस तरह के विचार माहेर संस्था की अध्यक्ष अरुणा सबाने ने व्यक्त की है.