जिला निधी में दिव्यांगों के डेढ करोड की निधी अखर्चित
जिप बजट के सेस फंड में पांच प्रतिशत निधी का है प्रावधान
अमरावती/दि.16 – जिला परिषद द्वारा प्रतिवर्ष तैयार किये जानेवाले बजट में दिव्यांगों हेतु व्यक्तिगत लाभ की योजना चलाने हेतु पांच प्रतिशत निधी आरक्षित रखी जाती है. जिसमें से विभिन्न योजनाओं के जरिये जरूरतमंदों को लाभ दिया जाता है. वर्ष 2020-21 के आर्थिक वर्ष में दिव्यांगों हेतु डेढ करोड रूपयों की निधी का प्रावधान किया गया है. लेकिन अब आर्थिक वर्ष खत्म होने पर पहुंच गया और इस निधी को पूरी तरह खर्च नहीं किया जा सका है. ऐसे में इस निधी को मार्च एंडिंग से पहले खर्च करने की चुनौती से जिला परिषद प्रशासन जूझ रहा है.
जिला परिषद के समाजकल्याण विभाग द्वारा दिव्यांगों को झेराक्स मशीन, टीन से बने स्टॉल तथा आटा चक्की आदि 30 से 40 हजार रूपये तक के विविध साहित्य अनुदान पर उपलब्ध कराये जाते है. राज्य सरकार द्वारा की जानेवाली साहित्य आपूर्ति में वस्तुओं की गुणवत्ता को लेकर रहनेवाली शिकायतों को देखते हुए लगभग सभी योजनाओं का लाभ वस्तु स्वरूप में न देते हुए लाभार्थियोें को अपने स्तर पर साहित्य खरीदने कहा जाता है और उस साहित्य का जीएसटी सहित पक्का बिल व अन्य दस्तावेज पेश करने पर संबंधित विभाग द्वारा अनुदान की रकम सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जमा करायी जाती है. जिला परिषद की योजना जिस विभाग के मार्फत डीबीटी द्वारा चलायी जाती है, उसके लिए जिला परिषद के सेस फंड से निधी का प्रावधान बजट में किया जाता है. जिप के बजट में किये गये प्रावधान को यदि जारी आर्थिक वर्ष में खर्च नहीं किया गया, तो अगले वर्ष उस रकम को उन्हीं योजनाओं पर खर्च किया जा सकता है. इस हेतु नियमानुसार सभागृह तथा प्रशासन प्रमुख की अनुमति लेना अनिवार्य होता है. ऐसे में निधी के अखर्चित रह जाने का खतरा नहीं होता.
जानकारी के मुताबिक गत वर्ष पूरा समय कोरोना के लगातार बढते संक्रमण का खतरा रहा और लॉकडाउन लागू रहने की वजह से लाभार्थियों द्वारा साहित्य खरीदी नहीं की जा सकी. ऐसे में व्यक्तिगत लाभ की योजना में अपेक्षित तौर पर निधी खर्च नहीं हो सकी. वहीं अब जारी आर्थिक वर्ष समाप्त होने में केवल 15 दिनों का समय शेष है. ऐसे में अखर्चित निधी को खर्च करने की चुनौती जिप प्रशासन के समक्ष है.
- जिला निधी में प्रावधान की गई पूरी रकम मार्च एंडिंग से पहले खर्च की जायेगी और किसी भी तरह की निधी अखर्चित न रहे, इसका ध्यान रखा जायेगा. हालांकि यह निधी सेस फंड की रहने के चलते अगर कुछ रकम बच भी जाती है, तो उसे आगामी आर्थिक वर्ष में भी खर्च किया जा सकता है.
– दयाराम काले,
सभापति, समाज कल्याण समिती