अमरावतीमहाराष्ट्र

पांच लाख विद्यार्थी, 423 कॉलेज और महज 248 कर्मचारी

सन 1992 से शिक्षकेत्तर कर्मचारी भर्ती प्रक्रिया पर लगा हुआ है ब्रेक

अमरावती /दि.21– संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ में रिक्त पदों को लेकर समस्या काफी गंभीर होती जा रही है. इस वर्ष करीब 75 अधिकारी व कर्मचारी सेवानिवृत्त होनेवाले है. जिसके चलते संभाग के 5 लाख विद्यार्थियों तथा 423 महाविद्यालयों का कामकाज कैसे चलाया जाए, यह सवाल विद्यापीठ के कुलगुरु व प्र-कुलगुरु सहित कुलसचिव के समक्ष उपस्थित हुआ है. क्योंकि इस समय विद्यापीठ का कामकाज केवल 248 कर्मचारियों के भरोसे ही चल रहा है.
बता दें कि, संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ में सन 1992 से शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की भर्ती नहीं की गई है. जबकि विगत कुछ समय से प्रति माह 4 से 5 कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे है और जारी वर्ष 2025-26 में 75 कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे. साथ ही वर्ष के अंत तक विद्यापीठ में केवल 30 फीसद कर्मचारी ही शेष रहेंगे. ऐसे में कर्मचारी भर्ती के संदर्भ में संशोधित प्रारुप तैयार कर उसे राज्य सरकार के पास 5 से 6 बार भेजा जा चुका है. लेकिन रिक्त पदों से संबंधित प्रस्ताव राज्यपाल व राज्य सरकार के पास विगत लंबे समय से प्रलंबित पडा हुआ है. ऐसे में कम से कम महायुति सरकार के कार्यकाल दौरान अमरावती विद्यापीठ में रिक्त पदों की समस्या को हल करते हुए नई पद भर्ती की प्रक्रिया चलाई जाएगी, ऐसी उम्मीद क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को है.

* योजना व उपक्रमों के लिए मनुष्यबल ही नहीं
राज्य सरकार द्वारा रोजाना ही किसी न किसी योजना अथवा उपक्रम की लॉचिंग की जाती है. परंतु ऐसा करते समय विद्यापीठ में उपलब्ध रहनेवाले मनुष्यबल का कोई विचार नहीं किया जाता है. जिसके चलते अपर्याप्त मनुष्यबल के साथ योजनाएं व उपक्रम शुरु तो होते है, परंतु वे कागज पर ही रहते है तथा आगे चलकर अपने आप ही बंद भी हो जाते है. यह स्थिति संगाबा अमरावती विद्यापीठ में भी दिखाई देती है.

* राज्यपाल कार्यालय से 35 विषयों का पत्र
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तथा उसके सुक्ष्म क्रियान्वयन हेतु विद्यापीठ एवं उच्च शिक्षा विभाग को राज्यपाल कार्यालय की ओर से 35 विषयों का पत्र राज्यपाल के सचिव डॉ. प्रशांत नारवरे द्वारा भेजा गया है और इन सभी 35 विषयों के क्रियान्वयन हेतु अंतिम डेडलाईन भी दी गई है. परंतु तय समयावधि के भीतर इन कामों को कैसे पूरा किया जाए, इस समस्या से विद्यापीठ प्रशास जूझ रहा है. क्योंकि विद्यापीठ के पास इन कामों को पूरा करने के लिए आवश्यक मनुष्यबल ही नहीं है.

* प्राध्यापकों के 55 पद रिक्त
विद्यापीठ को प्रति वर्ष ग्रीष्मकाल व शीतकाल के दौरान कुल 7500 परीक्षाओं का नियोजन करना होता है तथा 30 से 45 दिनों की कालावधि के दौरान परीक्षाएं लेने के साथ ही परीक्षा होने के उपरांत अगले 45 दिनों के भीतर परिणाम घोषित करना भी अनिवार्य होता है. परंतु इस समय कई महाविद्यालयों में नियमित प्राध्यापक नहीं है. साथ ही खुद अमरावती विद्यापीठ के शिक्षा विभाग में भी प्राध्यापकों के 55 पद रिक्त पडे है.

* एक ही समय तीन स्वरुप की परीक्षाएं
अमरावती संभाग के अमरावती, अकोला, वाशिम, बुलढाणा व यवतमाल इन पांच जिलो के 423 महाविद्यालयों में प्रवेशित विद्यार्थियों के लिए ग्रीष्मकालिन व शीतकालिन परिक्षाओं का नियोजन किया जाता है. इसमें भी सीबीसीए, सीजीसीएस व एनईपी ऐसे तीनों स्वरुप की परीक्षाएं एक ही समय ली जाती है. जिसके चलते मनुष्यबल का अभाव रहने की वजह से विद्यापीठ के परीक्षा विभाग की अच्छी-खासी कसरत होती है और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की कमी रहने के चलते कई काम ठेका नियुक्त व रोजंदारी कामगारों के भरोसे करवाने पडते है.

* राज्य सरकार के पास 4 से 5 बार रिक्त पदों के संदर्भ में प्रस्ताव भेजा गया है, जिसमें सन 1992 से रिक्त रहनेवाले पदों का लेखा-जोखा पेश किया गया है. इस वर्ष तो 75 कर्मचारी सेवानिवृत्त होनेवाले है. जिसके चलते विद्यापीठ के समक्ष काफी बडी समस्याएं पैदा होनेवाली है.
डॉ. अविनाश असनारे
कुलसचिव, अमरावती विद्यापीठ.

* शिक्षकेत्तर कर्मचारी
226 – पद रिक्त. प्रति माह 4 से 5 कर्मचारी हो रहे सेवानिवृत्त.
248 – कर्मचारी फिलहाल कार्यरत. विद्यापीठ की व्याप्ति के लिहाज से संख्या बेहद कम.
474 – पद मंजूर. सन 1992 से नहीं हुई पद भर्ती.

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