अमरावती/दि.28 – मंगलवार को चैत्र पूर्णिमा की शाम करीब 7 बजे पहला सुपरमून दिखाई दिया. इस साल दो सुपरमून देखे जाएंगे. दूसरा सुपरमून अब 26 मई को दिखाई देगा. खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार सुपरमून में चंद्रमा तकरिबन 30 फीसदी अधिक चमकीला नजर आता है और लगभग 14 फीसदी अपने आकार से बडा दिखाई देता है. किंतु वास्तव में चंद्रमा का आकार बडा नहीं होता है. बल्कि पृथ्वी से इसकी निकटता के कारण ऐसा प्रतित होता है. क्योंकि इस घटना में चंद्रमा और पृथ्वी की दूरी सबसे कम हो जाती है.
सुपरमून कब लगता है
सुपरमून पृथ्वी से दिखाइ देने वाला चंद्रमा का एक बडा आकार है. दरसल चंद्रमा की पृथ्वी के चक्कर काटने की कक्षा गोलाकार है इस वजह से कई बार यह पृथ्वी के काफी पास आ जाता है जिससे हमें उसका आकार सामान्य से बडा दिखाई देने लगता है. यदि पूर्णिमा तिथि के दिन ऐसा हो तो इसे सुपरमून के नाम से जाना जाता है.
कब दिखाई देता है सुपरमून
सुपरमून का संबंध पूर्णिमा तिथी से है.जिस दिन पूर्णिमा तिथी हो और चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकटतम बिंदू पर हो तो ऐसी स्थिती में सुपरमून लगता है. खगोल विज्ञान के अनुसार चंद्रमा पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है. चंद्रमा का ऑर्बिट (कक्षा) अंडाकार होने की वजह से चंद्रमा और पृथ्वी सबसे दूर बिंदू को ऐपोजी जबकि सबसे नजदीक बिंदू को पेरिजो के नाम से जाना जाता है ऐसी स्थिती में सुपरमून तब होगा जब चंद्रमा पेरिजो पर पहुंचता है. जबकि एपोजी पर यह माइक्रोमून कहलाता है.