जंगल के जलस्त्रोतों पर वनविभाग की रहेगी नजर
शिकारियों द्वारा विष प्रयोग किये जाने का रहता है खतरा
* राष्ट्रीय व्याघ्र प्राधिकरण ने जारी किये अलर्ट रहने के आदेश
अमरावती /दि.12– गर्मी के मौसम दौरान बाघों सहित सभी वन्य प्राणियों को अपनी प्यास बुझाने के लिए जंगल में इधर से उधर भटकना पडता है. ऐसे मेें जलस्त्रोत वाले स्थानों पर बाघ के शिकारियों द्वारा हमेशा ही गर्मी के मौसम दौरान नजर रखी जाती है. जिसके तहत अप्रैल व मई माह के दौरान व्याघ्र प्रकल्पों सहित वन्य क्षेत्रों मेें स्थित जलस्त्रोतों के पानी में वन्यजीव तस्करों द्वारा जहर मिला दिये जाने का खतरा रहता है. जिसे ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय व्याघ्र प्राधिकरण द्वारा 3 दिन पहले ही मेलघाट सहित विदर्भ के सभी वन कर्मचारियों को जंगल में स्थित तालाबों एवं जलस्त्रोतों पर कडी नजर रखने के आदेश जारी किये गये है. जिसके चलते अब जंगल के जलस्त्रोतों पर वनविभाग की पूरा समय पैनी नजर बनी रहेगी, ताकि वन्य प्राणियों के पीने हेतु उपलब्ध रहने वाले पानी में कोई भी व्यक्ति जहर न घोल सके.
बता दें कि, वन्यजीव तस्करों द्वारा बाघों का शिकार करते हुए उनके अंगों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेचा जाता है तथा व्याघ्र तस्करी के साथ दिल्ली से नेपाल होते हुए चीन तक फैले हुए व्याघ्र तस्करों द्वारा जंगल में बाघों के शिकार हेतु लोहे के ट्रैप लगाये जाते है. साथ ही जंगल परिसर स्थित जलस्त्रोतों के पानी में जहर घोल दिया जाता है, ताकि बाघों का शिकार आसानी से किया जा सके. इससे पहले ऐसे कई मामले सामने आ चुके है. जिसे ध्यान में रखते हुए दिल्ली के वन्यजीव नियंत्रण ब्यौरों में पहले ही अलर्ट के आदेश जारी किये है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, विदर्भ में विशेषकर मेलघाट के जंगलों पर हमेशा ही मध्यप्रदेश में सक्रिय रहने वाले बहेलिया गिरोह की नजर बनी रहती है. वहीं मेलघाट के अलावा विदर्भ के अन्य व्याघ्र प्रकल्पों में पंजाब का बाबरियां गिरोह वन्यजीवों की हत्या व तस्करी के मामले में सक्रिय है. इन दोनों गिरोह से जुडे संदिग्धों पर वनविभाग एवं पुलिस के संयुक्त पथकों द्वारा नजर रखी जा रही है.
* व्याघ्र प्रकल्प के प्राकृतिक एवं कृत्रिम वन तालाबों की लिटमस पेपर के जरिए जांच की जाती है. लेकिन ग्रीष्मकाल के दौरान इसे लेकर विशेष तौर पर सतर्कता बढती जाती है. जिन-जिन स्थानों पर सोलर बिजली उपलब्ध नहीं है, ऐसे स्थानों पर बनाए गए वन तालाबों में ट्रैंकरों के जरिए पानी पहुंचाकर भरा जाता है. साथ ही सभी प्राकृतिक व कृत्रिम वनतालाबों की देखभाल व जांच के लिए बीट निहाय वन कर्मचारियों की जिम्मेदारी निश्चित की गई है.
– मनोज खैरनार,
मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प (क्राइम सेल).
* गर्मियों के मौसम दौरान वन्य प्राणियों की पानी संबंधित जरुरतों को देखते हुए सभी जलस्त्रोतोें पर ध्यान केंद्रीय किया जाता है. साथ ही कृत्रिम जलस्त्रोतों में पानी उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक बजट को मान्यता देते हुए ट्रैंकरों के जरिए कृत्रिम जलस्त्रोतों तक पानी पहुंचाने का नियोजन किया जाता है. आगामी कुछ दिनों के भीतर कृत्रिम जलस्त्रोतों तक ट्रैंकरों के जरिए पानी पहुंचाने का काम शुरु हो जाएगा.
– वर्षा हरणे,
वनपरिक्षेत्र अधिकारी,
वडाली वनपरिक्षेत्र.