अमरावती

चार कोरोना योध्दाओं की हुई थी मौत, एक को भी नहीं मिली सरकारी सहायता

सानुग्रह मुआवजे की घोषणा हुई हवाहवाई

  • संबंधित परिवारों के नसीब में जद्दोजहद और संघर्ष

  • दो पुलिस कर्मियों सहित एक डॉक्टर व एक स्वास्थ्य कर्मी की संक्रमण के चलते गई थी जान

अमरावती प्रतिनिधि/दि.१५ – कोरोना संक्रमण काल के दौरान सरकार द्वारा घोषणा की गई थी कि, यदि कोरोना के खिलाफ जंग लड रहे किसी भी व्यक्ति की इस संक्रमण की वजह से मौत होती है, तो उसके परिजनों को ५० लाख रूपये की सरकारी सहायता दी जायेगी. अमरावती जिले में अब तक दो पुलिस कर्मियों सहित एक डॉक्टर व एक स्वास्थ्य कर्मी ऐसे चार कोरोना योध्दा दूसरों की सेवा करने के दौरान कोरोना संक्रमण की चपेट में आये और इस संक्रमण की वजह से उनकी मौत हो गयी. किन्तु इन चारों में से किसी के भी परिवार को अब तक सरकारी सहायता की राशि प्राप्त नहीं हुई है और उन्हें सहायता देने का प्रस्ताव सरकारी स्तर पर प्रलंबित पडा हुआ है. ऐसे में अब संबंधित परिवारोें के नसीब में सरकारी सहायता पाने की आस, जद्दोजहद और संघर्ष जगह बना चुके है. बता दें कि, स्थानीय सिटी कोतवाली पुलिस थाने में कार्यरत ५१ वर्षीय महिला पुलिस कर्मचारी की ३ जुलाई को कोरोना संक्रमित होने के बाद मौत हो गयी थी. वहीं पुलिस मुख्यालय के कंट्रोल रूम में कार्यरत एक सहायक पुलिस उपनिरीक्षक की जान भी इस संक्रमण की वजह से गयी. इसके अलावा इर्विन अस्पताल में एमडी पैथालॉजीस्ट के तौर पर कार्यरत सात माह की गर्भवती ३३ वर्षीय महिला डॉक्टर ने २० सितंबर को इलाज के दौरान नागपुर में दम तोडा था.

इससे पहले डफरीन अस्पताल में सुपरवाईजर के तौर पर काम करनेवाली ५८ वर्षीय महिला की भी १५ जुलाई को नागपुर में इलाज के दौरान मौत हुई थी. उस समय इन चारों मौतों को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन सहित आम नागरिकों ने जमकर सहानुभूति दिखायी थी और प्रभावित परिवारों को जल्द से जल्द सरकारी सहायता दिये जाने की भी बात हुई थी. लेकिन हकीकत यह है कि, अब तक इन चारों में से किसी भी एक परिवार को सरकारी सहायता प्राप्त नहीं हुई है और इन सभी को सरकारी सहायता देने के प्रस्ताव राज्य सरकार के स्तर पर प्रलंबित पडे है. इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक कोतवाली पुलिस स्टेशन की महिला पुलिस कर्मी का प्रस्ताव मंजूर हो गया है और निधी भी उपलब्ध हो गयी है. किन्तु अब तक वारसा हक्क प्रमाणपत्र के अभाव में यह सहायता दी नहीं गयी. वहीं अन्य तीनों मामलोें में प्रस्ताव अब भी सरकारी लालफीताशाही में अटके पडे है. जिसकी वजह से अपने परिवारों की चिंता छोडकर दूसरों की चिंता और फिक्र करनेवाले कोरोना योध्दाओं के परिवार आज विपरित हालात में गुजर रहे है और सरकारी सहायता प्राप्त करने के लिए जद्दोजहद व संघर्ष कर रहे है.

  • इन चार कोरोना योध्दाओं के है मामले

महिला पुलिस कर्मचारी : सिटी कोतवाली पुलिस थाने में ड्यूटी पर तैनात रहने के दौरान ५१ वर्षीय महिला कोरोना संक्रमित हुई थी. जिसकी ३ जुलाई को मौत हो गयी थी. इस मामले में ५० लाख रूपयों का प्रस्ताव सरकार की ओर से मंजूर कर लिया गया है, लेकिन वारसाहक्क प्रमाणपत्र के अभाव में अब तक सहायता नहीं दी जा सकी है. ऐसी जानकारी एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा दी गई.

पुरूष एएसआय : मूलत: दर्यापुर तहसील निवासी तथा अमरावती पुलिस मुख्यालय में एएसआय के रूप में तैनात व्यक्ति ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण की चपेट में आया और उनकी ११ सितंबर को मौत हो गयी. पश्चात पुलिस आयुक्त कार्यालय द्वारा संबंधित व्यक्ति के परिवार को ५० लाख रूपये की सहायता देने का प्रस्ताव सरकार की ओर भेजा गया. लेकिन अब तक संबंधित परिवार को कोई सहायता नहीं मिली. इस मृतक अधिकारी की पत्नी गृहिणी है और वे अपने घर में अकेले कमाउ सदस्य थे. जिनके निधन पश्चात परिवार आज कई दिक्कतोें से जूझ रहा है.

महिला डॉक्टर : इर्विन अस्पताल में एमडी पैथॉलाजीस्ट के रूप में कार्यरत ३३ वर्षीय महिला चिकित्सक की कोरोना संक्रमण के चलते २० सितंबर को मौत हुई थी. वे सात माह की गर्भवती भी थी. उनका ५० लाख रूपयों का बीमा प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग ने पुणे स्वास्थ्य संचालक कार्यालय में भिजवाया था. किन्तु इस मामले में अब तक कुछ भी नहीं हुआ. वहीं मृतक महिला डॉक्टर के वृध्द पिता को बार-बार पुणे कार्यालय से संपर्क करते हुए फालोअप करना पड रहा है.

महिला स्वास्थ्य कर्मी : जिला स्त्री अस्पताल में सुपरवाईजर पद पर कार्यरत ५८ वर्षीय महिला स्वास्थ्य कर्मी को कोरोना संक्रमित होने के बाद अमरावती से नागपुर रेफर किया गया था. जहां पर उनकी १५ जुलाई को मौत हो गयी. इस मामले में भी डफरीन अस्पताल द्वारा ५० लाख रूपयों का प्रस्ताव सरकार की ओर भेजा गया है, लेकिन उनके उत्तराधिकारियों को अब तक कोई मदद नहीं मिली है.

सरकारी स्तर पर यदि कुछ दस्तावेजों की त्रृटी रह गयी है, तो उसे पूर्ण करने हेतु संबंधित विभाग को सुचित किया जा चुका है. साथ ही प्रस्तावों के संदर्भ में आवश्यक फालोअप भी शुरू है. – डॉ. नितीन व्यवहारे निवासी उपजिलाधीश, अमरावती

  • ४ लोगों की कोरोना से लडते समय मौत
  • ० परिवारों को मिली सरकारी सहायता
  • क्यों नहीं मिली मदद
  •  प्रस्ताव सरकारी स्तर पर प्रलंबित
  • कुछ लोगों का वारसा हक्क प्रमाणपत्र सरकारी यंत्रणा को अप्राप्त
  • सरकारी यंत्रणा द्वारा मृतकों के दस्तावेजों की सघनता से जांच

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