बार-बार चक्कर आना है ‘व्हर्टिगो’ की निशानी
अमरावती/दि.29– यदि अचानक ही और बार-बार चक्कर आता है, संतुलन बिगड जाता है और कम सुनाई आता है, तो समय रहते सावधान हो जाने की जरुरत है. क्योंकि यह व्हर्टिगो का अटैक हो सकता है. यद्यपि व्हर्टिगो एक सर्वसामान्य समस्या है. लेकिन यदि ऐसा बार-बार हो रहा है, तो समय रहते विशेषज्ञों की सलाह लेना जरुरी है.
* व्हर्टिगो अटैक यानि क्या?
– फुगडी खेलने अथवा गोल-गोल चक्कर लगाने के बाद जिस तरह से सिर घुमने का अनुभव होता है. यदि उसी तरह का अनुभव बिना फुगडी खेले बैठे-बैठे या खडे-खडे होता है, तो इसे वैज्ञानिक भाषा में व्हर्टिगो कहा जाता है.
– शरीर अथवा अपने आसपास के परिसर में किसी भी तरह की कोई हलचल या गतिविधी नहीं रहने के बावजूद भी यदि ऐसा होता महसूस होता है, तो इसे भी व्हर्टिगो का अटैक कहा जाता है.
– अमूमन व्हर्टिगो अटैक में अचानक ही चक्कर आने लगते है और अपने आसपास का परिसर गोल-गोल घुमता दिखाई देता है. इसके साथ ही पैदल चलते समय अचानक ही संतुलन बिगड जाता है.
* क्या है लक्षण?
अस्थिर महसूस होना, चक्कर आना, बिना वजह संतुलन बिगडना, उंचाई से डर लगना, कम सुनाई देना, नीचे गिरने का डर लगना, ज्यादा आवाज व तेज प्रकाश से सिरदर्द होना.
* व्हर्टिगो के अलग-अलग प्रकार
– बीपीपीवी
कान के नसो में कैल्शियम कॉर्बोनेट का कचरा जमा होता है. विशेष तौर पर वयस्क व्यक्तियों को इसकी तलफीक अधिक होती है.
– मायग्रेन
इसमें लगातार चक्कर आने और सिरदर्द होने की समस्या होती है. साथ ही मरीज को अति प्रकाश और तेज आवाज बर्दाश्त नहीं होते. यह समस्या लगभग सभी लोगों में होती है.
– मेनियार्स
यह सुनने की शक्ति पर परिणाम करता है. साथ ही कई बार कान में अपने आप ही कोई आवाज गुंजती रहती है.
– वेस्टीब्ल्यूलर मायग्रेन
इसमें चक्कर आना और सिरदर्द होना यह सामान्य लक्षण है. साथ ही मरीज तेज प्रकाश व तेज आवाज को बिल्कुल भी सहन नहीं कर सकता.
* यदि हमेशा ही चक्कर आते है, चलते समय संतुलन बिगडता है और उल्टियां होती है, तो यह छोटे मस्तिष्क के संबंधित गंभीर बीमारी रह सकती है. चक्कर आते समय क्या होता है, चक्कर कब आता है और चक्कर आने का एहसास कितनी देर तक बना रहता है, इसका निरीक्षण किया जाना चाहिए. क्योंकि इस वर्णन के आधार पर ही बीमारी का निदान हो सकता है. भले ही मरीज का एमआरआई किया जाए. लेकिन यह जानकारी ही मरीज के इलाज हेतु बेहद महत्वपूर्ण साबित होती है.
– डॉ. अमोल ढगे,
न्यूरो सर्जन