शिव टेकडी के शिवाजी महाराज प्रतिमा की फुल इनसाइड स्टोरी
1.5 करोड की लागत से भव्य प्रतिमा और चबूतरा
* कैसे आया प्रस्ताव, मनपा सभा में मंजूरी, किसका योगदान
* दिनेश बूब से बातचीत
अमरावती/दि.1- शहर की शान बने शिवटेकडी पर करीब डेढ करोड की लागत से छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य ब्रान्झ प्रतिमा और उसके चबूतरे की सर्वत्र चर्चा हो रही हैं. इस नई भव्य प्रतिमा और परिसर विकास की पहल करने वाले शिवसेना नेता तथा पूर्व नगरसेवक दिनेश बूब ने आज दोपहर अमरावती मंडल से विशेष बातचीत में बताया कि कैसे मनपा के पास प्रस्ताव भेजा गया. उसे आम सभा में मंजूरी मिली. पुतला समिति में किसका सहभाग और योगदान रहा. इन सब बातों का सिलसिलेवार उत्तर दिनेश बूब ने दिया. बूब ने बताया कि, जनवरी 2018 से लगातार पत्राचार और प्रशासकीय मंजूरी की प्रक्रिया को 1 वर्ष में पूर्ण किया गया. शहर के तत्कालीन जनप्रतिनिधियों ने भरपूर योगदान किया. जिससे अब यह प्रतिमा बनकर तैयार है तथा स्थापित होने जा रही हैं. बूब ने समस्त पत्राचार और प्रस्ताव तथा आमसभा में रखे गए विचार और सभी बातों के दस्तावेज भी अमरावती मंडल को दिखलाए.
* धुलाई के समय दिखी दरारें
बूब ने बताया कि, शिवटेकडी पर शिवाजी महाराज की भव्य अश्वारुढ प्रतिमा थी. जहां दर्शन और अभिवादन हेतु लोग आते. ऐसे में जनवरी 2018 में सैयद अलीम ने पुतले की धुलाई करते समय देखा कि, घोडे के पैर में बडी दरारें आ गई हैं. पुतले का पूरा भार इन पैरों पर ही होने से उसे गंभीरता से लिया गया. शिवटेकडी पर लोग टहलने भी बडी संख्या में आते जिससे पुतले को लेकर निर्णय की बात सोची. शिवटेकडी समिति की तरफ से मनपा को पत्र दिया गया. शहर अभियंता ने स्वयं शिवटेकडी आकर पुुतले का अवलोकन किया. फिर प्रसिद्ध शिल्पकार सातारकर को बुलाया गया. उन्होंने भी 18 जनवरी 2018 को लिखित अहवाल दिया कि, पुतले की दरारें चौडी हैं. उसकी मरम्मत नहीं हो सकती. इस अहवाल के बाद पुतले का बडा ध्यान रखा गया.
* कला संचलनालय को पत्र
मनपा ने राज्य शासन के कला संचलनालय के संचालक को 20 जनवरी 2018 को इस बारे में पत्र भेजा. 17 मार्च को फिर संचलनालय को रिमाइंड किया गया. उपरांत 23 अप्रैल 2018 को शिवटेकडी व्यवस्थापन और देखभाल समिति की बैठक हुई.
* 23 अप्रैल 2018 का प्रस्ताव
इस बैठक में शिवाजी महाराज का नया पुतला लगाने के बारे में चर्चा हुई. प्रस्ताव तैयार कर आमसभा के सामने रखने के निर्देश आयुक्त संजय निपाणे ने दिए. आयुक्त के निर्देश पर यह प्रशासकीय विषय के रुप में सितंबर 2018 की आमसभा में रखा गया.
* महापौर की अध्यक्षता में समिति
आमसभा में 16 अक्तूबर 2018 को पुतला बदलने के बारे में प्रस्ताव मंजूर किया गया. यह भी तय हुआ की महापौर की अध्यक्षता में पुतला समिति गठित की जाए. समिति के सदस्यों के अधिकार महापौर को सौंपे गए. उपरांत 27 नवंबर 2018 को कुल 20 सदस्यों वाली पुतला समिति गठित की गई. जिसमें स्वयं महापौर संजय नरवणे, उपमहापौर संध्याताई टिकले, आयुक्त निपाणे, नेतासदन सुनील काले, मिलिंद चिमोटे, दिनेश बूब, उपायुक्त नरेंद्र वानखडे, मजीप्रा के अभियंता सुरेंद्र कोपुलवार, शहर अभियंता रविंद्र पवार, मजीप्रा उपविभागीय अभियंता किशोर रघुवंशी, उद्यान अधीक्षक प्रमोद येवतीकर, मुख्य लेखाधिकारी प्रेमदास राठोड, आर्किटेक्ट सुशील खंडारकर, शिल्पकार बाबा महाराज सातारकर, तुषार भारतीय, चेतन पवार, प्रशांत वानखडे, बबलू शेखावत, शोभा शिंदे, वंदना कंगाले, अस्मां फिरोज खान आदि का समावेश रहा.
* इंजी. कॉलेज ने किया स्ट्रक्चरल ऑडिट
पुतला समिति की 27 नवंबर 2018 की बैठक बाद पुतले के लिए स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का निर्णय किया गया. शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय ने 28 दिसंबर 2018 को स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत की. जिसमें स्पष्ट कहा गया कि पुतले की स्थिरता को खतरा हो गया हैं और चबूतरे में भी दरारें आ गई हैं. जिससे नए पुतले की स्थापना और चबूतरा बनाने निविदा बुलाकर एजेंसी नियुक्त की गई. पुतला बनाने का काम शिल्पकार सातारकर को सौंपा गया. 11 जुलाई 2019 को सातारकर को कार्य आरंभ का आदेश दिया गया. चबूतरे का काम अग्रवाल को दिया गया. 28 जून 2021 को मुख्य वास्तुशास्त्रज्ञ की चबूतरे को मंजूरी प्राप्त हुई. उससे पहले 12 मई 2021 को पुलिस आयुक्त कार्यालय से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ.
* कला संचलनालय की मंजूरी
पुतले का क्ले मॉडल मुंबई स्थित कला संचलनालय को मंजूरी हेतु भेजा गया. उसे 11 मार्च 2020 को मंजूरी प्राप्त हुई. मंत्रालय ने पुतले की देखभाल और पावित्र्य की जवाबदारी मनपा पर सौंपी. इस बारे में वचन पत्र दिया गया. पुतले के संबंध में खर्च अमरावती मनपा वहन करेगी,ऐसा भी वचन पत्र मनपा ने शासन को दिया. अर्थात शासन से निधि की मांग नहीं की गई.
* प्रतिमा स्थापित
मनपा की अपनी लागत से और सभी प्रकार की आवश्यक मंजूरी मिलने के बाद जिलाधिकारी अमरावती के आदेश क्रमांक एमएजी के 27, पुतला प्रस्ताव, शिवटेकडी, मान्यता आदेश 21 दिसंबर 2021 को अंतिम मंजूरी प्राप्त हुई. 1 वर्ष के अंदर प्रतिमा तैयार की गई. 29 नवंबर 2022 को शिवाजी महाराज का नया ब्रान्झ पुतला स्थापित किया गया हैं. बाकी बचे चबूतरे का काम शुरु किया गया.
* आज आने से डरते बदमाश
कभी शहर के सभ्रांत लोग जिस शिवटेकडी पर जाने से कतराते थे, आज उसी शिवटेकडी पर ऐसा बदलाव हुआ है कि, असामाजिक तत्व वहां आने से घबराता हैं. ऐसे बडे और जबर्दस्त बदलाव टेकडी पर हुए हैं. वहां भरपूर ग्रीनरी हैं. ऐसे ही सामाजिक सुरक्षा की भी गारंटी हैं जिससे आधी रात को भी अकेली महिला वहां सैर, टहल सकती हैं.