अमरावती

पहले बारिश और अब अतिवृष्टि

संतरे की फसल बरबादी की कगार पर

  • बाजार में संतरे को बेहद अत्यल्प दाम

  • संतरा उत्पादक किसान फंसे आर्थिक दिक्कतों में

अमरावती/दि.13 – जिले के मोर्शाी व वरूड क्षेत्र में बडे पैमाने पर संतरे का उत्पादन होता है और इस बार संतरे की फसल अच्छी रहने की पूरी संभाावना थी. किंतु पहले तो बारिश नदारत रही और संतरे की फसल सूखे का शिकार हो गई. वही अब संतरे की फसल अतिवृष्टि का शिकार है. ऐसे में यद्यपि बाजार में फलों के दामों में तेजी देखी जा रही है. किंतु व्यापारियों द्बारा उत्पादक किसानों से संतरा फलों की खरीदी बेहद सस्ते में की जा रही है. अंदरबट्टे के इस व्यवहार की वजह से संतरा उत्पादक किसान भयानक आर्थिक दिक्कत में फंसे हुए है.
बता दे कि जिले की वरूड तहसील को अपने बेहतरीन संतरो के लिए समूचे देश में पहचाना जाता है और संतरा व्यवसाय की वजह से वरूड तहसील में चार सौ से पांच सौ करोड रूपयों के आर्थिक व्यवहार होते है. तहसील के 21 हजार 500 हेक्टेयर क्षेत्र में संतरे तथा 3 हजार 790 हेक्टेयर क्षेत्र में मौसंबी की फसल ली जाती है. क्षेत्र के संतरा उत्पादक किसानों द्बारा संतरे के आंबिया व मृग बहार की दो फसले ली जाती है. इसके तहत दिसंबर से जनवरी माह के दौरान सिंचाई के जरिए आंबिया बहार तथा जून व जुलाई माह में बारिश होने पर मृग बहार की फसल ली जाती है. इस वर्ष आंबिया बहार की फसल काफी अच्छी रही. वहीं मृग बहार केवल 40 फीसद आया. मृग बहार की शुरूआत में बारिश बेहद अत्यल्प रही. वहीं अब फसल को अतिवृष्टि का सामना करना पडा है. अतिवृष्टि की वजह से 30 से 40 फीसद संतरे झड गये है और व्यापारियों द्बारा भी संतरा खरीदी की ओर पीठ दिखाा दी गई है. ऐसे में किसानों को संतरे के लिए प्रति एक हजार नग हेतु 2 से 3 हजार रूपये के दाम मिल रहे है. जिससे किसानों का लागत खर्च भी नहीं निकल पा रहा है. जबकि फूटकर बाजार में फलों के दामों में काफी तेजी है.
बता दे कि वरूड में उत्पादित होनेवाला संतरा देश के अलग-अलग राज्यों सहित बंगलादेश व दुबई जैसे देशों में भी भेजा जाता है. यहां कि बाजार समिति के संतरा यार्ड में 40 मंडियां है साथ ही बाजार समिति के बाहर ही बडे पैमाने पर पैकिंग सेंटर व फल ग्रेडिंग केन्द्र है जहां से सैकडो ट्रक संतरा पैकिंग व ग्रेडिंग के बाद देश के अलग अलग शहरों की मंडियां में भेजा जाता है.

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