
खुद पर बीतने के बाद भी प्रशासन नींद में
अमरावती दि.6 – पर्यटन नगरी चिखलदरा में वन्यजीवों का आतंक कोई नई बात नहीं है. जिसके लिए यहाँ के आम लोग सैकड़ों बार वन विभाग से सुरक्षा की मांग की है, लेकिन मेलघाट के फिरंगी बने वन विभाग और व्याघ्र प्रकल्प के अधिकारियों का इस पर कोई असर पड़ता नजर नहीं आ रहा है, लेकिन दशहरे की सुबह खुद वन कर्मी पर भी दर्जनों बंदरों ंके हमले के बाद भी इनके रवैये में कोई सुधार नहीं हुआ है.
ज्ञात हो की बुधवार की सुबह करीब आठ बजे वन उद्यान परिसर में मॉर्निंग वाक के दौरान मेलघाट उपवन संरक्षक कार्यालय में कार्यरत वन मजदुर अफसर पठान पर करीब 20 बंदरो ने जानलेवा हमला कर दिया. जिस वक्त वहां से गुजर रहे अन्य राहगीरों ने इस वन कर्मी की जान बचाई अन्यथा पठान को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता विदित हो की चिखलदरा शहर में जंगली बंदरों का आतंक प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. जिस कारन अब तक करीब सौ से अधिक पर्यटक और स्थानिक गंभीर हो चुके है, लेकिन वन विभाग हिटलर अधिकारी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे है और तो और खुद का कर्मी भी गंभीर जख्मी होने के बाद भी कोई दखल नहीं ले रहे है. जो इस प्रशासन की मुघलाई प्रदर्शित कर रहा है.
इस जानलेवा हमले में गंभीर जख्मी आज भी अपने घर में ही इलाज करवा रहे है, लेकिन कोई वरिष्ठ अधिकारी या सम्बंधित कर्मी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा और न इस घटना का पंचनामा किया. इस सन्दर्भ में इस परिक्षेत्र के राउंड ऑफिसर धुरे से संपर्क करने पर उन्होंने खुद की जवाबदारी से हात झटकता हुआ जवाब दिया. जिसके बाद घटना के दूसरे दिन भी कोई कारवाही न कर के अपनी अकार्यक्षमता का प्रमाण दिया है. इस घटना को देखते हुए स्थानिको में भय के साथ रोष भी देखा जा रहा है. जिसमे वन विभाग के खिलाफ जल्द ही आंदोलन की तैयारी भी देखी जा रही है. साथ ही इन आक्रामक बंदरों को बंदिस्त कर जगलोंं में छोड़ ने की मांग स्थानिकों ने की है.
– विन्सेंट एस. चंदामी, चिखलदरा