अमरावती

पांच दिन का सप्ताह, गले तक पगार, फिर भी काम चोरी

अमरावती-दि.6 पुलिस एवं स्वास्थ्य सेवा को छोडकर सभी सरकारी कार्यालयों के लिए अब कामकाजी सप्ताह को पांच दिन का किया गया है. जिसके चलते अब सभी महकमों के कर्मचारियों को सुबह 9.30 से शाम 6.15 बजे तक अपने कार्यालय में उपस्थित रहना अनिवार्य किया गया है. वही उन्हें शनिवार व रविवार को दो दिनों का साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है. साथ ही सातवे वेतन आयोग के मुताबिक गले तक भरकर भारी-भरकम वेतन भी मिलता है. इसके अलावा ‘नीचे और उपर’ से होनेवाली जो कमाई होती है, वह अलग, लेकिन इसके बावजूद कार्यालयीन कामकाज के समय कई सरकारी महकमों में सन्नाटा पसरा दिखाई देता है. जिसका सीधा मतलब है कि, सरकारी कार्यालयोें में कामकाज को लेकर खुलेआम लापरवाही और कामचोरी हो रही है. जिसका खामियाजा इन सरकारी महकमों में अपना कामकाज कराने हेतु आनेवाले आम नागरिकों को उठाना पडता है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, शनिवार व रविवार की लगातार दो छुट्टियों का आनंद लेने के बाद सोमवार को अधिकांश सरकारी अधिकारी व कर्मचारी अपने कार्यालय में काफी विलंब से पहुंचते है. इसे लेकर किये गये जमिनी व प्रत्यक्ष मुआयने में पता चला कि, संभागीय आयुक्त कार्यालय, विभागीय कृषि सहसंचालक कार्यालय, विभागीय सहनिबंधक कार्यालय, जिला उपनिबंधक कार्यालय तथा जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी कार्यालय में सुबह 9.30 बजे कार्यालयीन कामकाज का वक्त शुरू होने के बावजूद 10 बजे तक कोई भी अधिकारी व कर्मचारी अपने स्थान पर नहीं पहुंचा था. वही सभी महकमों में लाईट और पंखे बिना किसी वजह के शुरू थे. यानी एक तरह से बिजली की बर्बादी ही हो रही थी. इस समय यह भी पता चला कि, कृषि कार्यालय में तो बायोमेट्रिक मशीन ही नहीं है. वहीं अन्य कार्यालयों में कर्मचारियों के आने और जाने के समय की जानकारी को दर्ज किया जाता है अथवा नहीं, इसे लेकर भी संदेह है. कुछ कार्यालयों में सुबह 10 से 11 बजे तक कर्मचारियों व अधिकारियों के आने का सिलसिला चलता रहा. यानी लगभग सभी सरकारी कार्यालय लेट-लतीफी की समस्या का शिकार है.

* पांच दिन का सप्ताह
सरकारी कार्यालयों में कामकाज के लिए पांच दिनों का सप्ताह तय किया गया है और ऐसा करते समय इन पांच दिनों के दौरान काम के घंटे बढा दिये गये है. ऐसी स्थिति में प्रति सप्ताह दो साप्ताहिक अवकाश का आनंद लेनेवाले अधिकारियों व कर्मचारियों की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि, वे कामकाजवाले दिनों में पूरा समय अपने कर्तव्य पर उपस्थित रहे, जो खुद सरकार द्वारा भी अनिवार्य किया गया है.

* 9.30 बजे आने का व 6.15 बजे जाने का समय
– सरकारी कार्यालयों में सोमवार से शुक्रवार इन कामकाजी दिनों में रोजाना सुबह 9.30 बजे अपने कार्यालय में आने का समय निश्चित किया गया है. लेकिन अधिकांश कर्मचारी दस-साढे दस बजे के आसपास अपने कार्यालय पहुंचते है.
– इसी तरह कर्मचारियों के कार्यालय से घर जाने का समय शाम 6.15 बजे निश्चित किया गया है. परंतू इस समय उंगलियोें पर गिनने लायक कर्मचारी ही कार्यालय में दिखाई देते है. इसमें भी ज्यादातर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी होते है. जिनकी छुट्टी का समय 6.15 बजे का होता है. वही अन्य सभी अधिकारी व कर्मचारी शाम पांच-सवा पांच बजे के आसपास ही कार्यालय से निकलना शुरू हो जाते है.
– इसके अलावा दोपहर 1.30 से 2 बजे तक लंच टाईम होता है. किंतु कई लोग 1 बजे के बाद ही दोपहर का भोजन करने अपने स्थान से उठ जाते है, जो 4 बजे के आसपास वापिस लौटते है और फिर बडी मुश्किल घंटा-डेढ घंटा ऑफिस में बिताकर घर रवाना हो जाते है.
– सीधा मतलब है कि, ऑफिस में आने-जाने के समय और कामकाज को लेकर संबंधित महकमों के प्रमुख अधिकारियों का कोई नियंत्रण नहीं है. जिसके चलते सरकारी व प्रशासनिक कामकाज बुरी तरह से प्रभावित होता है और सुस्त गति से चलता है.

* नजारे लेट-लतीफी के
एसएओ कार्यालय (सोमवार सुबह 9.50 बजे)
जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी कार्यालय में कार्यालयीन कामकाज शुरू होते समय कोई अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित नहीं था. बल्कि इस कार्यालय के सभी कक्षों पर ताले लटक रहे थे. अपवाद के तौर पर भांडार विभाग का केवल एक कर्मचारी ही अपने समय पर यहां हाजिर दिखा.

* विभागीय सह निबंधक कार्यालय (सोमवार सुबह 9.45 बजे)
इस कार्यालय में सुबह 9.45 बजे तक एक भी अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित नहीं था. खास बात यह भी रही कि, जिला उपनिबंधक व सहायक निबंधक के कार्यालय पर ताला लटका हुआ था. ऐसे में सवाल पूछा जा सकता है कि, इस सरकारी कार्यालय में कोई टाईमटेबल है या नहीं?

* संभागीय आयुक्त कार्यालय (सोमवार सुबह 9.40 बजे)
पांच जिलों का संभागीय मुख्यालय रहनेवाले संभागीय राजस्व आयुक्त कार्यालय में सोमवार की सुबह 9.40 बजे एक भी अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित नहीं था तथा यहां पर कुछ सफाई कर्मियों द्वारा साफ-सफाई का काम किया जा रहा था. साथ ही कई विभागों के कक्ष बंद थे. खास बात यह थी कि, प्रशासकीय व कार्यालयीन कामकाज के लिए अन्य जिलों से आये कर्मचारी सुबह-सुबह यहां पहुंचकर इस कार्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों का इंतजार करते बैठे थे.

* कृषि सहसंचालक कार्यालय (सोमवार सुबह 9.30 बजे)
इस कार्यालय में कोई भी अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित नहीं था. बल्कि कार्यालय में झाडू-पोछे का काम चल रहा था. पास ही स्थित गुण नियंत्रण व जैविक कीड नियंत्रण प्रयोगशाला तथा कीटनाशक परीक्षण प्रयोगशाला के दरवाजे पर ताला लटका दिखाई दे रहा था.

* क्या कहते हैं कार्यालयीन प्रमुख
बायोमेट्रिक हाजरी शुरू की जायेगी. सभी अधिकारियों व कर्मचारियों ने कार्यालयीन समय पर अपने काम पर उपस्थित रहना चाहिए. जो कर्मचारी अनुपस्थित थे, उन पर आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.
– अनिल खर्चान
जिला अधिक्षक कृषि अधिकारी

कार्यालयीन समय पर सभी अधिकारी व कर्मचारियों का उपस्थित रहना जरूरी है. सोमवार को मैं किसी कार्य के चलते अवकाश पर था. काम पर लौटते ही इस बारे में जांच करते हुए आवश्यक कार्रवाई करूंगा.
– राजेश लव्हेकर
विभागीय सहनिबंधक

कार्यालयीन समय पर सभी का उपस्थित रहना अनिवार्य है. सोमवार को जो लोग समय पर उपस्थित नहीं हुए थे, उनकी जांच करता हूं और उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश एवं हिदायत भी देता हूं.

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