अमरावतीमहाराष्ट्र

पक्षी संवर्धन के लिए दाना पात्र का नि:शुल्क वितरण

स्वयं खर्च से तैयार किए दाना पात्र, जलपात्र शोभनीय वस्तु न बनाए

अमरावती/ दि. 20-कुछ वर्ष पहले चिडिया सभी के घरों में दिखाई देती थी. उनके पात्र में भोजन देते समय माता बहने चिडिया से बोलती थी. परंतु आज चिडिया आधुनिक कारणों के साथ कोई न कोई कारण से संकट में आ गई है. जिसके कारण उसके दर्शन भी दुर्लभ हो गये.
हमने ही इन चिडियों को हमसे दूर कर दिया है. इन दूर की गई चिडियों के संसार में बहार लाने के लिए फिर हमारे घर वापस आओ, चिडिया ऐसे कहने की नौबत अब हमें आ गई है. चिडियों के कम हो जाने की समस्या पर बोलनेवाले अनेक लोग है. किंतु उस पर उपाय खोजने वालों की संख्या केवल गिनती की ही है. उनमें से एक यानी निसर्ग प्रेमी राजेंद्र इसाने ने पक्षियों का अस्तित्व बनाए रखने के लिए तथा इस सजीव सृष्टि में उनका भी स्थान अबाधित रहे इस उद्देश्य से इसाने 25 से 30 वर्ष से चिडियों के साथ अन्य पक्षियों के लिए दान पात्र तैयार करके उनका नि:शुल्क वितरण करते है. वे कृषि विभाग से निवृत्त हुए है. इन कार्य में उनका बेटी का भी सहभाग रहता है. शहर में चिडियों की संख्या बहुत कम हो गई है. वह संख्या बढाने के लिए वे प्रयास कर रहे है. इसके लिए उन्होंने अभी तक दान पत्र तैयार कर नागरिकों को नि:शुल्क वितरित किए. इसकी गिनती न होने का उन्होंने बताया.

* इससे अगली पीढी भी चिडिया देख सकेगी
चिडियों का संरक्षण व संवर्धन होने के लिए प्रयास की आवश्यकता है. पक्षी यह समाज के लिए ही नहीं तथा उनका वैभव भी टिकाना आवश्यक है. यदि हर इंसान चिडिया को बचाने का प्रयास करेगा तो भावी पीढी भी चिडिया को देख सकेगी. किंतु दान पात्र, जल पात्र शोभा की वस्तु न बनाए. ऐसा आवाहन राजेन्द्र इसाने ने किया है. इसाने विगत कई वर्षो से दर्यापुर में कला जत्था इस ग्रीष्मकाल शिविर का नि:शुल्क आयोजन करते है. जिससे विद्यार्थियों को मिट्टी के काम, चित्रकला, वॉटर पेंटिंग सहित पक्षियों के लिए दाना पात्र कैसे बनाए इसका प्रशिक्षण देते है. इसके अलावा जिसकी इसमें रूचि हो तो नि:शुल्क प्रशिक्षण देते है. यह काम केवल एक ही इंसान नहीं कर सकता. इसके लिए सभी को प्रयास करना चाहिए. इस उद्देश्य से दाना पात्र स्वयं तैयार करने के इच्छुक को नि:शुल्क प्रशिक्षण देते है.

 

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