अमरावती

वन्य जीवों के लिए पहली बार ही राज्य का स्वतंत्र वन्यजीव कृति प्रारुप

वन्यजीव संवर्धन, संरक्षण व जनजागृति की दृष्टि से महत्वपूर्ण

अमरावती प्रतिनिधि/ दि.१९ – जिले के मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प समेत राज्य के सभी 6 प्रकल्पों के लिए राष्ट्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण व संबंधित यंत्रणा की मार्गदर्शक सूचना है. किंतु संरक्षित क्षेत्र समेत उसके अलावा रहने वाले जंगल के वन्य जीवों के लिए पहली बार ही राज्य वन्यजीव कृति प्रारुप तैयार हो रहा है.
राज्य वन्यजीव मंडल के सदस्यों ने मंडल की अंतिम बैठक में राज्य की स्वतंत्र वन्यजीव नीति रहना चाहिए, इस तरह की मांग की थी. किंतु राज्य को वन्यजीव नीति की आवश्यकता नहीं. केंद्र के वन्यजीव प्रारुप की तर्ज पर राज्य का वन्यजीव कृति प्रारुप तैयार करने पर मुहर लगाई गई. उस दृष्टि से राज्य वन्यजीव मंडल के अशासकीय सदस्यों के साथ पहली ऑनलाइन बैठक मंडल के सदस्य सचिव तथा राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) व मुख्य वन संरक्षक नितीन काकोडकर की अध्यक्षता में 5 मार्च को हुई. इस बैठक में कृति प्रारुप के लिए 12 विषयों का चयन किया गया. जिसमें प्रमुखता से धोखाग्रस्त प्रजाति का संवर्धन वन्यजीवों का अवैध व्यापार, मानव-वन्यजीव संघर्ष व बचाव, सागरी किनारपट्टी व सागरी जैवविविधता संवर्धन, वन्यजीव पर्यटन व्यवस्थापन व जनजागृति, वन्यजीव संवर्धन में जनसहभाग, वन्यजीव संशोधन के लिए सशक्तिकरण, वन्यजीव क्षेत्र व कृति प्रारुप के अनुसार काम करने के लिए निधि की उपलब्धता और वैसा जाल तैयार करना आदि 12 विषयों के लिए 12 समितियां और उन हर समिति में उस विषय के तंज्ञ तथा वन विभाग का एक अधिकारी समन्वयक रहेगा. राज्य वन्यजीव मंडल सदस्य तथा अन्य वन्यजीव संशोधन, संवर्धन व पर्यावरण क्षेत्र में काम करने वाले लोग इसमें रहेंगे. यह सभी समितियां आगामी 22 मार्च तक प्रारुप तैयार करेगी.
31 मार्च के बाद वह मुख्य वन्यजीव रक्षक के पास जाएगी. 7 अप्रैल तक ब्योैरे का प्रारुप जमा कर 15 अप्रैल तक राज्य वन्यजीव मंडल के सदस्यों के साथ उसपर चर्चा कर सूचना रही तो वह मांगी जाएगी. 31 अप्रैल को अंतिम प्रारुप तैयार कर वह राज्य वन्यजीव मंडल की बैठक में रखी जाएगी और उसके बाद वह सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजी जाएगी. शुरुआत में वह अंग्रेजी में और उसके बाद मराठी में तैयार की जाएगी. 2021 से 2031 आदि 10 वर्ष के लिए यह प्रारुप रहेगा. 3 वर्ष, 5 वर्ष और 10 वर्ष इस तरह तीन चरणों में वह अमल में लाया जाएगा.

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