अमरावतीमहाराष्ट्र

केरोसीन और गैस एजंसी के नाम पर आदिवासी महिला से धोखाधडी

संबंधित महिला काट रही बीपीसीएल कंपनी के चक्कर

* 7.61 लाख रुपए हुआ खर्च
अमरावती/दि.20– भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमीटेड की तरफ से केरोसीन एजंसी के नाम एक आदिवासी महिला के साथ ठगी हुई है. केरोसीन डेपो का निर्माण करने के लिए जगह खरीदी, लेकिन इस आदिवासी महिला को कोई केरोसीन का कोटा और ना ही कोई गैस एजंसी मिली. अब यह महिला करारनामा के मुताबिक खर्च हुए 7.61 लाख रुपए वापस मिलने के लिए बीपीसीएल कंपनी के चक्कर काट रही है. अन्यायग्रस्त आदिवासी महिला का नाम अनुसया मते है.

रत्नागिरी जिले के मंडनगढ निवासी अनुसया मते को आदिवासी महिला आरक्षित कोटे से वर्ष 2000 में बीपीसीएल की तरफ से केरोसीन एजेंसी मंजूर हुई. पश्चात वर्ष 2001 में कंपनी ने उसे 2 लाख 20 हजार रुपए खर्च कर जगह खरीदी करने कहा. इसके मुताबिक उसने जगह खरीदी की. यह जगह बीपीसीएल कंपनी ने नाममात्र 1500 रुपए प्रति माह किराए के करार से लेकर वहां केरोसीन डेपो का निर्माण किया. 2003 से अनुसया मते को केरोसीन का 60 केएल कोटा वितरण के लिए दिया गया. बीपीसीएल के नियम के मुताबिक कम से कम 144 केएल का कोटा देना अपेक्षित था. लेकिन वह कभी नहीं दिए जाने पर आपत्ति ली गई है. वर्ष 2023-24 से बीपीसीएल कंपनी में कोई भी कोटा वितरण के लिए नहीं दिया. इस कारण आदिवासी महिला पर बीपीसीएल ने अन्याय किया है.

* गैरआदिवासी को दी गैस एजेंसी
वर्तमान में गैस का इस्तेमाल होता रहने से केरोसीन एजेंसीया बंद पडी है. इस कारण अनुसया मते ने कंपनी के पास कोको पंप मंडनगढ की गैस एजेंसी और पुणे (धनकवडी) की गैस एजेंसी की मांग की थी. लेकिन बीपीसीएल कंपनी ने कोको पंप मंडनगढ की गैस एजेंसी अनुसया मते को नहीं दी. वहीं पुणे (धनकवडी) की मांग की गई गैस एजेंसी पंकज गोपाल वाघमारे नामक गैरआदिवासी को देकर उस पर अन्याय किया है.

* करार के मुताबिक खर्च कंपनी का नुकसान लाभार्थी पर
बीपीसीएल के साथ हुए करार के मुताबिक खर्च कंपनी को करना अपेक्षित है. लेकिन कंपनी द्वारा खर्च न किए जाने से वह खर्च लाभार्थी ने किया. बिजली बिल, ग्रामपंचायत कर और देखरेख खर्च मिलाकर 7 लाख 61 हजार 55 रुपए अनुसया मते ने खर्च किए है. अब तक हुए खर्च की मांग कंपनी से की गई है. लेकिन उन्हें एक रुपया भी नहीं मिला है.

* अब तक न्याय नहीं मिला
अब तक लाभार्थियों को हुए अतिरिक्त खर्च के पैसो की मांग बीपीसीएल के पास बार-बार की गई है. बीपीसीएल द्वारा कोई भी प्रतिसाद न दिए जाने से राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पास 5 अक्तूबर 2021 को शिकायत दर्ज की गई. अब तक अन्यायग्रस्त को न्याय नहीं मिला है.
– एड. प्रमोद घोडाम
संस्थापक अध्यक्ष, ट्रायबल फोरम, महाराष्ट्र.

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