यूनियन बैंक के व्यवस्थापक सहित चार गिरफ्तार
गोल्ड लोन फ्रॉड मामले में आर्थिक अपराध शाखा की कार्रवाई
* पुलिस ने शिकायतकर्ताओं से आगे आने का किया आवाहन
* कई सराफा व्यवसायी भी पुलिस के राडार पर
अमरावती/दि.20- विगत अगस्त माह के दौरान राजापेठ स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के लॉकरों में से करीब 5 किलो 400 ग्राम नकली सोना पाये जाने का मामला उजागर हुआ था. इस मामले में कल सोमवार 19 सितंबर की शाम आर्थिक अपराध शाखा ने बैंक के तत्कालीन शाखा व्यवस्थापक जतीन प्रेमचंद कुंद्रा (34, अजमेर, राजस्थान) सहित गौरव पुरूषोत्तम शिंदे (42, महादेव खोरी), पवन अरूण तांडेकर (34, हमालपुरा) तथा सतीश भोजने (36, हमालपुरा) ऐसे कुल चार आरोपियों को गिरफ्तार किया.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक विगत एक माह से इस मामले की जांच चल रही थी और दो दिन पूर्व ही यूनियन बैंक की ओर से लेखा परीक्षण रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद आरोपियों के चेहरे स्पष्ट हुए. जिन्हें सोमवार की दोपहर राजापेठ पुलिस थाने में पूछताछ हेतु बुलाया गया और पूरा दिन चली पूछताछ के बाद हिरासत में लेते हुए राजापेठ थाने के लॉकअप् में डाल दिया गया. वहीं अब पुलिस द्वारा शहर के कुछ सुवर्णकारों व सराफा व्यवसायियों को भी अपने राडार पर लिया गया है. जिनकी इस असली व नकली सोने की अदला-बदलीवाले मामले में काफी महत्वपूर्ण भूमिका थी.
* क्या था पूरा मामला
बता दें कि, स्थानीय अकोली रोड परिसर के आंचल विहार कालोनी में रहनेवाले उज्वल मलसने नामक व्यक्तिने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की राजापेठ शाखा में अपना 100 ग्राम सोना गिरवी रखते हुए उस पर 3.30 लाख रूपयों का कर्ज लिया था और कर्ज की किश्त अदा करने के बाद जब बैंक में गिरवी रखे अपने सोने के आभूषण वापिस लिये, तो पता चला कि, उसे बैंक द्वारा नकली सोने के आभूषण दिये जा रहे है. ऐसे में उज्वल मलसने द्वारा बैंक के अधिकारियों व कर्मचारियों पर अपने साढे पांच लाख रूपये मूल्यवाले असली सोने के गहने हडप लिये जाने का आरोप लगाते हुए राजापेठ पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करायी गई थी. जिसके आधार पर राजापेठ पुलिस ने 12 अगस्त को बैंक के स्थानीय प्रबंधन के खिलाफ जालसाजी का मामला दाखिल किया था. पश्चात इस बैंक के और भी कुछ कर्जधारकों की ओर से बैंक प्रबंधन के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं को लेकर शिकायतें मिलनी शुरू हो गई थी. ऐसे में मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी गई. वहीं खुद बैंक प्रबंधन ने अपने स्तर पर बैंक का ऑडिट करवाना शुरू किया. जिसमें पता चला कि, बैंक के कई लॉकरों में रखे असली सोने के आभूषणों को गायब करते हुए वहां पर नकली सोने के आभूषण रखे गये है. यह जानकारी सामने आते ही बैंक के लॉकरधारकों व गोल्ड लोन कर्जधारकों में हडकंप मच गया. साथ ही सबसे सनसनीखेज जानकारी तो यह थी कि, गोल्ड लोन से संबंधित 22 मामले ऐसे है, जिनमें कोई कर्जधारक ही नहीं है. यानी जिन नामों पर कर्ज आवंटित दिखाया गया है, उस नाम के किसी व्यक्ति ने बैंक से कर्ज ही नहीं लिया है और उस व्यक्ति के नाम पर नकली सोने के आभूषण को गिरवी दर्शाते हुए बैंक द्वारा कर्ज भी आवंटित कर दिया गया. जाहीर है कि, बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना ऐसा करना संभव ही नहीं है. ऐसे में आर्थिक अपराध शाखा ने बैंक को उसकी ऑडिट रिपोर्ट मंगवायी और अब ऑडिट रिपोर्ट प्राप्त होते ही बैंक के तत्कालीन शाखा व्यवस्थापक सहित चार कर्मचारियों को जांच हेतु अपनी हिरासत में लिया है.
* 59 लॉकर्स में मारी गई थी सेंध
– 22 लॉकर्स का तो कोई खाताधारक ही नहीं
पुलिस सूत्रों के मुताबिक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की राजापेठ शाखा में कुल 59 लॉकर्स में से 5,400 ग्राम नकली सोना बरामद हुआ है. जिसमें से 37 लॉकर्स ऐसे है जिनमें 37 ग्राहकों द्वारा गोल्ड लोन प्राप्त करने हेतु गिरवी रखे गये 2,700 ग्राम असली सोने के गहने रखे हुए थे और कर्ज की अदायगी के बाद इन गहनोें को वापिस लौटाना है. लेकिन अब इन 37 लॉकर्स में से नकली सोने के आभूषण बरामद हुए है. ऐसे में गोल्ड लोन कर्जधारकों में हडकंप व्याप्त है. वहीं शेष 22 लॉकर्स में से भी 2,700 ग्राम नकली सोना बरामद हुआ है. सर्वाधिक हैरत की बात यह है कि, यह सोना जिन कर्जधारकों की ओर से गिरवी दर्शाया गया है, उन खाताधारकों ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से अपना कोई सोना गिरवी रखते हुए कर्ज ही नहीं लिया और उन्हें यह पता ही नहीं है कि, उनके नाम पर कोई कर्ज भी आवंटित है. जिसका ब्याज उनके सिर पर चढ रहा है. यानी बैंक से वास्ता रखनेवाले कुछ अधिकारियोें व कर्मचारियों ने जहां एक ओर बैंक के 37 कर्जधारक ग्राहकों का असली सोना हडप करते हुए उनके साथ जालसाजी की. वहीं दूसरी ओर 22 ग्राहकों के नाम फर्जी तरीके से लोन केस बनाकर बैंक के लॉकर में नकली सोना रखते हुए कर्ज की राशि हासिल कर उसे आपस में बांट लिया और इस जरिये अपनी ही बैंक को चुना लगाया. ऐसे में इस मामले में हर ओर से बैंक के तत्कालीन व्यवस्थापक व कर्मचारियों पर ही संदेह की सुई घुम रही है. जिसके चलते पुलिस ने तत्कालीन व्यवस्थापक के साथ ही तीन अन्य कर्मचारियों को अपनी हिरासत में लिया है.