अमरावती

पैरोल पर छूटे पांच हजार कैदी जेल वापिस नहीं लौटे

गृह विभाग भी कोरोना पैरोल के मामले को भूला

* कई संगीन मुकदमों के कैदी घुम रहे जेल से बाहर
अमरावती/दि.30- कोविड संक्रमण काल के दौरान जेलों में भीडभाड को कम करने हेतु दो वर्ष पूर्व जेलों में बंद कई सजायाप्ता कैदियों को कोरोना पैरोल मंजूर करते हुए जेल से छोडा गया था. लेकिन अब कोविड संक्रमण का असर व प्रभाव कम होने लगे है. साथ ही कोविड अस्पतालों में अब कोई मरीज भरती नहीं है. जिसके चलते राज्य सरकार ने सभी प्रतिबंधों को हटाकर मिशन बिगेन के तहत लॉकडाउन को पूरी तरह से हटा दिया है. परंतू दो वर्ष पूर्व आकस्मिक पैरोल पर छोडे गये कैदियों को जेल में वापिस लाने हेतु राज्य सरकार के गृह विभाग द्वारा अब तक कोई भी नोटीफिकेशन जारी नहीं किया गया है. जिसके परिणामस्वरूप समूचे राज्य में अब भी करीब 5 हजार कैदी जेलों से बाहर घुम रहे है.
बता दें कि, कोविड संक्रमण काल के दौरान सात वर्ष या उससे कम की सजा प्राप्त रहनेवाले कैदियों को आकस्मिक पैरोल पर जेल से छोडा गया था. जिसमें हत्या व बलात्कार सहित कई संगीन व चर्चित मामलों के कैदियों का समावेश था, लेकिन अब कोविड संक्रमण का असर खत्म हो गया है. ऐसे में इन कैदियोें को अपनी सजा पूरी करने के लिए दुबारा जेल में लाया जाना बेहद जरूरी है. क्योेंकि ऐसे अपराधिक प्रवृत्तिवाले लोगों के समाज में रहने से कानून व व्यवस्था एवं शांतिपूर्ण स्थिति के लिए खतरा पैदा हो सकता है. परंतू बावजूद इसके कोविड संक्रमण के बाद अब हालात पहले की तरह सामान्य हो जाने के बावजूद भी इन कैदियों को जेलों में वापिस लाने हेतु राज्य के गृह महकमे द्वारा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है. ऐसे में सजायाप्ता मुजरीम रहने के बावजूद पैरोल पर छूटे कैदी विगत दो वर्षों से जेल से बाहर बडे आराम के साथ रह रहे है.

* पैरोल पर छूटे कैदियों की पुलिस के पास ‘नोंद गायब’
उल्लेखनीय है कि, राज्य के गृह विभाग के उपसचिव एन. एस. कराड के हस्ताक्षर से 8 मई 2020 को राजपत्र जारी करते हुए कैदियों को कुछ नियमोें व शर्तों के अधिन रहते हुए कोविड आकस्मिक पैरोल पर छोडने के आदेश जारी किये गये थे. जिसके बाद मध्यवर्ती कारागार, जिला जेल, महिला जेल, विशेष कारागार व ओपन जेल से कई कैदियों को कोविड संक्रमण काल के दौरान बाहर छोडा गया था. लेकिन पैरोल पर छोडे जानेवाले इन कैदियों के लिए पूरा समय घर पर रहने और अपने निवास क्षेत्र से संबंधित पुलिस थाने में हाजरी लगाने को अनिवार्य किया गया था, साथ ही संबंधित पुलिस थानों को भी उनके कार्यक्षेत्र से वास्ता रखनेवाले व पैरोल पर छूटे कैदियों पर नजर रखने की ताकीद दी गई थी. परंतू कितने कैदियों की हाजरी पुलिस थानों में लगी और पुलिस थानों द्वारा अपने कार्यक्षेत्र अंतर्गत पैरोेल पर छूटकर आये कितने कैदियों पर नजर रखी गई, यह अपने आप में संशोधन का विषय है.

* जेलों के कामकाज पर पड रहा परिणाम
सात वर्ष व इससे कम की सजा प्राप्त कैदियों को पैरोल पर छोड दिये जाने के चलते जेलों में कैदियों की संख्या कम हो गई है. जिसके चलते जेलों के खेत व वर्कशॉप में काम पूरी तरह से ठप हो गया है और जेलों की आय पर भी असर पडा है. उल्लेखनीय है कि, कोविड आकस्मिक पैरोल के लिए केवल 45 दिनों का समय निश्चित किया गया था. परंतू दो वर्ष की अवधि बीत जाने के बावजूद राज्य सरकार ने जेलों से पैरोल पर छोडे गये कैदियोें को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया है.

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