अमरावती

प्रशासन की तरफ से निशुल्क चाय-नाश्ते व भोजन की सुविधा

जिला अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती होनेवाले मरीजो को लाभ

अमरावती /दि.5– जिला अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती होनेवाले मरीजो को हर दिन सुबह और रात में निशुल्क पोष्टिक खाना दिया जाता है. हर दिन सुबह चाय-नाश्ता और 350 मरीजो के लिए यहां भोजन तैयार किया जाता है. इसकी विशेषता यानी भोजन तैयार करते समय रसोईघर की स्वच्छता की तरफ पूरा ध्यान दिया जाता है.
तैयार किया गया भोजन पहले डॉक्टर और स्वास्थ अधिकारियों को दिया जाता है. उन्होंने सबकुछ व्यवस्थित रहने की बात कही तब अस्पताल के 380 बिस्तरो की क्षमता है. हर दिन सभी मरीज भोजन करते है, ऐसा भी नहीं है. अथवा 380 मरीज एख ही दिन अस्पताल में भर्ती रहते है ऐसा नहीं है. इस कारण 350 मरीजो को चाहिए उतना भोजन यहां तैयार किया जाता है. अस्पताल में साधारण परिस्थिति वाले अथवा जरुरतमंद मरीज उपचार के लिए भर्ती होते रहते है. अनेक लोग ग्रामीण इलाके से अथवा मेलघाट जैसे आदिवासी क्षेत्र से आते रहते है. उन पर भूखे रहने की नौबत न आने के लिए अस्पताल प्रशासन ने ही निशुल्क चाय, नाश्ते और भोजन की सुविधा की है. जिनके घर से खाने का डिब्बा नहीं आ सकता, ऐसे मरीजो के लिए यह सुविधा वरदान साबित हुआ है. केवल रसोईघर की स्वच्छता पर ही ध्यान दिया जाता है, ऐसा नहीं है. उनके स्वच्छता की तरफ भी ध्यान दिया जाता है. इतना ही नहीं बल्कि बार-बार उन्हें हाथ सैनिटाइज करना पडता है. सिर के बाल भी पूरी तरह ढंकने पडते है तथा हैंडग्लोज भी पहनने पडते है.

* भोजन और नाश्ते का मेनू
हर दिन सुबह चाय के साथ नाश्ते में मटकी की उसल, सोजी, उपमा और पोहे में से एक पदार्थ दिया जाता है. दोपहर के भोजन में दाल-चावल, सब्जी, रोटी और सलाद दिया जाता है. शाम को नाश्ते अंडे, केले और दूध दिया जाता है. रात के भोजन में दाल-चावल, सब्जी-रोटी दी जाती है. प्रत्येक समय सब्जी अलग-अलग रहती है. रात सोते समय हल्दी डाला हुआ कोमट दूध दिया जाता है.

* समय व स्वच्छता पर ध्यान
भोजन, नाश्ता तैयार करने के पूर्व हर दिन सुबह सर्वप्रथम रसोईघर स्वच्छ किया जाता है. पश्चात चाय-नाश्ता तैयार किया जाता है. इस समय समय का पालन किया जाता है. समयानुसार चाय-नाश्ता, दोपहर और रात का भोजन डॉक्टर व स्वास्थ्य अधिकारी को स्वाद चखने के लिए दिया जाता है. पश्चात उनके निर्देश पर मरीजो को दिया जाता है.पौष्टिकता पर पूरा ध्यान दिया जाता है.
कविता देशमुख, आहार तज्ञ, जिला अस्पताल

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