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पूर्व पार्षद भूयार ने किया राज्य सरकार का निषेध

गाडगेबाबा की दशसूत्री को दुबारा मंत्रालय में लगाये जाने की मांग उठाई

अमरावती/दि.4- तीन दिन पूर्व मुंबई स्थित मंत्रालय के मुख्य प्रवेश द्वार पर लगाये गये संत गाडगेबाबा के दशसूत्री फलक को शिंदे-फडणवीस सरकार द्वारा हटा दिया गया. यह सीधे-सीधे संत गाडगेबाबा के विचारों की अवहेलना करने की तरह है. जिससे संत गाडगेबाबा के प्रति आस्था रखनेवाले लोगों की भावनाएं आहत हुई है. अत: संत गाडगेबाबा की दशसूत्री को दुबारा मंत्रालय के मुख्य प्रवेश द्वार पर लगाया जाये. इस आशय की मांग उठाते हुए संत गाडगेबाबा प्रभाग के पूर्व पार्षद बालासाहब भूयार ने शिंदे-फडणवीस सरकार के कृत्य का निषेध किया है.
गाडगेनगर परिसर स्थित गाडगेबाबा समाधि मंदिर के समक्ष शिंदे-फडणवीस सरकार का निषेध करते हुए पूर्व पार्षद बालू भूयार ने कहा कि, राज्य की पूर्ववर्ती महाविकास आघाडी सरकार ने कर्मयोगी संत गाडगेबाबा की दशसूत्री को मंत्रालय के मुख्य प्रवेश द्वार पर अंकित करते हुए संत गाडगेबाबा के विचारों का सम्मान किया था. वहीं मौजूदा सरकार ने अपने कृत्य से संत गाडगेबाबा और उनके विचारों का अपमान किया है.
इस निषेध आंदोलन में पूर्व पार्षद बालू भूयार के साथ ही श्री वीरखरे, सुभाष देशमुख, प्रा. अभय ढोबले, दत्ता धावडे, भालचंद्र देशमुख, वानखडे, राजू गोमकाले, टोपले, बाबू भूयार, देवतारे गुरूजी, आमले, रवि बोंडे, प्रमोद तायडे, गावंडे, सुने, निचत, गुर्जर, यावलीकर, पोटे, दिलीप थेटे, शुभम सोनोने, जय देशमुख, निनाद महल्ले, नितीन काले, कुशल बेलसरे, कुणाल खेरडे, विशाल चव्हाण, ओम भाकरे, अनिकेत क्षीरसागर, मंगेश काकड, कैलाश किल्लेकर, वेदांत चारथल, तुषार चव्हाण, मयूर गौरखेडे सहित संत गाडगेबाबा प्रभाग के अनेकों वरिष्ठ नागरिक व युवक बडी संख्या में उपस्थित थे.

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