अमरावती

शिवकुमार व रेड्डी को बचाने में लगा है वन विभाग

महिला आयोग के पत्र को साधा जवाब भी नहीं दिया

अमरावती/दि.16 – राज्य का वन विभाग अपने प्रचलित हदों के बाहर निकलकर मेलघाट के हरिसाल की वनपरिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण आत्महत्या मामले में विनोद शिवकुमार और एम.एस.रेड्डी इस भारतीय वन सेवा के अधिकारियों का बचाव कर रही है, इस तरह की सनसनीखेज जानकारी प्रकाश में आयी है. इन दोनों की विभागीय जांच के आदेश तो अभी तक निकले ही नहीं है. इसके अलावा इतने संवेदनशील मामले में राज्य महिला आयोग व्दारा भेजे गए पत्र को 18 दिन में साधा जवाब देने का सौजन्य नहीं दिखाया गया.
राज्य महिला आयोग के अध्यक्ष व सदस्य इस तरह सभी पद फिलहाल रिक्त रहने से समूचा कारभार नौकरशाहों के हाथों में रहने से वनमंत्रालय दीपाली चव्हाण मामले में इसका गैर फायदा ले रहा है, ऐसा माना जा रहा है. दीपाली चव्हाण आत्महत्या का मामला अमरावती यानी राज्य की महिला व बालकल्याण मंत्री एड.यशोमती ठाकुर के पाल्य जिले में घटीत हुआ है. बावजूद इसके वन विभाग ने इतनी बेफिक्री दिखाना राजनीतिक रुप से भी चर्चा का विषय बना हुआ है. दीपाली चव्हाण ने 25 मार्च की शाम स्वयं पर गोली चलाकर आत्महत्या की. दूसरे दिन सुबह उपवन संरक्षक विनोद शिवकुमार को नागपुर रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार किया. बाद में उसका निलंबन भी किया. शिवकुमार को वन विभाग में संरक्षण देने वाले अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक एम.श्रीनिवास रेड्डी के बारे में एड.यशोमती ठाकुर ने आक्रामक भूमिका लेने से मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे को उनपर निलबंन की कार्रवाई करनी पडी, लेकिन वह आदेश भी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने 24 घंटे छिपाकर रखा. इस बीच 29 मार्च को राज्य महिला आयोग ने इस गंभीर मामले में वन विभाग ने संबंधित अधिकारियों पर क्या कार्रवाई प्रस्तावित की, इस बाबत लिखित सवाल पुछे थे, लेकिन गुरुवार शाम तक इस पत्र को साधा जवाब देने का सौजन्य भी वन मंत्रालय ने नहीं दिखाया, ऐसा उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया. प्रचलित नियम के अनुसार, सरकारी अधिकारी अथवा कर्मचारी निलंबित होने पर तत्काल उसकी विभागीय जांच शुरु होती है. इस मामले में मात्र अभी तक रेड्डी व शिवकुमार इन दोनों अधिकारियों की विभागीय जांच के आदेश जारी नहीं हुए.

कलेक्टर, एसपी का भी महिला आयोग को धत्ता

दीपाली चव्हाण मामले में आईएफएस अधिकारियों को बचाने का प्रयास वरिष्ठ स्तर से शुरु रहने की आशंका है. अमरावती के जिलाधिकारी शैलेश नवाल व पुलिस अधिक्षक हरिबालाजी ने राज्य महिला आयोग के पत्रों को दिये प्रतिसाद की ओर देख यह आशंका और अधिक मजबूत बनी. इन दोनों अधिकारियों ने भी अभी तक आयोग को जांच बाबत रिपोर्ट पेश नहीं की. महिला आयोग को फिलहाल अध्यक्ष न रहने से सदस्यों के पद रिक्त रहने से अधिकारी किसी की नहीं सुन रहे और मनमाना कामकाज शुरु रहने का चित्र है.

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