अमरावती

चर्चित और अनसुलझे रह गए चार मामले

पुलिसिया जांच के बावजूद अब तक नहीं हो पाया राजफाश

अमरावती/ दि.28 – जारी वर्ष 2022 में कई ऐसे मामले रहे, जिने लेकर अच्छी खासी सनसनी मची रही और यह मामले लंबे समय तक चर्चा में रहे. सबसे खास बात यह रही कि, इनमें से कई मामले ऐसे भी रहे, जिनका लंबे समय तक चली पुलिसिया जांच के बावजूद भी राजफाश नहीं हो पाया. अब इन घटनाओं को लेकर रहस्य बरकरार है. विशेष उल्लेखनीय है कि, जारी वर्ष में ऐसी चार घटनाएं अकेले गाडगे नगर पुलिस थाना क्षेत्र में ही घटित हुई. जिनमें लाख प्रयासों के बावजूद भी पुलिस मामले की तहत तक नहीं जा सकी. इन मामलों में विद्याभारती छात्रावास में हुई आदर्श कोल्हे नामक छात्र की संदेहास्पद मृत्यु, राधा नगर परिसर के साई हेल्थ केअर एण्ड मल्टी स्पेशालिटी हॉस्पीटल में डॉ. प्रियंका दिवान की संदेहास्पद मौत, सम्मति कॉलोनी परिसर में मां-बेटी व्दारा दीपावली वाले दिन फांसी लगाकर की गई आत्महत्या तथा रत्नदीप कॉलोनी में अपने ही घर की छत पर पानी की टंकी में 28 वर्षीय युवती की लाश मिलने को प्रमुख घटनाएं कहा जा सकता हैं. यह चारों ही मामले अब तक अनसुलझे ही पडे है.

9 माह से अनसुलझा है डॉ. प्रियंका दिवान की हत्या का मामला
गाडगे नगर पुलिस थाना क्षेत्र के ही राधा नगर परिसर में स्थित डॉ. पंकज दिवान के साई हेल्प केअर एण्ड मल्टी स्पेशालिटी अस्पताल में डॉ. पंकज दिवान की तीसरी पत्नी डॉ. प्रियंका दिवान विगत 20 अप्रैल को संदेहास्पद रुप से मृत पायी गई. जिसे पुलिस ने पहले खुदकुशी का मामला समझा था. क्योंकि इससे पहले छह माह तक डॉ. प्रियंका व डॉ. पंकज दिवान लिव एण्ड रिलेशनशीप में रह रहे थे और डॉ. प्रियंका के शव के पास कुछ खाली सिरिंज व बेहोशी की दवा की शिशिया बरामद हुई थी. जिससे माना जा रहा था कि, शायद डॉ. प्रियंका ने बेहोशी की दवा का ओवर डोज लेकर खुदकुशी कर ली. परंतु डॉ. प्रियंका के परिजनों ने काफी हंगामा मचाते हुए आरोप लगाया था कि, डॉ. प्रियंका की हत्या की गई है और डॉ. प्रियंका के परिजनों ने इसके लिए डॉ. पंकज दिवान को जिम्मेदार बताया था. ऐसे में डॉ. प्रियंका के शव का पोस्टमार्टम अकोला में करवाया गया. जहां से मिली रिपोर्ट में सिर पर अंदरुनी चोट रहने को मौत की वजह बताया गया था. इस रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने डॉ. पंकज दिवान सहित उनकी मां व बहन के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया. साथ ही डॉ. पंकज दिवान और उनकी मां को गिरफ्तार भी किया गया, लेकिन 14 दिन की पुलिस कस्टडी में रहने के बावजूद भी मां-बेटे ने अपना मुंह नहीं खोला. उधर डॉ. पंकज की बहन लगातार फरार चल रही थी. जिसे पुलिस आखिर तक नहीं पकड पाई. साथ ही उसने हाईकोर्ट से जमानत भी प्राप्त कर ली. कुल मिलाकर डॉ. प्रियंका दिवान की संदेहास्पद मौत को लेकर हत्या का मामला तो दर्ज हुआ, आरोपियों की नामजदगी और गिरफ्तारी भी हुई, लेकिन अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि, आखिर किन वजह के चलते डॉ. प्रियंका दिवान की हत्या हुई.

आदिवासी छात्र आदर्श कोगे की संदेहास्पद मौत
स्थानीय गाडगे नगर पुलिस थाना क्षेत्र अंतर्गत विलास नगर स्थित विद्याभारती पिछडा वर्गीय छात्रावास में विगत 21 जुलाई को चिखलदरा तहसील अंतर्गत जामली गांव निवासी 12 वर्षीय विद्यार्थी आदेश नितेश कोगे की संदेहास्पद तरीके से मौत हो गई. जिसे लेकर काफी हंगामा मचा था. आदर्श कोगे के पिता ने पुलिस को बताया था कि, 21 व 22 जुलाई की देर रात करीब 3 बजे के आसपास उन्हें फोन पर मैसेज करते हुए उनके बेटे के साथ मारपीट किये जाने की जानकारी दी गई. पश्चात जब वे अमरावती पहुंचे, तो उन्हें अपने बेटे के शव पर मारपीट के निशान दिखाई दिये. कोगे परिवार की और से दर्ज कराई गई शिकायत पर गाडगे नगर पुलिस ने छात्रावास के मुख्याध्यापक व वार्डन को हिरासत में लेकर पूछताछ की. साथ ही छात्रावास में रहने वाले करीब 50 बच्चों के बयान दर्ज किये गए. वहीं इस बीच आदर्श कोगे की पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्राप्त हुई थी. जिसके मुताबिक आदर्श की मौत दम घुटने की वजह हुई थी. यह बात पता चलते ही आदर्श के परिजनों ने पुलिस थाने में जमकर हंगामा मचाया था. वहीं समाजकल्याण विभाग ने भी इस मामले को लेकर विद्याभारती पिछडा वर्गीय छात्रावास के प्रबंधन को कारण बताओ नोटीस भी जारी किया था, लेकिन पांच माह का समय बीत जाने के बावजूद भी अब तक आदर्श कोगे की संदेहास्पद मौत का मामला अनसुलझा ही पडा है.

शिक्षिका मां व अभियंता बेटी ने एकसाथ लगाई थी फांसी
गाडगे नगर पुलिस थाना क्षेत्र अंतर्गत सम्मति कॉलोनी में रहने वाली महिला शिक्षिका सुवर्णा वानखडे तथा केवल छह माह पहले इंजिनियरिंग की डिग्री प्राप्त उनकी बेटी मृणाली वानखडे ने लक्ष्मीपूजन वाले दिन ही अपने घर में एकसाथ फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. साथ ही इन दोनों ने आत्महत्या करने से पहले अपने घर से कुछ ही दूरी पर स्थित मंदिर में 16 तोले सोने के गहने व करीब पौने दो लाख रुपए नगद की रकम से भरी थैली ले जाकर मूर्ति के पीछे छोड दी थी. रुपए व गहनों से भरी थैली मंदिर के पूजारी को मिलने की वजह से ही इस मामले का खुलासा हुआ था. क्योंकि पुलिस इन्हीं गहनों के आधार पर बुधवार 26 अक्तूबर को सम्मति कॉलोनी स्थित वानखडे परिवार के घर तक पहुंची थी. जहां पर भीतर से बंद दरवाजे को जब जबरन खोला गया, तो मां-बेटी के शव कमरे में फंदे से लडके दिखाई दिये थे. साथ ही घर के भीतर लक्ष्मीपूजन का त्यौहार मनाने की तमाम तैयारियां भी दिखाई दी. जिससे अनुमान लगाया गया कि, संभवत: सुवर्णा वानखडे व उनकी बेटी मृणाल वानखडे ने सोमवार 24 अक्तूबर की शाम ऐन लक्ष्मीपूजन वाले समय फांसी लगाकर आत्महत्या की होगी. उस समय पुलिस ने सुवर्णा वानखडे के पति प्रदीप वानखडे को पूछताछ हेतु अपनी हिरासत में भी लिया था, लेकिन आखरी तक इस बात को लेकर संभ्रम बना रहा कि, यह मामला हत्या का है या आत्महत्या का. इसे लेकर लंबे समय तक अलग-अलग चर्चाएं चलती रही, लेकिन आखिर में यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया.

चार दिन से लापता युवती का शव मिला घर की टंकी से
गाडगे नगर पुलिस थाना अंतर्गत अर्जुन नगर परिसर की रत्नदीप कॉलोनी में रहने वाली अश्विनी खांडेकर नामक युवती 25 नवंबर से लापता थी. जिसकी खांडेकर परिवार के साथ-साथ गाडगे नगर पुलिस भी तलाश कर रही थी. परंतु इस युवती का कही कोई अता-पता नहीं चला. वहीं 29 नवंबर को अश्विनी खांडेकर की लाश उसके ही घर के छत पर स्थित पानी की टंकी में बरामद हुई. जो काफी बुरी तरह से सड गई थी. ऐसे में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मौत की वजह स्पष्ट नहीं हो पायी. जिसके चलते आज तक यह पता नहीं चल पाया है कि, यह हत्या का मामला था या फिर आत्महत्या का. हालांकि पुलिस ने अश्विनी के परिजनों व आसपडोस के लोगों के बयान दर्ज किये. साथ ही अश्विनी के मोबाइल का सीडीआर भी खंगाला, लेकिन एक माह बाद भी पुलिस किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच पायी है. जिसके चलते अश्विनी खांडेकर की संदेहास्पद मौत का मामला अब तक अनसुलझा है.

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