कागजों पर है नीट व जेईई का नि:शुल्क प्रशिक्षण
4.80 करोड की योजना लटकी, 480 आदिवासी विद्यार्थी वंचित
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अमरावती/दि.7– राज्य में अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को कक्षा 10 वीं के बाद दो वर्ष की कालावधि के दौरान नामांकित निजी प्रशिक्षण संस्था के जरिए जेईई (अभियांत्रिकी) व नीट (वैद्यकीय) प्रवेश परीक्षाओं हेतु नि:शुल्क मार्गदर्शन उपलब्ध कराने की योजना को राज्य सरकार ने 8 जून 2023 को मंजूरी देकर शासन निर्णय जारी किया था. परंतु इस योजना पर आदिवासी विकास विभाग ने कोई अमल ही नहीं किया. जिसके चलते राज्य में करीब 480 विद्यार्थी नीट व जेईई हेतु नि:शुल्क प्रशिक्षण से वंचित है. वहीं यह योजना विगत दो वर्षों से केवल कागजों पर ही चल रही है, ऐसी जानकारी सामने आयी है.
‘ट्रायबर फोरम’ नामक संगठन ने सरकार के साथ बार-बार पत्र व्यवहार करते हुए जेईई व नीट पात्रता परीक्षा हेतु अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए योजना तैयार कर चलाने की मांग की थी. जिसकी दखल लेते हुए सरकार ने 4 करोड 80 लाख रुपए की योजना तैयार की थी. इस योजना के तहत आदिवासी विकास विभाग अंतर्गत प्रत्येक अपर आयुक्त कार्यालय स्तर पर सरकारी आश्रमशाला, अनुदानित आश्रम शाला व एकलव्य मॉडल निवासी शाला मेें नीट व जेईई प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने हेतु एक-एक वर्ग कक्षा बनाने का प्रावधान किया गया है.
* कक्षा 11 वीं हेतु चुने जाने थे 60 विद्यार्थी
प्रत्येक अपर आयुक्त कार्यालय के स्तर पर प्रतिवर्ष एक वैद्यकीय व एक अभियांत्रिकी पाठ्यक्रम प्रवेश तैयारी हेतु 30-30 प्रशिक्षणार्थियों की कक्षा तैयार करने हेतु कुल 60 विद्यार्थियों का चयन कक्षा 11 वीं के लिए किया जाना था. जिसमें प्रथम वर्ष हेतु 30 विद्यार्थियों की प्रत्येक तुकडी तथा कक्षा 11 वीं व 12 वीं ऐसे दोनों कक्षाओं के लिए कुल 480 विद्यार्थियों का चयन किया जाना था.
* दो साल से अधर में लटका है मामला
आदिवासी विकास विभाग अंतर्गत राज्य में 497 आदिवासी आश्रम शालाएं कार्यान्वित है. वहीं दूसरी ओर नीट व जेईई हेतु निशुल्क प्रशिक्षण को लेकर सरकारी निर्णय रहने के बावजूद इस पर विगत दो वर्षों से कोई अमल नहीं किया जा रहा. ऐसे मेें यह प्रशिक्षण केवल कागजों पर ही चल रहा है और 4 करोड 80 लाख रुपए की निधि वाली यह योजना अधर में लटकी पडी है.
* अब तक प्रति वर्ष बजट में आदिवासियों हेतु रहने वाले बजट पर ही कैची चलाई गई है. इस योजना पर अमल करने हेतु अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए जनसंख्या के प्रमाण अनुसार बजट में आर्थिक प्रावधान किया जाना चाहिए. साथ ही इसके लिए कानून भी बनना चाहिए.
– एड. प्रमोद घोडाम,
राष्ट्रीय संस्थापक अध्यक्ष, ट्रायबल फोरम.