त्यौहारों के अवसर पर फूल विके्रताओं के चेहरे मुरझाए
प्रशासन व्दारा लगाई गई पाबंदी के चलते व्यवसाय ठप
अमरावती/प्रतिनिधि दि.९ – कोरोना की पार्श्वभूमि पर लगाए गए लॉकडाउन का असर समाज के सभी घटकों पर हुआ था. अब अनलॉक किए जाने के पश्चात भी मंदिर और सार्वजनिक समारोह पर लगाई गई पाबंदियों के चलते फूल विक्रेताओं पर असर दिखाई दे रहा है. मंदिर व सार्वजनिक समारोह पर अब भी प्रतिबंध के चलते 75 फीसदी फूल विक्रेताओं का व्यवसाय ठप्प है. त्यौहारों और उत्सव के अवसर पर फूलों की मांग सर्वाधिक रहती है किंतु संभावित तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए प्रशासन व्दारा मंदिर खोलने पर तथा सार्वजनिक उत्सव पर अब भी पाबंदी कायम है. जिसके चलते फूल विके्रताओं के चेहरे मुरझाए दिखाई दे रहे है.
श्रावण महीने में फूलों की ज्यादा मांग होती है. किंतु पिछले दो सालों से श्रावण महीने पर भी कोरोना का साया है. जिसके चलते फूल व्यवसायियों की परेशानियां बढ रही है. शहर में हिंगोली व वरुड से फूलों की आवक होती है ग्राहकों की कमी होने की वजह से फूलों की बिक्री हो नहीं पा रही ऐसे में बारिश की वजह से फूल भी खराब हो जाते है जिसका भी फटका फूल विके्रताओ को लगता है. त्यौहारों के अवसर पर पहले से ही फूलों के दाम बढे हुए रहते है ऐसे में बिक्री न होने पर फूल खराब हो रहे है जिसमें फूल विक्रेताओं को नुकसान सहना पड रहा है और फूलों के दाम भी बढे है. बाजारों में इन दिनों शेवंती 250 रुपए, गेंदा 50 रुपए, गुलाब 300 रुपए, निशिगंधा के फूल 200 रुपए किलो बेचे जा रहे है. इतना ही नहीं फूल मालाओं के दामों में भी वृद्धि हुई
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फूल विके्रता आर्थिक संकट में
जितनी परेशानी फूल विक्रेताओं को पिछले 20 सालों में नहीं हुई उतनी परेशानी पिछले दो सालों से फूल विके्रताओं को उठानी पड रही है. कोरोना संक्रमण न बढे इसके लिए मंदिर बंद है जिसका फटका हम फूल व्यवसायियों को बैठा है. फिलहाल कोरोना की वजह से लोगों के घर तक फूल माला नहीं दी जा रही. दो दिनों में फूल मुरझा जाते है. जिसकी वजह से आर्थिक नुकसान भी फूल विके्रताओं का हो रहा है.
– एक फूल विके्रता