आंतरजिला तबादले हेतु शिक्षकों को चार जिलों की 30 शालाओं का पर्याय
अब शिक्षक तबादलों में होनेवाली गडबडियों पर लगेगा ब्रेक
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जिप में प्राथमिक शिक्षकों के तबादले की नीति हुई तय
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समिती का हुआ गठन, ऑनलाईन करना होगा आवेदन
अमरावती/दि.12 – राज्य के ग्रामविकास विभाग द्वारा जिला परिषद शिक्षकों के तबादलों हेतु संशोधित नीति घोषित की गई है. जिसके अनुसार जिला परिषद शिक्षकोें को अब आंतरजिला तबादले हेतु एक की बजाय चार जिले व 20 की बजाय 30 शालाओें का पर्याय देने की सुविधा उपलब्ध होगी. साथ ही तबादले के लिए खुद ऑनलाईन आवेदन करने की बजाय गट शिक्षाधिकारी के पास आवेदन करना होगा. पश्चात गट शिक्षाधिकारी द्वारा संबंधित आवेदन को ऑनलाईन प्रस्तुत किया जायेगा. साथ ही प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी 31 मई तक ही तबादले किये जायेगे.
बता दें कि, विगत कुछ वर्षों से जिला परिषद शिक्षकों के तबादलों में काफी गडबडियां दिखाई देती है. इसके मद्देनजर तबादलोें को लेकर नई नीति घोषित की गई है. किंतु नई नीति में भी शिक्षकोें के जिलांतर्गत व आंतरजिला तबादले ऑनलाईन पध्दति से ही होंगे. जिसके लिए पुराने कुछ नियमों में आवश्यक बदलाव किये गये है. किंतु आंतरजिला तबादले हेतु मौजूदा जिला परिषद का ना-हरकत प्रमाणपत्र आवश्यक रहने की शर्त को कायम रखा गया है. इससे पहले जिलांतर्गत तबादलों के मामलों में दुर्गम क्षेत्र को लेकर सात मानक तय किये गये थे. उन्हीं मानकों की पूर्तता करनेवाले क्षेत्रों को ही अब भी दुर्गम क्षेत्र माना जायेगा और जिलांतर्गत तबादलों के लिए संवर्ग भी निश्चित किया गया है. जिलांतर्गत तबादले के लिए भी 20 की बजाय 30 शालाओं का पर्याय दिया गया है. इसके साथ ही दुर्गम क्षेत्र में तीन वर्ष से अधिक, सर्वसाधारण क्षेत्र में दस वर्ष से अधिक तथा एक ही शाला में पांच वर्ष से अधिक सेवा दे चुके शिक्षकों को तबादले हेतु पात्र माना जायेगा.
दुर्गम क्षेत्र तय करने का अधिकार जिलास्तर पर
जिला परिषद के प्राथमिक शिक्षकों के तबादलों हेतु नया आदेश बुधवार को जारी किया गया. जिसके अनुसार पहले दुर्गम क्षेत्र तय करते समय आसान पहुंचवाले गांवों को ही दुर्गम क्षेत्र दर्शाने के प्रकार पर ब्रेक लगाये जाने की अपेक्षा व्यक्त की गई है और दुर्गम क्षेत्र तय करने का अधिकार जिलास्तरीय समिती को दिया गया है. बता दें कि, दो वर्ष पुर्व सुगम व दुर्गम क्षेत्र का विभाजन करते हुए सुगम क्षेत्र के शिक्षकों को दुर्गम क्षेत्र में स्थलांतरित करने का निर्णय लिया गया था. किंतु कई शिक्षकों ने अधिकारियों पर दबाव डालकर कुछ हद तक पहाडी क्षेत्र में रहनेवाले गांवों को दुर्गम क्षेत्र में दर्शाकर अपनी व अपने संबंधितों की बदली करने का प्रयास किया था. ऐसे में इस नीति की त्रृटियों को दूर करने के लिए शिक्षक संगठन द्वारा राज्य सरकार के समक्ष लगातार प्रयास जारी रखे. किंतु इसमें से कोई मार्ग नहीं निकला. पश्चात अब ग्राम विकास मंत्री ने सभी शिक्षक संगठनों से चर्चा करते हुए शिक्षकों के तबादले को लेकर आदेश जारी किया है. विगत कुछ दिनों से जिला परिषद के प्राथमिक शिक्षकों की तबादला नीति का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था और अब शिक्षकों की यह प्रतीक्षा समाप्त हो गयी है. ऐसे में प्राथमिक शिक्षकों के तबादलों का रास्ता खुल गया है.
ऐसा है दुर्गम क्षेत्र के लिए मानक
वार्षिक औसत वर्षा 3 हजार मिमि से अधिक रहनेवाली तथा प्राकृतिक आपदा के चलते शेष दुनिया से संपर्क टूट जानेवाले गांव, हिंसक वन्यप्राणियों एवं जंगल से व्याप्त प्रदेश, यातायात के साधनों सहित रास्तों का अभाव एवं राष्ट्रीय राज्यमार्ग से 10 किलोमीटर से अधिक दूरीवाले गांवों को दुर्गम क्षेत्र का गांव माना जाता है. इन गांवों तक पहुंचने के लिए बस व रेल सहित परिवहन के अन्य कोई भी साधन उपलब्ध नहीं होते. अत: इन्हें दुर्गम गांवों की श्रेणी में रखा जाता है.
दुर्गम क्षेत्र तय करनेवाली समिती
मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता में गठित होनेवाली समिती में उपजिलाधिकारी (निर्वाचन), जिप निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता, सार्वजनिक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता, राज्य परिवहन महामंडल के विभाग नियंत्रक का बतौर सदस्य समावेश करने के साथ ही समिती में सदस्य सचिव के तौर पर प्राथमिक शिक्षाधिकारी को नियुक्त किया जायेगा.
ऐसी है नई तबादला नीति
– इससे पहले आंतरजिला तबादले हेतु एक ही जिले का पर्याय दिया जा सकता था. वहीं अब चार जिलों का पर्याय दिया जा सकेगा.
– जिलांतर्गत तबादले के लिए अब 20 की बजाय 30 शालाओं का पर्याय दिया जा सकेगा.
– अलग-अलग जिलों में कार्यरत रहनेवाले पति-पत्नी को आंतरजिला तबादले हेतु यदि आवेदन करना है, तो दो में से किसी एक जिले का पर्याय चुना जा सकेगा.
– यदि पति-पत्नी अलग-अलग जिलोें में पदस्थ है और उन्हें किसी अन्य जिले में तबादला चाहिए है, तो दोनों में से कनिष्ठ रहनेवाले की सेवाजेष्ठता को ग्राह्य मानकर उस पर विचार किया जायेगा.
इन्हेें दी जायेगी प्राथमिकता
– ना-हरकत प्रमाणपत्र रहनेवाले शिक्षक तथा संवर्ग-1 के कर्मचारी
– जिस संवर्ग में चयन हुआ, उसी संवर्ग के दूसरे जिले में रिक्त पद पर तबादला
– पति-पत्नी एकत्रीकरण प्राधान्यक्रम भी नई नीति में निश्चित
– पति व पत्नी जिला परिषद कर्मचारी रहने पर उन्हें प्रथम प्राधान्य