मैदे का सेवन जेब और स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं
अमरावती /दि.31- इन दिनों दौडभाग भरे जीवन में लोगों की खानपान संबंधित आदतें भी बदल गई है. दाल-भात व रोटी-सब्जी जैसे भोजन के प्रकार को छोडकर लोगबाग इन दिनों पिज्जा, बर्गर, टोस्ट व ब्रेड जैसे पदार्थों को बडे चाव से खाते है. वहीं कई लोगों को बाहर जाकर फास्ट फुड खाना भी बडा पसंद आता है. परंतु घर पर बनने वाले शुद्ध व सात्विक भोजन की तुलना में इन सभी पदार्थों पर कहीं अधिक खर्च होता है. साथ ही ऐसे पदार्थों को खाने से स्वास्थ्य पर भी विपरित असर पडता है.
* 40 रुपए किलो मैदा
इन दिनों सभी जीवनावश्यक वस्तुओं के दाम बढ गए है. मैदा भी 40 रुपए किलो की दर पर बिक रहा है. मैदे की आटें से विविध तरह के खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते है, जो यद्यपि स्वाद के लिहाज से स्वादिष्ट लगते है. परंतु सेहत के लिहाज से हानिकारक हो सकते है.
* 70 टन मैदे की जिले में रोजाना खपत
अमरावती शहर सहित जिले में होटल व बेकरी उद्योग मेें बडे पैमाने पर मैदे की खपत होती है. इस मैदे को बडे व्यापारियों व विविध मॉल से खरीदा जाता है. एक अनुमान के मुताबिक अमरावती जिले में रोजाना 70 टन मैदे की जरुरत पडती है.
* किन खाद्य पदार्थों में लगता हैं मैदा?
मैदे का प्रयोग पिज्जा, बर्गर, टोस्ट, केक, बे्रड, समोसा, कचोरी, सांभारवडी, शक्करपाले, पूडी, तुंदुरी रोटी व नान जैसे खाद्य पदार्थ तैयार करने में किया जाता है.
* मैदे के दुष्परिणाम अधिक
मैदे में स्टार्च का प्रमाण काफी अधिक रहता है. जिसकी वजह से मोटापा बढ सकता है. मोटापा बढते ही शरीर में खराब कोलेस्टॉल व ट्रायग्लिसराइड का स्तर बढने लगता है. यदि किसी व्यक्ति को कोलेस्टॉल की समस्या है, तो उसने मैदे से बने खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए.
* क्या कहते है स्वास्थ्य विशेषज्ञ?
मैदे से बने खाद्य पदार्थ खाने के बाद उसे बचाने हेतु कम से कम आधा घंटा शारीरिक व्यायाम करना चाहिए. साथ ही मैदे से बने खाद्य पदार्थों का सेवन करने के बाद पानी पीना बेहद आवश्यक है. वैसे तो मैदे की बजाय गेहूं, ब्राउन राइस, बाजरी, ज्वारी व नाचनी का समावेश आहार में करना चाहिए. मैदे से बने खाद्य पदार्थों का अधिक पैमाने पर सेवन करना ठीक नहीं है. ऐसे खाद्य पदार्थ सहज रुप से पचते नहीं है और इसकी वजह से पेट संबंधित बीमारियां भी बढ सकती है.
– डॉ. सतीश हुमने,
जिला सामान्य अस्पताल.