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रोगायो अधिकारी प्रमोद निंभोरकर की मौत से मचा हंगामा
अमरावती/दि.30 – सर मेरी एक निवेदन है, मुझे मुक्त करो, मैं आत्महत्या कर रहा हूं और अपने परिवार को छोडकर जा रहा हूं. मेरे बच्चे का दूध तक छिन लिया गया है. आपके पास प्रस्ताव आने के बाद आपने भी मुझे कोई मौका नहीं दिया. मौका दिया रहता, तो मैं संभल सकता था. यह बात फोन पर रोते-रोते उपजिलाधीश राम लंके से कहनेवाले तिवसा पंचायत समिती के रोजगार गारंटी योजना विभाग में ठेका पध्दति पर कार्यरत तकनीकी अधिकारी प्रमोद निंभोरकर ने कही थी और इस समय यह ऑडिओ क्लिप सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. जबकि इस समय तक प्रमोद निंभोरकर की वरूड के निकट बेनोडा पुलिस थानांतर्गत मोर्शी-वरूड मार्ग पर एक सडक हादसे में मौत हो चुकी है. ऐसे में अब सबसे बडा सवाल यह है कि, निंभोरकर की मौत सडक हादसे में हुई या फिर उन्होंने खुद को हादसे का शिकार बनाते हुए आत्महत्या की. वहीं इस ऑडिओ क्लिप और मौत की वजह से रोजगार गारंटी योजना विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार की जानकारी भी सामने आयी है.
सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि, रोजगार गारंटी योजना के उपजिलाधीश राम लंके को फोन कर गटविकास अधिकारी द्वारा नौकरी से कार्यमुक्त किये जाने के चलते तनाव होने की वजह से खुद के द्वारा आत्महत्या किये जाने की बात फोन पर कहने के कुछ ही घंटे के भीतर प्रमोद निंभोरकर की सडक हादसे में मौत हुई. ऐसे में यह वाकई आत्महत्या अथवा निंभोरकर ने तनावपूर्ण मानसिकता के तहत खुद को हादसे का शिकार बनाया, इसे लेकर संभ्रम देखा जा रहा है.
पता चला है कि, रोगायो के तकनीकी अधिकारी प्रमोद निंभोरकर ने उपजिलाधीश राम लंके को फोन पर अपनी व्यथा बताने के साथ ही कहा कि, तिवसा पंचायत समिती के गट विकास अधिकारी डॉ. चेतन जाधव सिंचाई कुएं की प्रत्येक फाईल की पीछे उन्हें पांच हजार रूपये जमा करने के लिए कहते थे और ऐसा नहीं करने पर बीडीओ डॉ. जाधव ने निंभोरकर की कार्यमुक्ति का प्रस्ताव रोगायो के उपजिलाधीश राम लंके को भेजा था. लेकिन राम लंके ने इस मामले में निंभोरकर का पक्ष सुने बिना ही जिलाधीश के पास इस प्रस्ताव को भेज दिया. जिसकी वजह से कुछ माह पूर्व निंभोरकर को कार्यमुक्त कर दिया गया है. जिसे निंभोरकर ने अपने उपर हुई अन्यायपूर्ण कार्रवाई माना और वे तनाव का शिकार हो गये. इसी बात की शिकायत निंभोरकर ने उपजिलाधीश राम लंके से फोन पर की. साथ ही यह भी कहा कि, तनाव बर्दाश्त नहीं होने की वजह से वे आत्महत्या करने जा रहे है. इस बातचीत के कुछ ही समय पश्चात प्रमोद निंभोरकर की एक सडक हादसे में मौत होने की जानकारी सामने आयी. वहीं इसके बाद उनके मोबाईल में रिकॉर्ड हुई ऑडिओ क्लिप भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी. जिसमें खुद उन्होंने उपजिलाधीश लंके से अपनी व्यथा बताते हुए आत्महत्या करने की बात कही थी. साथ ही रोगायो विभाग में सिंचाई कुओं की आड में किये जा रहे भ्रष्टाचार की जानकारी भी दी. ऐसे में अब यह मामला तुल पकडा दिखाई दे रहा है. साथ ही इसकी जल्द से जल्द जांच किये जाने की भी मांग जोर पकड रही है.
निंभोरकर की मौत के लिए तिवसा में व्याप्त भ्रष्टाचार जिम्मेदार
– भाजपा जिलाध्यक्ष निवेदिता चौधरी ने की जाधव को निलंबीत करने की मांग
वहीं यह मामला उजागर होते ही भाजपा की ग्रामीण जिलाध्यक्ष निवेदिता चौधरी दिघडे ने तिवसा तहसील के सभी सरकारी महकमो में भ्रष्टाचार व्याप्त रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि, पालकमंत्री यशोमति ठाकुर का निर्वाचन क्षेत्र रहनेवाली तिवसा तहसील के किसी भी सरकारी कार्यालय में बिना पैसे दिये कोई काम नहीं होता और निंभोरकर की मौत से यह बात पूरी तरह साफ हो गई है कि, क्षेत्र के किसानों से सरकारी योजना के तहत सिंचाई हेतु कुआ देने के नाम पर पांच-पांच हजार रूपये लिये जाते है. साथ ही इमानदारी से काम करनेवाले अधिकारियों को मानसिक तौर पर प्रताडित करने का काम किया जाता है. जिसकी वजह से आज निंभोरकर जैसे अधिकारी को अपनी जान से हाथ धोना पडा है. चौधरी के मुताबिक निंभोरकर पूरी तरह से आत्मघाती मानसिकता में जा चुके थे और यहीं वजह रही कि, विचलित मानसिकता के चलते वे सडक हादसे का शिकार हुए. अत: इस मौत के लिए गटविकास अधिकारी डॉ. चेतन जाधव के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए.