अमरावती

पूर्व न्यायमूर्ति पुष्पा गणेडिवाला सेवानिवृत्ति वेतन के लिए हार्ईकोर्ट में

निवृत्ति वेतन रोकने के आदेश को चुनौती

नागपुर/दि.1– देशभर में विवादित हुए ‘स्कीन टू स्कीन टच’ निर्णय देने वाले पूर्व न्यायमूर्ति पुष्पा गणेडिवाला ने सेवानिवृत्ति वेतन के लिए मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में रीट याचिका दायर की है.
उच्च न्यायालय व्यवस्थापक ने 2 नवंबर 2022 को विवादास्पद आदेश जारी कर गणेडिवाला को सेवानिवृत्ति वेतन के लिए अपात्र ठहराया है. इस पर गणेडिवाला की आपत्ति है. यह आदेश गैरकानूनी है. इस कारण यह आदेश रद्द करने और सेवानिवृत्ति वेतन शुरु करने की मांग गणेडिवाला की है. गणेडिवाला की शुरुआत में 26 अक्तूबर 2007 को जिला न्यायाधिश पद पर नियुक्ति की गई थी. पश्चात उन्हें 13 फरवरी 2019 को मुंबई उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायमूर्ति पद पर पदोन्नत किया गया. अतिरिक्त न्यायमूर्ति पद का कार्यकाल 2 साल का रहता है. इस दौरान का कार्य देखकर अतिरिक्त न्यायमूर्ति को सेवा में कायम किया जाता है. इसके मुताबिक सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम ने 20 जनवरी 2021 को गणेडिवाला को सेवा में कायम करने की केंद्र सरकार के पास सिफारिश की थी. गणेडिवाला ने 19 जनवरी 2021 को दिया ‘स्कीन टू स्कीन टच’ निर्णय बाद में चर्चा में आया. आगे कॉलेजियम ने गणेडिवाला को सेवा में कायम करने की सिफारिश पीछे लेकर उन्हें अतिरिक्त न्यायमूर्ति के रुप में 2 साल समयावधि बढाकर देने की सिफारिश की. लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें केवल 1 साल का समय बढाकर दिया. इस संदर्भ में 13 फरवरी 2021 को अधिसूचना जारी की गई. लेकिन पश्चात कॉलेजियम ने उन्हें सेवा में कायम करने अथवा अतिरिक्त न्यायमूर्ति के रुप में समय बढाकर देने की सिफारिश नहीं की. परिणामस्वरुप उन्होंने 11 फरवरी 2022 को इस्तीफा दिया और केंद्र सरकार ने 14 मार्च 2022 को यह इस्तीफा मंजूर किया. गणेडिवाला ने जिला न्यायाधीश संवर्ग के पद पर 11 वर्ष 3 माह 18 दिन तथा अतिरिक्त न्यायमूर्ति पर पद 2 वर्ष 11 माह 29 दिन कार्य किया है. परिणामस्वरुप उन्होंने सेवानिवृत्ति वेतन के लिए 17 फरवरी 2022 को अर्जी प्रस्तुत की थी. इस पर विवादास्पद आदेश जारी किया गया.

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