विद्यार्थियों के स्वास्थ्य हेतु प्रत्येक शाला में ‘सिक रुम’ रहना अनिवार्य
शालेय शिक्षा विभाग का निर्णय, जरुरत के मुताबिक डॉक्टर ‘ऑन कॉल’ सुविधा उपलब्ध
अमरावती/दि.5– शाला में किसी भी विद्यार्थी को अस्वस्थ्य महसूस होने अथवा स्वास्थ्य संबंधित कोई दिक्कत पैदा होने पर प्रथमोपचार के साथ ही तत्काल वैद्यकीय व्यवस्था करने हेतु आवश्यक सेवाएं व सुविधाएं उपलब्ध कराई जाये. साथ ही शालाओं में संबंधित प्राधिकरणों के मानकानुसार बीमार विद्यार्थियों के लिए तुरंत वैद्यकीय व्यवस्था करने हेतु ‘सिक रुम’ की सुविधा उपलब्ध कराई जाये, ऐसा निर्देश शालेय शिक्षा विभाग ने राज्य की सभी शालाओं के नाम जारी किया है.
राज्य के शालेय शिक्षा विभाग के अख्तियार में रहने वाली सभी शालाओं में रोजाना कम से कम 6 से 7 घंटे विद्यार्थियों की हाजिरी रहती है. इस कालावधि के दौरान कुछ विद्यार्थियों तत्काल वैद्यकीय उपचारों की जरुरत महसूस हो सकती है. ऐसे समय शाला के आसपास वैद्यकीय सुविधा उपलब्ध हो, यह जरुरी नहीं होता. जिसके चलते ऐसी परिस्थिति में शाला प्रशासन द्वारा समय सुचकता दिखाते हुए तत्काल आवश्यक कार्रवाई करने पर विद्यार्थियों को वैद्यकीय मदद देने से किसी भी अप्रिय घटना को टाला जा सकता है. ऐसे में स्वास्थ्य संबंधित समस्या महसूस करने वाले विद्यार्थियों को तत्काल वैद्यकीय सहायता उपलब्ध कराने हेतु मुख्याध्यापक, शिक्षक व कर्मचारी सहित सहपाठी विद्यार्थियों का हमेशा सजग रहना आवश्यक है.
* जांच शिविर में दिया जाये प्रशिक्षण
सभी शालेय विद्यार्थियों को स्वास्थ्य जांच शिविर के जरिए कृत्रिम श्वासोच्छ्वास व कृत्रिम वायू जीवन सहित अन्य प्राथमिक उपचार के बारे में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए. शाला के पास उपलब्ध रहने वाले सरकारी अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्र तथा निजी दवाखानों सहित सरकारी व सार्वजनिक एम्बुलेंस वाहनों के संपर्क क्रमांक बडे अक्षरों के साथ शाला के दर्शनीय हिस्से में लिखे होने चाहिए और इन सभी के साथ संपर्क रखा जाना चाहिए. किसी भी आपातकालीन स्थिति को संभालने हेतु शाला में आवश्यकतानुसार समन्वयक की नियुक्ति की जानी चाहिए और इस समन्वय द्वारा कोई भी आपात स्थिति पैदा होने पर बीमारी विद्यार्थी को तत्काल इलाज मिलने हेतु अस्पताल से संपर्क करते हुए संबंधित विद्यार्थी को अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए. इसके साथ ही शाला द्वारा अपने आसपास स्थित दवाखानों व डॉक्टरों से ऑन कॉल सेवा उपलब्ध करा देने के संबंध में सामंजस्य करार भी किये जाने चाहिए और विद्यार्थियों को उनकी जरुरत के अनुसार ऑन कॉल डॉक्टर की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए.
* समूपदेशक की नियुक्ति जरुरी
आपातकालीन स्थिति में किसी विद्यार्थी को अस्पताल ले जाने की जरुरत पडने पर शाला के पास वाहन की व्यवस्था होनी चाहिए. साथ ही विद्यार्थियों हेतु शालास्तर पर तनावमुक्ति के लिए कार्यशाला में अन्य उपक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए. इसके अलावा विद्यार्थियों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रखने हेतु समूपदेशक की भी व्यवस्था की जानी चाहिए. इन सभी निर्देशों के अमल को लेकर शिक्षा संचालक व उपसंचालक द्वारा मासिक समीक्षा की जानी चाहिए. साथ ही आवश्यकतानुसार शिक्षाधिकारी व अन्य संबंधित अधिकारियों का मार्गदर्शन किया जाना चाहिए.