मेलघाट में काम करने वनविभाग की काफी दिक्कते
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने याद किया 27 साल पुराना किस्सा
नागपुर /दि.26- रोटरी क्लब ऑफ नागपुर साउथ द्बारा मेलघाट के आदिवासियों हेतु चलाए जा रहे उपक्रम को 27 वर्ष व थाइरॉइड वर्कशॉप के 20 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय भुतल परिवहन एवं महामार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि, यद्यपि वे हमेशा रिकॉर्ड तोड सडक निर्माण बनाने के लिए चर्चित रहते है. लेकिन रास्तों का निर्माण करना कोई आसान काम नहीं होता, बल्कि इसमें मंत्री रहने के बावजूद भी उन्हें कई तरह की समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पडता है. इस समय केंद्रीय मंत्री गडकरी ने 27 साल पुराना किस्सा याद करते हुए कहा कि, वे उस वक्त महाराष्ट्र के सार्वजनिक लोकनिर्माण मंत्री हुआ करते थे और उसी दौरान मेलघाट में करीब ढाई हजार बच्चों की कुपोषण की वजह से मौत हुई थी. जिसकी ओर पूरी दुनिया का ध्यान गया था. इस समय आरोप लगाए गए थे कि, मेलघाट में सडके नहीं रहने की वजह से स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं पहुंच पाती. ऐसे में खुद उन्होंने मेलघाट जाकर जमीनी हकीकत का जायजा लिया और करीब 4 दिन अपने विभाग के अभियंता की राजदूत मोटर साइकिल पर बैठकर पूरे इलाके का दौरा किया था. जिसके बाद मेलघाट में सडके बनाने हेतु प्रयास शुरु किए गए. लेकिन वर्ष 1980 का वन पर्यावरण कानून इसके लिए अनुमति नहीं दे रहा था. ऐसे में 2 साल तो केवल बैठकों में ही चले गए. लेकिन इसके बावजूद वन विभाग के अधिकारी तस से मस्त होने के लिए तैयार नहीं थे. तो फिर उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहरपंत जोशी से चर्चा करने के बाद इस मामले को अपने हिसाब से संभालने का निर्णय लिया और फिर अधिकारियों को जमकर आडे हाथ लेते हुए मेलघाट के सभी गांवों को सडक मार्ग से जोेडा गया. यद्यपि कुछ संगठन इसके खिलाफ अदालत में भी गए. लेकिन वहां पर भी सरकार की जीत हुई. गडकरी के मुताबिक वे कभी भी पर्यावरण के खिलाफ नहीं रहे. बल्कि उनका मानना है कि, पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन साधते हुए आगे बढा जाना चाहिए.