अमरावती/दि.11 – जो मनुष्य जीवन में अत्याधिक क्रोध, गुस्सा करता है उसका जीवन बीमारियों से पीडित रहता है. हम अपने मन को जितना शांत रखेंगे उतना ही हमारा शरीर स्वस्थ्य रहेता है. क्रोध पर नियंत्रण पाने कोई भी दवाई काम नहीं कर सकती, किंतु क्षमा एक ऐसी दवाई है जो क्रोध व गुस्से को चंद मिनटों में शांत कर सकती है. अगर जीवन में क्रोध से दूर रहना है तो दूसरों को क्षमा करना सिखो. वीर व्यक्ति का क्षमा यह आभूषण होता है. क्षमा नामक आभूषण से अपने व्यक्तित्व को संवारे का प्रयास करने के आशीर्वचन मुनिश्री पुनितसागरजी महाराज ने कहे.
जैन धर्मावलंबियों का सबसे बडा 10 दिवसीय पर्व पर्यूषण महापर्व शुक्रवार से आरंभ हुआ. आचार्य 108 श्री विद्यासागजी महाराज के परम शिष्य मुनिश्री आगमसारगजी महाराज, मुनिश्री पुनितसागरजी महाराज तथा मुनिश्री सहजसागजी महाराज नगर में चार्तुमास हेतु दहीसाथ स्थित परवार मंदिर के षट्खंडागम भवन में विराजमान है. मुनि संघ के सानिध्य में सकल दिगंबर जैन समाज इन दिनों विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और क्रियाओं में मग्न है. शुक्रवार से प्रारंभ हुए पर्यूषण पर्व के अंतर्गत शहर में स्थित विभिन्न दिगंबर जैन मंदिरों में सुबह से ही पूजा अभिषेक, आरती, भजन-किर्तन आदि विभिन्न धार्मिक क्रियाएं उत्साह से शुरु हुई. सभी जैन मंदिरों में जैन श्रद्धालुओं की भारी भीड धर्मलाभ लेती नजर आई.
प्रात:कालीन धार्मिक क्रियाओं के बाद मुनिसंघ के सानिध्य में भी विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान प्रारंभ हुए. शुक्रवार को प्रात: 8.30 बजे षट्खंडागम भवन में मुनिसंघ के प्रवचन हुए. जिसका समस्त जैन श्रद्धालुओं ने मनोभाव से लाभ उठाया.