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5 साल से केवल ‘कागजी घोडे’ नचाने में ही धन्य हो रही अमरावती की विधायक

भूमिगत गटर योजना के कागजी प्रस्ताव तैयार करना ही उनकी सबसे बडी उपलब्धी

* पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने विधायक सुलभा खोडके पर साधा निशाना
* भूमिगत गटर योजना को लेकर देशमुख और खोडके के बीच शुरु हुआ ‘लेटर वॉर’
अमरावती/दि.27 – अमरावती शहर के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण प्रकल्प रहने वाली परंतु विगत 25 वर्षों से अधूरी व प्रलंबित पडी भूमिगत गटर योजना को लेकर अमरावती की विधायक सुलभा खोडके और पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख के बीच अब एक तरह से ‘लेटर वॉर’ शुरु हो गया है और दोनों ही नेता एक-दूसरे के खिलाफ मीडिया में पत्र जारी करते हुए एक-दूसरे को लेकर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे है. जिसके तहत पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने अपने कार्यकाल के दौरान मंजूर हुई भूमिगत गटर योजना को लेकर विगत 5 वर्ष के दौरान मौजूदा विधायक द्वारा केवल कागजी घोडे नचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि, पहले से मंजूर योजना के लिए मौजूदा जनप्रतिनिधि द्वारा केवल ‘कारकुनी प्रस्ताव’ को तैयार करने में ही शायद धन्यता मान ली गई और अपने इसी काम को जनता के बीच एक बडी उपलब्धि के तौर पर हास्यास्पद रुप से प्रचारित किया जा रहा है.
बता दें कि, अमरावती शहरवासियों के स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण रहने वाली भूमिगत गटर योजना के प्रलंबित पडे काम को लेकर पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसे हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई हेतु स्वीकार भी कर लिया गया और सरकार को जवाब पेश करने हेतु 4 सप्ताह का समय दिया. इससे संबंधित खबर सामने आते ही अमरावती की मौजूदा विधायक सुलभा खोडके की ओर से एक पत्र मीडिया के नाम जारी हुआ. जिसमें विधायक सुलभा खोडके ने दावा किया कि, उन्होंने अमरावती शहर की प्रलंबित भूमिगत गटर योजना के लिए 1700 करोड रुपयों के कृति प्रारुप को मंजूरी दिलाई है और जल्द ही इस काम को पूरा किया जाएगा. साथ ही विधायक सुलभा खोडके की ओर से यह सवाल भी उपस्थित किया गया कि, 3 बार अमरावती के विधायक व एक बार सरकार में राज्यमंत्री रहने के बावजूद डॉ. सुनील देशमुख ने इस योजना को पूरा करने हेतु कोई प्रयास क्यों नहीं किये तथा डॉ. सुनील देशमुख की नींद अब विधानसभा का चुनाव हार जाने के बाद अचानक कैसे खुली. जिस पर पलटवार करते हुए पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने विधायक सुलभा खोडके के दावे और सवाल को बचकाना व हास्यास्पद बताते हुए कहा कि, खुद उनके पहले कार्यकाल के दौरान किये गये प्रयासों की बदौलत ही सन 1999 से लेकर अब तक इस योजना पर 183 करोड रुपए का खर्च हुआ है. इसके अलावा डॉ. सुनील देशमुख ने वर्ष 2004 से 2009 के दौरान राज्यमंत्री रहते समय 93 करोड रुपए तथा सन 2014 में अमरावती का विधायक रहते समय 24 करोड रुपए और वर्ष 2018-19 के अंत में 20 करोड रुपए की निधि को चरणबद्ध ढंग से मंजूरी हासिल करते हुए निधि प्राप्त की थी. साथ ही उनके द्वारा किये गये प्रयासों की बदौलत ही सन 2018 में केंद्र सरकार पुरस्कृत अमृत अभियान अंतर्गत अमृत योजना के लिए 87 करोड रुपए का अंतिम काम मंजूर हुआ था. खास बात यह है कि, इस मंजूर निधि से किये गये काम आज भी दृश्य स्वरुप में मौजूद है. जिनमें शहर के सभी झोन में विविध नालियों के जरिए डाली गई मुख्य वाहिनी तथा लालखडी परिसर में निर्मित 40 एमएलडी क्षमता वाला मलशुद्धिकरण संयंत्र का समावेश है. लेकिन इसके बाद अगले 6 वर्षों के दौरान नये कामों को मंजूरी दिलाना तो दूर पहले से मंजूर कामों को भी सफलतापूर्वक पूरा करने में अमरावती की जनप्रतिनिधि असफल साबित हुई है और वे कुछ इस अंदाज में प्रसिद्धि पत्रक जारी करते हुए दावा कर रही है कि, मानो उन्होंने 1700 करोड रुपए की निधि आज ही मंजूर करवाकर लायी हो, जबकि ऐसा दावा करना सीधे तौर पर जनता के साथ दिशाभूल करना है.
इसके साथ ही पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने यह भी कहा कि, मौजूदा विधायक द्वारा सिंभोरा से अमरावती तक जलापूर्ति हेतु नई पाइप लाइन डालने हेतु भी केवल एक कागजी प्रस्ताव को मंजूरी दिलाई गई है और कुछ इस अंदाज में गाजा-बाजा किया जा रहा है. मानो नई पाइप लाइन डालने का काम भी शुरु हो गया हो. जबकि हकीकत यह है कि, मौजूदा विधायक द्वारा अपने विगत 5 वर्ष के कार्यकाल दौरान एक भी नई योजना या काम को मंजूरी नहीं दिलाई गई है. साथ ही पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने इस विषय को लेकर मौजूदा विधायक के साथ जनता के बीच बैठकर आमने-सामने चर्चा करने की चुनौती भी दी है.

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