मार्च में भी पडा था फ्रोजन डिलाइट पर छापा, अगस्त में फिर हुआ शुरु
पुलिस की कार्रवाई पर भी मर्यादा, ‘अंधेरे कैबिन’ जस के तस
अमरावती/दि.22– शहर पुलिस की अपराध शाखा यूनिट-2 ने विगत 19 अगस्त को कठोरा रोड स्थित फ्रोजन डिलाइट नामक कैफे में चलने वाले गोरखधंधे पर छापा मारते हुए कुछ युवा जोडों को आपत्तिजनक स्थिति में पकडा था. इस कैफे के भीतर बने अंधेरे कैबिनों में वे युवक-युवतियां अश्लील कृत्य करते पाये गये थे. विशेष उल्लेखनीय है कि, इस कैफे पर 5 माह पूर्व विगत मार्च माह के दौरान भी ऐसी ही कार्रवाई की गई थी. लेकिन 5 माह बाद भी इस कैफे में ‘कैबिन संस्कृति’ जस की तस पायी गई. ऐसे में स्पष्ट है कि, पुलिस द्वारा की जाने वाली कार्रवाई की अपनी कुछ मर्यादाएं है और केवल छापामार कार्रवाई के जरिए ही ‘अंधेरे कैबिन’ चलाने वाले कैफे पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता.
बता दें कि, जारी वर्ष के दौरान ही विगत 15 मार्च को इसी फ्रोजन डिलाइट कैफे पर सीआईयू पथक और महिला सेल ने छापा मारते हुए कुछ युवा जोडों को अश्लील कृत्य करते हुए पकडा था. वहीं अब इसी फ्रोजन डिलाइट पर विगत 19 अगस्त को हुई कार्रवाई में भी उसी बात की पुनरावृत्ति हुई. ऐसे में सवाल उठता है कि, एक बार कार्रवाई होने पर उसी तरह का गोरखधंधा कैसे चलता है और संबंधित प्रतिष्ठान मालिक की दोबारा वहीं काम करने की हिम्मत कैसे होती है.
ज्ञात रहे कि, किसी कैफे में अश्लील कृत्य व हरकत करते पकडे जाने वाले युवक-युवतियों के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की जाती है, वहीं कैफे संचालक के खिलाफ मुंबई पुलिस अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया जाता है. परंतु ऐसे अपराधों की तीव्रता फौजदारी मामलों की तरह नहीं होती, जिसका फायदा कैफे संचालकों द्वारा उठाया जाता है. वहीं केवल समझपत्र देने और प्रतिबंधात्मक कार्रवाई कर छोड देने की वजह से पुलिस द्वारा की जाने वाली कार्रवाई का असर भी सीमित होता है. पुलिस द्वारा कार्रवाई किये जाने के बाद किसी भी कैफे या स्पा को एकाद हफ्ते के लिए बंद किया जाता है. जिसके बाद उसे धीरे-धीरे 300 से 500 रुपए प्रतिघंटे का शुल्क लेकर ‘आंबट शौकीनों’ हेतु श्ाुरु कर दिया जाता है. कैबिन उपलब्ध कराने के साथ ही उससे भी आगे जाकर कुछ ‘अलग सेवाएं’ भी ऐसे स्थानों पर उपलब्ध कराई जाती है. वहीं ऐसे स्थानों पर कार्रवाई करने के बाद पुलिस द्वारा मनपा के बाजार परवाना विभाग को पत्र देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी करनी ली जाती है. परंतु महानगरपालिका द्वारा अब तक ऐसे किसी भी कैफे या स्पा का परवाना रद्द किये जाने की बात सामने नहीं आयी है.
* इससे पहले भी कई बार हुई है कार्रवाईयां
इससे पहले 3 अगस्त को साई नगर परिसर स्थित दो कैफे से 7 जोडे पकडे गये थे. वहीं इससे पहले नांदगांव की थानेदार रेखा लोंधे ने भी इसी तरह की कार्रवाई की थी. शहर के कई महाविद्यालयों के आसपास स्थित परिसरों सहित रिहायशी बस्तियों मेें भी कई कैफे शॉप साकार किये गये है. जहां पर 300 से 500 रुपए प्रति घंटे तथा कुद स्थानों पर 1 हजार रुपए प्रतिघंटे का शुल्क लेते हुए स्वतंत्र कैबिन की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. शहर के कठोरा रोड, हमालपुरा, कांग्रेस नगर रोड, शेगांव नाका, सहकार नगर, बडनेरा रोड व अकोली रोड परिसरों में ऐसे कैबिन वाले कैफे बडी संख्या में पाये जाते है.
* कैफे में हुई थी बलत्कार की घटना
विशेष उल्लेखनीय है कि, करीब एक वर्ष पहले गाडगे नगर मार्ग पर स्थित कैफे में एक नाबालिग लडकी के साथ दुराचार किये जाने की घटना उजागर हुई थी. वहीं बडनेरा रोड स्थित मॉल में स्पा की आड लेते हुए देह विक्री का गोरखधंधा चलने की बात सामने आयी थी.
* गुप्त सूचना व शिकायत मिलने पर ऐसी कार्रवाईयां निरंतर की जाती है. परंतु कार्रवाई में पकडे जाने वाले युवक-युवतियों की आयु 18 वर्ष से अधिक रहने पर पुलिस की कार्रवाई में कुछ मर्यादाएं आ जाती है. हमारी सर्चिंग मुहिम 24 बाय 7 चलती रहती है. नागरिकों ने भी सजग रहते हुए ऐसे कैफे व स्पा को लेकर पुलिस को जानकारी देनी चाहिए.
– नवीनचंद्र रेड्डी,
शहर पुलिस आयुक्त.