क्षमा यहीं सभी धर्मों का सार है ः मुनिश्री स्वात्मनंदीजी महाराज
साईनगर के जैन मंदिर में पर्युषण पर्व उत्साह से प्रारंभ
अमरावती-दि.1 क्षमा यहीं सभी धर्मों का सार है.इस विश्व के प्रत्येक मनुष्य के पास क्षमा रुपी शास्त्र होना अत्यावश्यक है. जिनके पास क्षमा करने की वृत्ति नहीं होती वह इस विश्व में इष्टकार्यों की सिद्धी नहीं कर सकता. ऐसा उद्बोधन मुमिश्री स्वात्मनंदीजी महाराज ने बुधवार 31 अगस्त को पर्युषण पर्व के प्रथम दिन क्षमा शास्त्र यानि क्या यह स्पष्ट करते हुए प्रवचन में किया.
इस समय प्रवचन में उन्होंने आगे कहा कि क्षमा यह आत्मा का धर्म है. इसलिए जो मानव आत्मकल्याण करने की इच्छा रखता हो, उसे हमेशा क्षमाभाव धारण करना आवश्यक होता है. क्षमाशील मनुष्य का इस पृथ्वीलोक व परलोक में कोई शत्रु नहीं होता. क्षमा यह सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन व सम्यक चारित्र्यरुपी आत्मा का सही भांडार है. पश्चात मुनिश्री स्वात्मनंदीजी महाराज ने आहार पर चर्चा की.
उनके प्रवचन से पूर्व दिगंबर जैन समाज के पर्वाधिराज पर्युषण पर्व का साईनगर के 1008 सुपार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में धार्मिक विधि पूर्वक अत्यंत उत्साह से प्रारंभ हुआ.
परमपूज्य वात्सल्य रत्नाकर 108 मुनिश्री स्वात्मनंदीजी महाराज के पावन सानिध्य में पर्युषण पर्व के पहले दिन श्रावक-श्राविकाओं की बड़ी उपस्थिति में क्षमा धर्म की आराधना कर मनाया गया. सर्वप्रथम भगवंतों की प्रतिमा का अभिषेक किया गया. इस समय अभिषेक में शांतीधारा करने का सौभाग्य नीता प्रमोद कुरुमकर को प्राप्त हुआ. पादप्रक्षालन एवं शास्त्रभेट करने का सौभाग्य मीना राजेन्द्र सावलकर को प्राप्त हुआ. दोपहर 2 बजे मुनिश्री स्वात्मनंदीजी महाराज के सानिध्य में शांतीविधान पूजन किया गया. शाम के सम विश्वस्त व चातुर्मास समिति की ओर से महाराज की आरती पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था.