धारणी/दि. 6 – चौराकुंड के जंगल में वन उल्लू की मौत हो जाने की घटना उजागर हुई है. पुणे की वाईल्ड लाईफ रिसर्च एंड कन्जर्वेशन सोसायटी द्बारा मेलघाट में टायगर प्रोजेक्ट के सिपना वन्यजीव विभाग के चौराकुंड वन परिक्षेत्र में वन उल्लू संशोधन उपक्रम चलाया जा रहा है.
पश्चिम खामदा नियतक्षेत्र के वन खंड क्रमांक 575 के जंगल में 3 जनवरी को वन उल्लू मृतावस्था में दिखाई दिया. उसकी मौत को लेकर चर्चाए जारी थी. इस बीच पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्राप्त हुई है. जिसमें मौत का कारण अज्ञात बताया गया है. धारणी से 40 किमी दूरी पर खामदा के जंगल में यह दुर्लभ प्रजाति का उल्लू मृतावस्था में दो दिन पूर्व मिला था. इसकी जानकारी मिलते ही टायगर प्रोजेक्ट व स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं ने भागदौड शुरू की. संस्था के मयंक शुक्ला वन उल्लू की हरकतों पर रेडियो टैक के माध्यम से नजर रख रहे है. हालाकि उल्लू की लाश सड चुकी थी. जिसके कारण असली वजह पता नहीं चल पायी.
उल्लू दुर्लभ प्रजाति में शामिल है
बता दे कि वन उल्लू मध्यभारत के जंगलों के लिए स्थानिक है. इसे 2018 के बाद से रेडलिस्ट में लुत्पप्राय प्राणी के रूप में सूचीबध्द किया गया है. वनों की कटाई से इसे खतरा है. यह ठेठ उल्लू परिवार स्ट्रीगिडी का सदस्य है और इसे पहली बार 1973 में वर्णित किया गया था.