* कीर्तनीय जत्था अपनी बाणी से संगत को करेंगे निहाल
अमरावती/दि.15– स्थानीय बूटी प्लॉट स्थित गुरुद्वारा गुरुसिंघ सभा की ओर से गुरुग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश पुरब समागम का 16 व 17 सितंबर को आयोजन किया है. स्थानीय बूटी प्लॉट गुरुग्रंथ साहिब में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत शुक्रवार 15 सितंबर को अखंड पाठ साहिब से की जायेगी. शनिवार, 16 सितंबर को भाई भूपिंदर सिंघ का शाम 7.30 से 8.30 बजे तक कीर्तन होगा. शाम 8.30 से रात 10 बजे तक विशेष तौर से पधार रहे भाई गुरमेल सिंघ का कीर्तन होगा, जो दिल्ली के बंगला साहिब गुरुद्वारा के हजूरी रागी जत्था हैं. शीशगंज गुरुद्वारा चांदनी चौक के कीर्तनीय जत्था के रूप में विख्यात हैं. वह अमरावती पधार कर संगत को अपनी बाणी से निहाल करेंगे.
रविवार, 17 सितंबर को सुबह 8 बजे से गुरता गद्दी दिवस व श्री गुरु अंगद देव के संगरांध निमित्त सुखमणि साहिब का पाठ किया जायेगा. साथ ही अखंड पाठ साहिब व सहज पाठ की समाप्ति होगी. सुबह 10.30 बजे से रात 11 बजे तक भाई भूपिंदर सिंघ का कीर्तन, सुबह 11 से दोपहर 12.30 बजे तक भाई गुरमेल सिंघ का कीर्तन होगा. शाम के समय 7.30 बजे से 8.30 बजे तक भाई भूपिंदर सिंघ का कीर्तन व रात 8.30 बजे से रात 10 बजे तक भाई गुरमेल सिंघ का कीर्तन होगा. पश्चता गुरु का लंगर से कार्यक्रम की समाप्ति होगी. ज्यादा से ज्यादा संगत ने इस कार्यक्रम का आनंद लेकर निहाल होने का आह्वान गुरुद्वारा गुरुसिंघ सभा की प्रबंधक कमिटी ने किया है.
आज के दिन सिखों के पांचवें गुरु अर्जनदेव ने 1604 में दरबार साहिब अमृतसर में पहली बार गुरुग्रंथ साहिब का प्रकाश किया. बाबा बुड्ढा इस ग्रंथ के पहले ग्रंथी बने. आगे चलकर इसी ग्रंथ के संबंध में दसवें गुरु गुरुगोविंद सिंघ ने हुकुम जारी किया. जिसमें सब सिखन को हुक्म है गुरु मान्यो ग्रंथ.
सिखों में जीवंत गुरु के रूप में मान्य गुरु ग्रंथ साहिब केवल सिख कौम ही नहीं बल्कि समूची मानवता के लिए आदर्श व पथ प्रदर्शक है. दुनिया में यह इकलौते ऐसे पावन ग्रंथ हैं जो तमाम तरह के भेदभाव से ऊपर उठकर आपसी सद्भाव, भाईचारे, मानवता व समरसता का संदेश देते हैं. आज के माहौल में अगर इनकी बाणियों में छिपे संदेश, उद्देश्य व आदेश को माना जाए तो समूची धरती स्वर्ग बन जाये, गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज बाणी की विशेषता है कि इसमें समूची मानवता को एक लड़ी में पिरोने का संदेश दिया गया है. 6 गुरु साहिबानों के साथ समय-समय पर हुए भगतों, भट्टो और महापुरुषों की बाणी दर्ज है. गुरबाणी के इस अनमोल खजाने का संपादन गुरु अर्जन देव ने करवाया. गुरुद्वारा रामसर साहिब वाली जगह गुरु साहिब ने 1603 में भाई गुरदास से बाणी लिखवाने का काम शुरु किया था. गुरु साहिब ने इसमें बिना कोई भेदभाव किये तमाम विद्वानों और भगतों की बाणी शामिल की. 1604 में गुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश दरबार साहिब में किया गया.