मेलघाट फाऊंडेशन की निधि खर्च को धर्मादाय आयुक्त की मान्यता नहीं
विकास के नाम पर खर्च हुए 500 करोड़ की निधि पर उठा सवाल
अमरावती/दि.22 – मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत विकास कामों के लिये केंद्र व राज्य सरकार का निधि और सीएसआर फंड खर्च करने के लिये स्वतंत्र रुप से मेलघाट व्याघ्र फाऊंडेशन की स्थापना की गई. लेकिन इस खर्च को धर्मदाय आयुक्त की ओर से मान्यता नहीं दी गई. इस कारण मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प में इस माध्यम से 10 वर्षों में विकास के नाम पर खर्च किये गये 500 करोड़ की निधि बाबत सवाल उपस्थित हो रहा है.
मेलघाट व्याघ्र फाऊंडेशन की स्थापना सन 2011-12 में की गई है. इस फाऊंडेशन को धर्मादाय आयुक्त का कानून लागू है, लेकिन मेलघाट व्याघ्र फाऊंडेशन ने गत 10 वर्षों में खर्च का हिसाब नहीं दिया. वहीं व्याघ्र फाऊंडेशन के सदस्यों को भी इसकी कल्पना नहीं दी गई. केंद्र शासन के नये नियमानुसार उद्योजक, व्यवसायिक कंपनियां सीएसआर फंड से 22 प्रतिशत निधि विकास हेतु दी जा सकती है. जिसके अनुसार मेलघाट व्याघ्र फाऊंडेशन में सीएसआर फंड जमा किया गया. लेकिन मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के क्षेत्र संचालक ने निधि खर्च की वार्षिक रिपोर्ट अथवा धर्मादाय आयुक्त को हिसाब नहीं दिया. इसलिए मेलघाट व्याघ्र फाऊंडेशन की निधि खर्च पर शक की सुई है.इस बाबत वन विभाग के प्रधान मुख्य वनसंरक्षक (वन्यजीव) नितिन काकोडकर से संपर्क साधने पर वे उपलब्ध नहीं हो सके.
मेलघाट व्याघ्र फाऊंडेशन के निधि खर्च को धर्मादाय आयुक्त की ओर से मान्यता न मिलने बाबत कलोती एंड लाठिया इस सनदी लेखापाल की रिपोर्ट में भी 2012 में पंजीबद्ध किया गया है. लेकिन मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प का कारभार व्यवस्थित न होने से तत्कालीन अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक एम.एस. रेड्डी ने शासन निधि, सीएसआर फंड को उचित तरीके से अमल में नहीं लाया, यह स्पष्ट हो रहा है.