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पूर्व सांसद अडसूल एक बार फिर अपील दायर करने की तैयारी में

अब तक नहीं आया नवनीत राणा को लेकर ‘सुप्रीम’ फैसला

* अपने वकीलों से लगातार विमर्श कर रहे अडसूल
अमरावती/दि.14 – जिले की सांसद नवनीत राणा के जाति प्रमाणपत्र के मामले में विगत 29 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली थी और मामले को ‘क्लोज फॉर ऑर्डर’ कर दिया था. जिसके बाद उम्मीद जतायी जा रही थी कि, दो सप्ताह यानि 15 दिन के भीतर सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में अपना फैसला सुना दिया जाएगा और करीब 7-8 वर्षों से चल रहे इस मामले का अंतिम तौर पर पटापेक्ष हो जाएगा. परंतु सुप्रीम कोर्ट द्वारा विगत 29 फरवरी को इस मामले को ‘क्लोज फॉर ऑर्डर’ किये हुए आज बराबर 15 दिन बीत चुके है. लेकिन उसके बावजूद भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं सुनाया गया है. जिसके चलते जहां एक ओर सभी लोगों द्वारा इस मामले में आने वाले निर्णय की बेसब्री से प्रतीक्षा की जा रही है. वहीं दूसरी ओर इस मामले को लेकर अदालती लडाई शुरु करने वाले पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल द्वारा अब इस मामले में फैसला जल्द आने की मांग को लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की तैयार कर रहे है.
बता दें कि, अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित अमरावती संसदीय क्षेत्र से नवनीत राणा ने पहली बार वर्ष 2014 में राकांपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडा था. उस समय उनका मुकाबला तत्कालीन सांसद व भाजपा सेना युति के प्रत्याशी आनंदराव अडसूल के साथ हुआ था और आनंदराव अडसूल उस चुनाव में विजयी हुए थे. जिसके उपरान्त तत्कालीन सांसद आनंदराव अडसूल की ओर से उनके समर्थकों ने नवनीत राणा के जाति प्रमाणपत्र को मुंबई हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. जिस पर लंबे समय तक सुनवाई चलती रही. इसी दौरान वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव आ गया और इस बार भी अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित अमरावती संसदीय क्षेत्र से नवनीत राणा ने निर्दलिय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया और वे सांसद भी निर्वाचित हुई. वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा सेना युति के प्रत्याशी रहने वाले आनंदराव अडसूल को हार का सामना करना पडा था. जिसके बाद अडसूल एवं उनके समर्थकों ने एक बार फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए मुंबई एवं नागपुर हाईकोर्ट में अपील दायर की. जिस पर हुई सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने वर्ष 2021 में सांसद नवनीत राणा के जाति प्रमाणपत्र को अवैध करार देते हुए इसे जाति वैधता जांच समिति के पास जमा करा देने का आदेश सुनाने के साथ ही सांसद नवनीत राणा को 2 लाख रुपए का जुर्माना अदा करने का भी हुक्म सुनाया था. जिसके खिलाफ सांसद नवनीत राणा ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की थी और हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. वर्ष 2021 से अपने समक्ष लंबित रहने वाले मामले पर वर्ष 2024 के फरवरी माह में अंतिम सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे विगत 28 फरवरी को ‘क्लोज फॉर ऑर्डर’ कर दिया था. अमूमन ‘क्लोज फॉर ऑर्डर’ किये जाने के बाद अगले दो सप्ताह के बाद अदालत द्वारा किसी भी मामले में अपना फैसला सुना दिया जाता है. इसके चलते उम्मीद जतायी जा रही थी कि, 28 फरवरी को ‘क्लोज फॉर ऑर्डर’ होने के बाद सांसद नवनीत राणा के जाति प्रमाणपत्र के मामले को लेकर 13 अथवा 14 मार्च तक अपना अंतिम फैसला सुना दिया जाएगा. परंतु आज 14 मार्च बीत जाने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट से नवनीत राणा के जाति प्रमाणपत्र के मामले को लेकर कोई फैसला नहीं आया है. वहीं अब लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के साथ ही आचार संहिता लागू होने का वक्त भी नजदीक आ रहा है. जिसे ध्यान में रखते हुए पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल द्वारा इस मामले में जल्द से जल्द फैसला सुनाए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की तैयार की जा रही है. हालांकि पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल के सभी वकीलों में इसे लेकर एकमत नहीं है, बल्कि अडसूल की ओर से पैरवी करने वाले कुछ वकीलों का यह मानना है कि, मामले की सुनवाई तो पूरी हो ही चुकी है और अब फैसला आने में ही है. साथ ही पूरी संभावना है कि, आगामी लोकसभा चुनाव की नामांकन प्रक्रिया शुरु होने से पहले इसी महिने में इस मामले का अंतिम फैसला आ जाएगा. ऐसे में अब फैसले को लेकर अपील करने का कोई औचित्य नहीं बनता. वहीं पूर्व सांसद अडसूल व उनके समर्थक चाहते है कि, चूंकि ‘क्लोज फॉर ऑर्डर’ करने के बाद 15 दिन का अपेक्षित समय बीत चुका है. ऐसे में अब इस मामले में जल्द से जल्द फैसला होना चाहिए.

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