अमरावती

चालकों के लिए एसटी की माल ढुलाई बनी है सिरदर्द

जिले से बाहर जाने पर 2 से 3 दिन लगते है वापसी में

  • तत्काल माल न मिलने से समस्याएं बढी

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२७ – राज्य परिवहन महामंडल ने 21 मई 2020 से राज्य में माल ढुलाई शुरु की है. इस माल यातायात से एसटी महामंडल को आर्थिक लाभ तो मिल रहा है, लेकिन एसटी चालकों के लिए यह माल ढुलाई सिरदर्द बनती जा रही है. एक बार माल लेकर गई हुई गाडी अमरावती डिपो में वापस आने के लिए 3 से 4 दिन का समय लगता है. जिससे चालक जिले से बाहर ही फंस जाते है. अमरावती से अगर माल लेकर यह एसटी ट्रक वाशिम गया तो उसे वहां से जहां का माल मिलेगा वहां एसटी लेकर जाना पडता है. कभी वाशिम से रिसोड, रिसोड से अकोला और अकोला से अमरावती. उसी में लगेज की राह भी देखनी पडती है. इस तरह एक ट्रीप में 3 से 4 दिन चालक को जिले से बाहर रहना पडता है.
एसटी ने यात्री यातायात के साथ व्यावसायिक माल ढुलाई में दमदार शुरुआत की है. अमरावती डिपो के पास फिलहाल 25 एसटी ट्रक है और इन सभी से व्यवसाय शुरु है. फिलहाल लॉकडाउन के कारण यात्री यातायात बंद रहने से महामंडल का आर्थिक साधन एसटी बसों व्दारा होने वाली माल ढुलाई बन चुका है. फिलहाल मध्यवर्ती कार्यालय की तरह जिला स्तर पर माल ढुलाई के लिए विशेष कक्ष निर्माण किया गया. उनपर जिले के माल ढुलाई की जिम्मेदारी सौंपी है. इसमें कृषिजन्य प्रक्रिया किया माल, कृषि पुरक व्यवसाय से संबंधित माल और शासन के अन्य महामंडल के गोदामों की माल ढुलाई प्राथमिकता से की जाती है. फिलहाल बाजार में रहने वाले माल ढुलाई के दर के अनुसार एसटी अपने दर लगाती है. इस माल यातायात को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है. किंतु कुछ दिनों से यह माल यातायात चालकों के लिए मात्र सिरदर्द बनी है.

  • 500 रुपए एडवॉन्स मिलता है

माल यातायात के लिए एसटी का ट्रक लेकर जाने वाले चालक को खर्च के लिए 500 रुपए दिये जाते है, लेकिन वह भी एडवॉन्स के तौर पर दिये जाते है. यह पैसे वेतन से काटे जाते है. विशेष यह कि लॉकडाउन के दिनों में माल लेकर गये हुए चालक के भोजन के वांदे होते है.

  • महामंडल की सूचना मात्र अमल नहीं

एक विभाग के माल यातायात का वाहन अन्य विभाग में जाने पर कर्मचारियों को 2 दिन से ज्यादा न रोके, इस तरह की सूचना रहते हुए भी प्रत्यक्ष में 4 से 5 अथवा उससे ज्यादा दिन कर्मचारियों को रुकना पडता है. साथ ही वहां रहने की व नाश्ता, भोजन की व्यवस्था नहीं की जाती.

 

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