एसआरपीएफ जवान को भर्ती करने से चार अस्पतालों ने किया इनकार
जिला सामान्य अस्पताल के कर्मचारी की ओर से भी टालमटोल जवाब
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कार्रवाई होगी क्या?
अमरावती प्रतिनिधि/दि.१८ – राज्य के आरक्षित बल गुट क्रमांक ९ में कार्यरत एक जवान को अपने काम पर रहते हुए अचानक बुखार आ गया. उसे अपने आप में कमजोरी महसूस होने लगी जिससे वह अस्पताल में भर्ती होने के लिए चार अस्पताल में घुमा. लेकिन उसे भर्ती करने से मना किया. आखिर वे जिला सामान्य अस्पताल पहुंचा लेकिन उसे वहां से भी उसे भर्ती करने के लिए मना किया गया. इतने संघर्ष करने के बाद उसे भर्ती किया गया. एस.व्ही.गिरापुंजे ऐसा उस एसआरपीएफ जवान का नाम है. उसे कोरोना होने का संदेह होने से उससे ऐसा व्यवहार किया गया. इस मामले में प्रशासन क्या कार्रवाई करेगा, यह जानना है.
कोरोना विषाणु का प्रभाव बढ़ जाने की पृष्ठभूमि पर सामान्य मरीज की निजी अस्पताल में क्या दशा होती है यह समझ में आ रहा है. एस.आर.पीएफ जवान गिरापुुंजे की कमजोरी को देखते हुए उस पर योग्य उपचार होना चाहिए. इसके लिए निजी अस्पताल को प्रधानता दी है. झेनिथ, महावीर,दयासागर व पीडीएमसी इन चार अस्पताल में उसे उपचार के लिए भर्ती नहीं किया गया. उसे जिला सामान्य अस्पताल में भी उसे भर्ती करने से इनकार किया गया. उसे बुखार और कमजोरी होने पर उसे कोरोना का मरीज समझकर उसके साथ तुच्छ व्यवहार किया गया.
इर्विन में बाह्यरूग्ण विभाग में भी स्टाफ की तरफ से उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया गया. आखिर उसने डॉ. लोहकपुरे से संपर्क किया. उसके बाद कुछ देरी के बाद उसे इर्विन अस्पताल में भर्ती किया गया. कोरोना योध्दा के रूप में अपनी भूमिका निभानेवाले पुलिस कर्मचारियों को भी निजी अस्पताल के समान जिला सामान्य अस्पताल मेें भी ऐसा व्यवहार किया जाये तो सामान्य लोगों का क्या हाल होगा, ऐसा सवाल इस घटना से उपस्थित हुआ है.कोरोना सारी का मरीज समझकर मना किया
निजी दवाखाने में कोरोना, सारी का मरीज होने से बेड उपलब्ध न होने का कारण बताकर भर्ती करने से इनकार किया, ऐसा गिरापुंजे ने बताया. लेकिन इस संबंध में यह सवाल उठ रहा है कि आपत्ति व्यवस्थापन कानून लागू है. यदि कोई कोरोनाग्रस्त हो तो भी उसका तत्काल उपचार किया जाना चाहिए. यह उसका अधिकार है. यदि उसका उपचार करने के लिए मना किया जाता है तो क्या शासन मौन रहेगा क्या?कोरोना के कारण शासकीय अस्पताल पूरे भरे हुए है.
एसआरपी एफ जवान के साथ ऐसा व्यवहार ठीक नहीं है. इस संबंध में दखल ली जायेगी. इर्विन में ड्यूटी पर रहनेवाले कर्मचारियों की जांच की जायेगी.
श्यामसुंदर निकम
जिला शल्य चिकित्सक,
जिला सामान्य अस्पतालजवान गिरीपुंजे यह मरीज छुट्टी पर होने का एसआरपीएफ में दर्ज है स्वास्थ्य के संबंध में यदि उसने एसआरपीएफ प्रशासन की मदद ली होती तो उसे मेडिकल ऑफिसर के माध्यम से उसकी अलग व्यवस्था की जा सकती थी. किंतु उसने संपर्क नहीं किया.
प्रभाकर शिंदे, उपसमादेशक,
एसआरपीएफ, अमरावती