अमरावती

शंकर मंदिर संस्थान की जमीन पर गडी बिल्डर्स की निगाहें

नागपुर हाईवे पर है संस्थान की छह एकड बेशकीमती जमीन

* संस्थान के अध्यक्ष के नाम पर ही आयी 100 करोड की निविदा
* संस्थान अध्यक्ष अनंत गुढे ने निविदा को बताया फर्जी
* एक बिल्डर ने निविदा प्रक्रिया को लेकर उठाई आपत्ति
* तीन साल से धर्मादाय आयुक्त के समक्ष चल रही है सुनवाई
* आगामी 7 सितंबर को आ सकता है कोई महत्वपूर्ण फैसला
अमरावती-दि.2 स्थानीय नागपुर हाईवे पर रहाटगांव के निकट श्री अंबा बिझनेस पार्क के पास श्री शंकर मंदिर संस्थान की छह एकड जमीन है. जिसे संस्था के अध्यक्ष द्वारा बिक्री हेतु निकाला गया था और शहर के कुछ बिल्डरों द्वारा इस जमीन को खरीदने के लिए करोडों रूपयों की निविदा डाली गई थी. जिसे लेकर रामकिशोर अग्रवाल नामक भूविकास व बिल्डर द्वारा आपत्ति दर्ज कराये जाने के चलते जमीन बिक्री की प्रक्रिया को रोका गया. पश्चात 27 जुलाई 2022 को न्यायालय के आदेश पर नये सिरे से निविदाएं मंगाई गई, लेकिन इसमें संस्था के अध्यक्ष व पूर्व सांसद अनंत गुढे के नाम से आयी 100 करोड रूपयों की निविदा को देखते ही इस निविदा प्रक्रिया में शामिल अन्य बिल्डर आश्चर्यचकित हो गये और खुद जमीन की बिक्री करवा रहे अध्यक्ष द्वारा निविदा प्रक्रिया में शामिल होकर 100 करोड रूपयों की निविदा डाले जाने को लेकर आश्चर्य जताया जाने लगा. साथ ही इसे लेकर भी आपत्ति व आक्षेप दर्ज कराये गये. जिसके चलते विगत तीन वर्षों से यह मामला लगातार धर्मादाय आयुक्त के समक्ष सुनवाई हेतु प्रलंबीत पडा हुआ है.
बता दें कि, रहाटगांव के पास स्थित सार्वजनिक शंकर मंदिर संस्थान में इससे पहले पंचकमेटी हुआ करती थी और करीब तीस वर्ष पहले पंचकमेटी के सदस्यों का निधन हो गया. इसके बाद अगले 10 से 12 वर्ष तक इस संस्था में कोई विश्वस्त नहीं था. वही इसके बाद विगत 10-15 वर्षों के दौरान संस्थान की जमीन से होकर नागपुर की ओर जानेवाली सडक फोरलेन हाईवे में तब्दील हो गई. वहीं यहा पर कई बडे मार्केट, शॉपिंग मॉल व रिहायशी संकुल बनने के साथ ही इस परिसर में कई ले-आउट भी बन गये. जिसके चलते इस परिसर में जमीन के दाम आसमान छूने लगे. इसी बीच शहर के कुछ राजनीतिक लोगों ने इकठ्ठा आते हुए कुछ वर्ष पूर्व सहायक धर्मादाय आयुक्त के कार्यालय में नये तौर पर संस्था का पंजीयन करते हुए इस संस्थान को अपने कब्जे में लिया. ऐसा आरोप रामकिशोर अग्र्रवाल द्वारा लगाया गया है. आरोप के मुताबिक जमीन के मौजूदा दामों को देखते हुए संस्था के पदाधिकारियों ने आपस में सभा लेकर वर्ष 2019 में संस्था की जमीन को बिक्री हेतु निकाला तथा शहर के कुछ अखबारों में इसे लेकर विज्ञापन भी दिये. उस समय संस्था को कुल पांच निविदाएं प्राप्त हुई थी. जिसमें सर्वाधिक 5 करोड 61 लाख रूपये की निविदा निलेश असोसिएट की ओर से आयी थी. वही दूसरे स्थान पर गार्डन सिटी अमरावती की ओर से 5 करोड 31 लाख रूपये की निविदा प्राप्त हुई थी, लेकिन इन दोनों निविदाओं की अनदेखी करते हुए 5 करोड 21 लाख रूपये का प्रस्ताव देनेवाले शार्दूल एसोसिएट की निविदा को मंजुर किया गया. इसे लेकर आपत्ति दर्ज कराने के साथ ही रामकिशोर अग्रवाल ने कहा कि, जगह बिक्री का विज्ञापन जारी करते समय इसमें जमीन का मौजूदा बाजारमूल्य एवं अपेक्षित आधारभूत कीमत लिखना आवश्यक है. लेकिन शंकर मंदिर संस्थान द्वारा ऐसा नहीं किया गया था. इसके अलावा संस्थान की कुछ जमीन को राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण ने रास्ते के चौडाईकरण हेतु संपादित किया था. जिसके बदले में संस्था को 70 लाख रूपये की रकम मिली थी. इस रकम से संस्थान ने मंदिर के मौजूदा ढांचे औरा गर्भगृह को विकसित करने की बजाय करीब 100 मीटर दूर नये मंदिर का निर्माण करने में यह रकम खर्च कर दी और ऐसा करते समय सहायक धर्मदाय आयुक्त की अनुमति भी नहीं ली. ऐसे करीब 13 से 14 मुद्दों को लेकर रामकिशोर अग्रवाल द्वारा आपत्ति दर्ज कराये जाने के चलते जमीन बिक्री की प्रक्रिया को रोक दिया गया है. जिसकी वजह से शार्दूल एसोसिएटस के संचालकों ने नागपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की. परंतू नागपुर हाईकोर्ट ने इस अपील को खारिज करने के साथ ही खुले कोर्ट में निविदा मंगाने का आदेश दिया. जिसके चलते 27 जुलाई को धर्मादाय आयुक्त कार्यालय द्वारा शहर के एक अखबार में इसे लेकर विज्ञापन प्रकाशित किया गया. लेकिन यह विज्ञापन कुछ इस तरह से प्रकाशित किया गया था, ताकि लोगोें की इस पर नजर ही न पडे. परंतू बावजूद इसके सोशल मीडिया के जरिये यह विज्ञापन शहर के बिल्डर लॉबी तक पहुंचा और शहर के कई बिल्डरों ने संस्था की जमीन को खरीदने हेतु निविदाएं डाली. जिसके चलते करीब 13 से 14 बिल्डरों की निविदा प्राप्त हुई. जिन्हें विगत 29 अगस्त को खोला गया, तो पता चला कि, संस्था के अध्यक्ष व पूर्व सांसद अनंत गुढे द्वारा भी 100 करोड रूपयों की निविदा डाली गई है. ऐसे में खुद जमीन के मालक और संस्थान के अध्यक्ष द्वारा निविदा डाले जाने के चलते निविदा प्रक्रिया में शामिल सभी बिल्डर आश्चर्य चकित हो गये और सभी बिल्डरों ने इस निविदा प्रक्रिया को लेकर अपनी आपत्ति भी दर्ज करायी. जिसके चलते एक बार फिर जमीन बिक्री की प्रक्रिया रद्द हो गई.
वही इस पूरे मामले को लेकर सबसे पहले आपत्ति दर्ज करानेवाले रामकिशोर नंदलाल अग्रवाल को सुनवाई हेतु 7 सितंबर की तारीख दी गई है. ऐसे में अब आगामी 7 सितंबर को सहधर्मादाय आयुक्त के कार्यालय में क्या होता है, इस ओर शहर के सभी बिल्डरों की निगाहें लगी हुई है.
मैं शंकर मंदिर संस्थान का अध्यक्ष हूं और संस्था द्वारा जमीन की बिक्री हेतु सीलबंद निविदा मंगायी गई थी. इस निविदा प्रक्रिया में मेरी ओर से कोई निविदा नहीं डाली गई है और जिस 100 करोड की निविदा के साथ मेरा नाम जोडा जा रहा है, उस निविदा पर मेरे हस्ताक्षर भी नहीं है. ऐसे में उस निविदा को संस्था द्वारा

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