अमरावती

100 यूनिट तक नि:शुल्क बिजली की उम्मीद हुई धूमिल

अध्ययन समूह का कार्यकाल हुआ खत्म

अमरावती/दि.12 – राज्य के उर्जामंत्री नितीन राउत द्वारा दिया गया एक और आश्वासन ‘टांय-टांय फिस्स’ साबित होने जा रहा है. क्योंकि लॉकडाउन काल के दौरान जारी हुए बिजली बिलों में राहत मिलने की आशा खत्म होने के बाद अब 100 यूनिट तक नि:शुल्क बिजली मिलने की उम्मीद भी धूमिल होती दिखाई दे रही है. इस बात को लेकर निर्णय लेने हेतु 13 सदस्यों का अध्ययन समूह गठित किया गया था, लेकिन इस समूह का कार्यकाल भी खत्म हो गया है. परंतू रिपोर्ट तो काफी दूर की बात है, इस समूह के कार्यकाल को बढाने के संदर्भ में भी कोई कदम नहीं उठाये गये है.
बता दें कि, इस संदर्भ में विचार-विमर्श व निर्णय हेतु उर्जा मंत्री डॉ. नितीन राउत के निर्देशानुसार राज्य उर्जा विभाग के प्रधान सचिव ने विगत 22 अप्रैल को 13 सदस्यीय अध्ययन समूह की स्थापना की थी. इस समूह को तीन माह में अपनी रिपोर्ट पेश करनी थी. किंतु कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए लागू किये गये लॉकडाउन की वजह से ऐसा करना संभव नहीं हो पाया. पश्चात 5 जुलाई को इस समूह का कार्यकाल एक माह के लिए बढाया गया, जो अगस्त माह में खत्म हो गया. इस समय तक अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी, लेकिन इसके बावजूद इस अध्ययन समूह का कार्यकाल बढाने की घोषणा नहीं की गई. पश्चात विगत मंगलवार को इस समूह के सदस्यों की ऑनलाईन बैठक संपन्न हुई, लेकिन चूंकि समिती का कार्यकाल ही खत्म हो चुका है. ऐसे में समिती सदस्य काम कैसे कर सकते है, यह सवाल भी उठाया गया. जिसके बाद उर्जा सचिव ने इस पर एक उपसमिती की स्थापना करने की बात कहते हुए मामले को शांत करने हेतु दो दिनोें में समूह के कार्यकाल को बढाने का आश्वासन दिया. लेकिन इसमें भी आगे कुछ भी नहीं हुआ. सर्वाधिक आश्चर्य की बात यह है कि, विगत 22 अप्रैल को गठित इस समूह की इतने लंबे समय बाद यह पहली बैठक थी. यानी कार्यकाल जारी रहने के दौरान इस समूह की कोई बैठक नहीं हुई और जब पहली बैठक बुलायी गयी, उस समय तक समूह का कार्यकाल ही खत्म हो चुका था. ऐसे में इस बैठक का कोई औचित्य ही नहीं बचा.

7500 करोड का पडेगा आर्थिक बोझ

यदि राज्य सरकार द्वारा 100 यूनिट तक बिजली नि:शुल्क दी जाती है, तो राज्य के 30 लाख ग्राहकों को इसका लाभ मिलेगा. साथ ही इसकी वजह से सरकार पर करीब 7 हजार 500 करोड रूपयों का आर्थिक बोझ पडेगा. समूह में शामिल सदस्यों का कहना रहा कि, महावितरण अपने अकेले के दम पर यह बोझ सहन नहीं कर सकता है. अत: इसमें राज्य सरकार को मदद करनी पडेगी. ऐसे में अब 100 यूनिट तक की नि:शुल्क बिजली देने को लेकर गेंद पूरी तरह से राज्य सरकार के पाले में है.

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