अमरावतीमहाराष्ट्र

गग्गड कुटूंब ने किये गंगासागर धाम के दर्शन

समुद्र में स्नान व स्टीमर में यात्रा का लिया आनंद

* दिवंगत परिजनों व पितरों का स्मरण कर किया तर्पण व पूजन
अमरावती/दि.27– स्थानीय कैम्प परिसर निवासी प्रतिष्ठित गग्गड परिवार द्वारा विगत 5 वर्षों से चली आ रही परंपरा के तहत इस वर्ष श्राद्ध पक्ष दौरान अपने दिवंगत परिजनों व पितरों की स्मृति में आयोजित मंगलउत्सव यात्रा के तहत श्री जगन्नाथपुरी धाम, वैतरणी, कोणार्क मंदिर व गंगासागर धाम की यात्रा का आयोजन किया गया. जिसके तहत इस मंगलउत्सव यात्रा में शामिल गग्गड कुटूंब के 63 सदस्यों का जत्था यात्रा के अंतिम पडाव गंगासागर धाम पहुंचा. जहां गग्गड परिवार के सदस्यों ने अपने दिवंगत परिजनों व पितरों का स्मरण करते हुए गंगासागर धाम पर विधि विधानपूर्वक पूजन व तर्पण किया. इसके साथ ही इस जत्थे में शामिल सभी सदस्यों ने गंगासागर धाम के समुद्र में स्नान करने का आनंद उठाने के साथ ही समुद्र की लहरों पर स्टीमर बोट से यात्रा करने का भी आनंद उठाया.
विगत 21 सितंबर से प्रारंभ हुई गग्गड परिवार की इस मंगलउत्सव यात्रा में शामिल गग्गड कुटूंब के सभी 63 सदस्यों हेतु विभिन्न मंदिरों में दर्शन एवं यात्रा दौरान अलग-अलग पडावों पर रात्रि विश्राम की व्यवस्था पहले से तय की गई थी. जिसके तहत जगन्नाथपुरी की यात्रा में रुकने की व्यवस्था पुरषोत्तम भक्त निवास में आलोकजी द्वारा, दर्शन की व्यवस्था श्यामजी द्वारा, साक्षी गोपाल मंदिर में दर्शन की व्यवस्था वेधूरामजी द्वारा, वैतरणी धाम में दर्शन की व्यवस्था बिरजी महाराज द्वारा, बिरजादेवी माता शक्तिपीठ में दर्शन की व्यवस्था जयंत पंडित द्वारा, कटक के माहेश्वरी भवन में विश्राम की व्यवस्था मदनमोहन राठी द्वारा, कोणार्क में दर्शन की व्यवस्था राजूविष्णु द्वारा, लिंगराजा में दर्शन की व्यवस्था भुवेशजी द्वारा, गंगासागर धाम जाते समय श्री स्वामीनारायण मंदिर में भोजन की व्यवस्था घनश्यामजी द्वारा, गंगासागर धाम के स्वर्गा आश्रम में निवास एवं भोजन की व्यवस्था अमानसिंग द्वारा तथा हावडा (कोलकाता) में भोजन, निवास व वापसी की यात्रा हेतु तमाम व्यवस्थाएं रमेशचंद्र भूतड़ा एवं राकेश शर्मा द्वारा की गई. विगत 21 से 26 सितंबर के दौरान करीब एक सप्ताह चली इस मंगलउत्सव यात्रा को पूर्ण करते हुए गग्गड कुटूंब के 63 सदस्यों का यह जत्था अब हावडा से अमरावती हेतु वापसी की यात्रा पर रवाना हो चुका है तथा करीब 30 घंटे की इस वापसी की यात्रा के दौरान भी रास्ते में पडने वाले विभिन्न रेल्वे स्टेशनों पर सभी सदस्यों हेतु घर पर बने चाय-नाश्ते व भोजन का इंतजाम पहले से ही तय किया गया है.

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