* फिलहाल इच्छुकोें में संभ्रम
अमरावती/दि.2– इस समय अमरावती महानगरपालिका व जिला परिषद सहित जिले की कई नगर पालिकाओं का कार्यकाल खत्म हो चुका है. जिसके चलते संबंधित स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के पदाधिकारी व सदस्य अब भूतपूर्व हो गये है. साथ ही सभी संबंधित स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं पर प्रशासक की नियुक्ति की गई है, जिसके चलते संबंधित क्षेत्रों में अब कामकाज प्रशासक द्वारा देखा जा रहा है. हालांकि इस दौरान महानगरपालिका व नगर पालिकाओें की प्रारूप प्रभाग रचना को मंजूर किया गया और इस संदर्भ में आपत्ति व आक्षेप मंगवाये गये थे. किंतु महानगर पालिका व नगर परिषद अधिनियम में सुधार व संशोधन करने की वजह के चलते तय की गई प्रारूप प्रभाग रचना को रद्द करने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया. ऐसे में नगर पालिका के चुनाव अगले दो से चार माह के लिए टल गये है. जिसकी वजह से चुनाव लडने के इच्छूक उम्मीदवारों में काफी हद तक निराशा और संभ्रम का माहौल है.
बता दें कि, स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए विगत 6 माह से भाजपा, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस, मनसे, प्रहार तथा वंचित बहुजन आघाडी सहित सभी राजनीतिक दलों के नेता व कार्यकर्ता अपनी-अपनी तैयारी में जुट गये थे और अप्रैल माह के दौरान चुनाव होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए दावेदारों और इच्छुकों की तैयारी शुरू हो गई थी. किंतु सरकार द्वारा तैयार हो चुकी प्रारूप प्रभाग रचना को रद्द करने का निर्णय लिया गया और चुनाव के आगे टल जाने की चर्चा शुरू हो गई. जिसके चलते सभी दावेदारों की तैयारियां और गतिविधियां ठंडे बस्ते में चली गई है. किंतु बावजूद इसके चुनावी रेस में बने रहने हेतु सभी दावेदारों व इच्छुकों द्वारा अपने कार्यकर्ताओं व कार्यकर्ताओं से संवाद व मतदाताओं से संपर्क जारी रखा गया है. जिसके तहत पर्व एवं त्यौहारोें के अवसर पर अमरावती शहर सहित नगर पालिका क्षेत्रों में बधाई व शुभकामना के संदेशवाले बैनर व पोस्टर दिखाई देना बेहद आम हो गया है.
* घर-घर जाकर किया जा रहा संपर्क
यद्यपि महानगरपालिकाओं व नगर पालिकाओं के चुनाव फिलहाल अधर में लटके हुए है और चुनाव निश्चित रूप से कब होंगे यह फिलहाल कहा नहीं जा सकता है. लेकिन इसके बावजूद चुनावी रेस में बडी मजबूती के साथ मौजूद रहनेवाले कई भूतपूर्व पार्षदों व योग्य उम्मीदवारों द्वारा अपने जनसंपर्क अभियान को सतत जारी रखा गया है. जिसके तहत वे अब भी अपने मतदाताओं के घर-घर जाकर संपर्क कर रहे है. वहीं कई अन्य इच्छुकों की निगाहें नये सिरे से घोषित होनेवाले प्रभाग रचना की ओर लगी हुई है. उल्लेखनीय है कि, इस बार स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं की सदस्य संख्या बढेगी. ऐसे में चुनाव लडने के इच्छुकों की संख्या भी काफी अधिक देखी जा रही है.
* जनसमस्याओं की शिकायतें अब भी पूर्व पार्षदों के ही पास
भले ही महानगरपालिका व नगर पालिकाओं का कार्यकाल खत्म होने की वजह से अब सभी पदाधिकारी व सदस्य भूतपूर्व होकर अधिकार विहिन हो गये है तथा इस समय संबंधित स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं में प्रशासक राज चल रहा है. लेकिन बावजूद इसके आम नागरिकों द्वारा अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर पूर्व पार्षदों के पास ही शिकायतें दर्ज करायी जा रही है. जिसके चलतेे प्रशासन पर अपनी मजबूत पकड रखनेवाले पूर्व पार्षदों द्वारा अधिकारियों व कर्मचारियों से संपर्क करते हुए नागरिकों की समस्या को हल करने का प्रयास किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर प्रशासन पर कोई पकड नहीं रहनेवाले पूर्व पार्षदों द्वारा इस मामले को लेकर अपने भूतपूर्व हो जाने की वजह को आगे करते हुए अपने हाथ खडे कर दिये जा रहे है.