स्वाधिनता सेनानी एकनाथ उर्फ नाना हिरुलकर का निधन
100 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस, विधायक राणा व जिला प्रशासन ने दी श्रद्धांजलि
अमरावती /दि.7– स्थानीय शंकर नगर परिसर निवासी स्वाधिनता सेनानी एकनाथ माधवसा हिरुलकर का विगत 4 जनवरी को 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया. जिसकी जानकारी मिलते ही बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक रवि राणा तथा जिला प्रशासन की ओर से निवासी उपजिलाधीश अनिल भटकर व तहसीलदार विजय लोखंडे ने हिरुलकर परिवार के निवास पर पहुंचकर दिवंगत स्वाधिनता सेनानी एकनाथ उर्फ नाना हिरुलकर के पार्थिव पर पुष्पचक्र अर्पित किया तथा उन्हें श्रद्धांजलि दी.
बता दें कि, ज्येष्ठ स्वाधिनता सेनानी नाना उर्फ एकनाथ हिरुलकर का जन्म 5 अगस्त 1925 को वर्धा जिले की आष्टी तहसील अंतर्गत खंबित गांव में हुआ था. बचपन में ही सिर से पिता का साया हट जाने के चलते उनकी मां गोपिका बाई ने अपने बेटे के भविष्य हेतु खंबित गांव छोड दिया और वे हमेशा के लिए अमरावती आकर बस गई. नाना हिरुलकर के चाचा वासुदेवराव सीताराम हिरुलकर वर्ष 1942 में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आष्टी में हुए सत्याग्रह के दौरान ब्रिटीश पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में घायल हुए थे तथा उन्हें कारावास की सजा सनाई गई थी. जिसे देखते हुए नाना हिरुलकर ने 9 वीं कक्षा ेमं ही अपनी पढाई-लिखाई छोड दी और वे स्वाधिनता संग्राम में शामिल हो गये. उन्होंने विदर्भ महाविद्यालय परिसर के आसपास विस्फोटकों में आग लगाकर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. जहां से भागते समय वे पुलिस के हाथ लग गये और उन्हें गिरफ्तार करते हुए 6 माह क लिए जेल भेज दिया गया. सन 1947 में जेल से छूटने के बाद वे अमरावती वापिस लौटे. देश सेवा के लिए आजीवन अविवाहित रहते हुए नाना हिरुलकर ने गांधी के विचारों सहित खादी का प्रचार किया. साथ ही वे आचार विनोबा भावे द्वारा शुरु किये गये भूदान आंदोलन की सभी पदयात्राओं में भी शामिल थे. साथ ही भारत सरकार द्वारा स्वाधीनता सेनानी के सम्मानार्थ शुरु की गई पेंशन योजना के तहत मिलने वाली पेंशन की रकम का उपयोग उन्होंने शिक्षा से वंचित रहने वाली गरीब बच्चियों को पढाने-लिखाने हेतु किया था.