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पुरातत्व वास्तुओ की जतन की पहल
अचलपुर/दि.6 – अचलपुर में भूलभुलैया वास्तु के रुप में पहचाने जाने वाले दत्त मंदिर के संवर्धन के प्रति पुरातत्व विभाग घोर अनदेखी कर रहा है. हालांकि स्थानीय नागरिकों की पहल से इस एतिहासिक वास्तु की देखरेख की जा रही है, लेकिन पुरातत्व विभाग को दुनिया के अजूबों में से एक इस वास्तु के जतन के लिए आगे आना चाहिए.
अचलपुर शहर को ऐतिहासिक धरोहर प्राप्त है. अनेक ऐतिहासिक वास्तुएं यहां हैं. जिसमें से अधिकांश वास्तुएं सांसें गिन रही हैं. इसी क्रम में दत्त मंदिर शामिल है. इस वास्तु का एक अलग महत्व है. नाम की तरह ही इस वास्तु में प्रवेश करने वालों को बाहर आने के लिए रास्ता खोजना पडता है. यही कारण है कि इसे भूलभुलैया के नाम से भी जाना जाता है. यह वास्तु चकाभूली मंदिर के नाम से भी पहचानी जाती है. 1999 तक यह वास्तु अंतिम सांसे ले रही थी. कई वर्षों से वास्तु की मरम्मत नहीं हो पाने से जर्जर अवस्था हो गई. जिसके कारण परिसर के नागरिकों ने अपने स्तर पर कुछ जगह मरम्मत की. इसके लिए क्षेत्रवासी किशोर गेरंज ने पहल की, लेकिन राज्य में ऐतिहासिक वास्तु का योग्य जतन करने का काम पुरातत्व विभाग का है.
आराध्य दत्त मंदिर समेत यहां 11 देवताओं के मंदिर हैं. दत्त मंदिर का निर्माण 750 स्केयर फीट में है. एक लोहे के पाल पर तीन मंजिला निर्माण देखते बनता है. आज के आधुनिक इंजीनियरों के लिए इसका निर्माण कार्य एक चुनौती है. प्रत्येक मंदिर के गर्भगृह में सूर्यप्रकाश आने की व्यवस्था है. साथ ही नाम की तरह मंदिर के भीतर जाने के लिए चक्रव्यूह की तरह रास्ते है. जिससे इस वास्तु के अंदर जाने वाला अकेला व्यक्ति सहसा घबरा जाता है.