अमरावतीमहाराष्ट्र

1500 नागरिकों के लिए दो टैंकर की चार फेरिया

फिर भी बुझ नही रही प्यास

* मेलघाट परिसर के खडीमल गांव में गहराया जलसंकट
अमरावती/दि.04— जिले के मेलघाट परिसर के खडीमल गांव अभी भी जलसंकट से जुझ रहा है. यहां की महिला पानी के लिए जो यातना भोग रही है. वह हम कल्पना में भी नहीं सोच सकते. दिन भर पानी के लिए इधर-उधर भटकने के बाद जैसे-तैसे दो गुंड पानी मिलता है. ऐसी भीषण परिस्थिती में यह गांव है. यह तकलीफ यहां रुकती नहीं तो पानी मिल जाए, इसके लिए गांववासियों को तडके सुबह जाग जाना पडता है. खडीमल में फिलहाल में टैंकर से जलापूर्ती शुरु है. दिन में दो फेरी शुरु है. सिर्फ 1500 जनसंख्या वाले इस गांव में दो टैंकर पानी नहीं पुरता है. जलस्त्रोत सुखने के कारण दुर से गड्ढे से पानी लाना पडता है. इस दूषित पानी को पीने के कारण टायफाइड जैसे भयानक बिमारी यहां के लोगों को हो रही है.

अल सुबह से खडीमल गांव मे महिलाएं टैंकर का रास्ता देखते हुए बैठी रहती है. टैंकर आया कि गांववासियों की भागदौड शुरु हो जाती है. टैंकर के पानी से गांव में विवाद, धक्का-मुक्की हमेशा की बात हो चुकी है. जिसके कारण टैंकर का पानी कुंए में खाली किया जाता था. टैंकर का पानी कुंए में छोडा कि कुएं में पानी निकालने के लिए सैकडो हंडी,डब्बे, बालटी कुएं में तैरती नजर आती थी और चंद मिनटों में ही कुएं का पानी भी खत्म हो जाता था. अपनी जान की बाजी गांववासी पानी खिचते थे. जिसके कारण पानी गंदा व वेस्ट भी होता था. जिसको देखते हुए अब एक टैंकर कुएं में डाला जाता है तो दुसरे टैंकर की फेरी से पानी वितरण किया जाता है.

टैंकर आया कि सुखे पडे खडीमल गांव के रास्तो पर लोग भागते नजर आते है. धक्का-मुक्की, वाद-विवाद जैसी बाते यहां आम हो चुकी है. खडीमल में दिन में दो बार या तीन बार इस क्रम में टैंकर आता और जाता है. दिन में 5 हजार लिटर के दो टैंकर गांव में आते है. मगर 1हजार 500 जनसंख्या वाले खडीमल की प्यास बुझ नहीं रही है. अमरावती से सेमाडोह तक डांबरीकरण हुए पक्के रास्ते है. यहां से खडीमल गांव सिर्फ 26 किमी की दूरी पर है. फिर भी यहां पर भीषण जल किल्लत है. सुबह खाली हुए टैंकर दोबारा भर कर शाम को 4 से 5 बजे के दौरान आता है. टैंकर में भरा हुआ पानी खत्म होते ही खडीमल के नागरिक पैदल ही पहाड खंडहरो में पानी की खोज के लिए निकलते है. तीन से चार किमी दूर नदी पात्र पर झिरी से पानी भरने की कसरत शुरु होती है. दो हंडी भरने के लिए आधा से एक घंटे का समय इंतजार करना पडता है. ऐसी जानकारी खडीमल के दहीकर ने दी.

जलकिल्लत के कारण अनेक समस्याएं
खडीमल गांव में जलापूर्ती की कमी के कारण अनेकों को कई बार पानी के लिए रोजगार छोडना पडता है. विवाह समारोह व सामाजिक कार्यक्रम नहीं लिए जा सकते. ऐन समय पर गांव में किसी की मौत हो गई तो अंतिम संस्कार आने वाले लोगों को पानी नहीं पिलाया जा सकता है. यहां तक भी स्थिती नहीं है. टैंकर में पानी साफ है या नहीं. टैंकर का पानी कुएं में डाला जाता है. कुएं में पहले ही गाल व कचरा रहने के कारण वह पानी दूषित हो जाता है. जिसके कारण गांववासियों को टाईफाईड, पीलिया जैसी घातक बिमारी का सामना करना पडता है. यहां पीलिया के बहुत से मरीज है. पानी साफ करके पीने की अनुमती देनी चाहिए. मगर यहां होता नहीं है. जिसके कारण विभिन्न बिमारी का सामना ग्रामिणों को करना पडता है. इस तरह की हकीकत यहां के समाजसेवकों ने बताई.

* 1996 से जलकिल्लत
पिछले 28 वर्षो से मेलघाट के आदिवासी बंधू पीने के पानी के लिए वन-वन भटकते है. खडीमल गांव में 1996 से पानी की समस्या है. वर्तमान में यह गंभीर बन चुकी है. यहां टैंकर की बजाए स्थायीरुप से उपायजोजना करने, समय पर पानी देने वाली प्रशासन की घोषणा सिर्फ घोषणा ही रह गयी है. जलकिल्लत कब खत्म होगी इस बारे में प्रशासन व जनप्रतिनिधि चुप बैठे है.
एड. बंड्या साने, अध्यक्ष खोज संस्था, मेलघाट

* 8 गांवो में 11 टैंकर शुरू
जिले के आठ गांव में 11 टैंकर शुरू है. चांदूर रेल्वे तहसील के सावंगी मग्रापुर में एक टैंकर व चिखलदरा के 7 गांवों में दस टैंकर शुरू है. जिसमें खडीमल में दो टैंकर सुबह व शाम को दो समय फेरी होती है. इसी तरह धर्मकोट, आकी, बहादरपुर, गौरखेडा बाजार, बेला, मोथा इन गांव में टैंकर शुरू है.
सुनील जाधव, कार्यकारी अभियंता ग्रामीण जलापूर्ती विभाग जिप.

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