आयोग के आदेश का करे पालन अन्यथा निकलेंगा वारंट!
ग्राहक शिकायत निवारण आयोग के पास बढी शिकायते
धामणगांव रेल्वे/दि.२४ – जिला ग्राहक शिकायत निवारण आयोग यह एक तरिके से न्यायालय हैं. इस कारण आयोग के आदेश का पालन न करने वालो के विरोध में वारंट निकाला जाता हैं. साथ ही जेल भी भुगतनी पडती हैं. साहित्य अथवा सेवा बाबत कोई शिकायत रहने पर ग्राहक आयोग के पास शिकायत करते आ सकती हैं. शिकायत करते समय ग्राहकत्व सिध्द होना आवश्यक हैं. इसमें कच्चा अथवा पक्का बिल रहेना अत्यंत आवश्यक हैं.
ऑनलाईन खरेदी न हुई हो तो भी शिकायत करते आ सकती हैं. साहित्य अथवा सेवा में त्रुटी रहने पर भी शिकायत करते आ सकती हैं. एक रूपये से लेकर पाच लाख रूपये तक नुकसान भरपाई की शिकायत के लिए कोई शुल्क नहींं लगता. पांच से दस लाख तक नुकसान भरपाई के लिए ५०० रूपये, १० से २० लाख तक ८०० रूपये और २० से ५० लाख रूपये की नुकसान भरपाई के लिए १००० रूपये का धनादेश जोडना पडता हैं. ५० लाख रूपये की नुकसान भरपाई की शिकायत आयोग के पास करते आ सकती हैं. प्रत्येक जिले में ग्राहक शिकायत निवारण आयोग हैं. इस आयोग की तरफ से आज तक अनेक को लाभहुआ बताया जाता हैं. प्रतिवादी को सुनाई गई नुकसान भरपाई ग्राहक को न देने पर आयोग उसके विरोध में वारंट निकालता हैं. आयोग उस व्यक्ति को ३ साल तक सजा सुना सकता हैं. इसके लिए प्रक्रिया पूर्ण करनी पडती हैं.
आयोग के पास कौन शिकायत कर सकता है?
ग्राहकत्व सिध्द करने वाला कोई भी व्यक्ती आयोग के पास शिकायत कर सकता हैं. किसी गांव का दुकानदार दुसरे को सामान बेचता हैं. इस कारण दुकानदार यह ग्राहक नही हैं. इस वजह से दुकानदार व्यापारी की शिकायत नहीें कर सकता. किसी को यदी जिलास्तर के कार्यालय में शिकायत करना रहा तो वह इस वेबसाईट पर ऑनलाईन शिकायत करते आ सकती हैं.
दो माह में ४८ शिकायत
जिला ग्राहक शिकायत निवारण आयोग के पास दो माह में ४८ शिकायते प्राप्त हुई हैं. ३६ शिकायतो का निपटारा हुआ हैं. जबकी १२ प्रकरण प्रलंबित हैं. करिबन ९० प्रतिशत फैसले ग्राहकों के पक्ष में लगते हैं. यह ग्राहकों के लिए समाधान की बात हैं. दो माह में ३६ प्रकरणो में ग्राहको के पक्ष में निर्णय लगा हैं. ्र
ठगी होने पर ग्राहक करें शिकायत
ग्राहको के हित के लिए ग्राहक शिकायत निवारण आयोग का गठन किया गया हैं. जालसाजी होने पर ग्राहक शिकायत करे. शिकायतकर्ता द्वारा विस्तृत जानकारी स्पष्ट शब्दो में दी जानी चाहिए. उसमें धाराओं का समावेश रहना चाहिए.
– देवानंद हेडाऊ, सहायक अधीक्षक
शिकायत निवारण आयोग अमरावती