* शंकरबाबा के संबंध में कृतज्ञता व्यक्त की
अमरावती/दि.8 – जन्म से अंधी और एक हाथ सें अपंग होने पर उसे बचपन में ही उसकी माता ने उसे चंद्रभागा नदी के किनारे अर्पित कर दिया. वही गांधारी आज सक्षम रूप से खडी है. जिसने उसे सक्षम रूप से जीने की शक्ति दी उसी शंकरबाबा पापलकर के संबंध में कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए उसने आपकी नजरों ने समझा .. यह गीत गाया.
पुलिस आयुक्तालय की ओर से वसंत हॉल में वैश्विक महिला दिन की पूर्व संध्या को म घे उच्च भरारीफ इस अनोखे कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रूप में गांधारी शंकरबाबा पापलकर उपस्थित थे. संगीत विशारद गांधारी 100 प्रतिशत दिव्यांग होने पर भी स्वयं के पैरो पर समर्थ रूप से खडी है. उससे समाज की लडकियों को प्रेरणा लेनी चाहिए. इस उद्देश्य से पुलिस आयुक्तालय की ओर से उसका सत्कार किया गया.
इस समय गांधारी ने प्रस्तुत किए गीत से उपस्थितों में से अनेको के आंखों में पानी आ गया. सायबर पुलिस थाने की निरीक्षक सीमा दातालकर ने गांधारी का जीवन उपस्थितों के सामने रखा. गांधारी एक हाथ से दिव्यांग है. उसकी आंखों से कुछ नहीं दिखता. एक तो उसे वह डेढ साल की थी तब उसकी माता ने उसे पंढरपुर की चंद्रभागा नदी के किनारे अर्पित किया था. अकेली रो रही गांधारी को तब स्थानीय पुलिस कर्मचारी अपने घर ले गया. पंढरपुर में नवरंग बालगृह में वह पांच वर्ष तक रही. वहां से उसे शंकरबाबा पापलकर ने अपने वझ्झर में आश्रम में लाया. संगीत में रूचि रहनेवाली गांधारी को अपना नाम दिया. 23 साल की गांधारी संगीत विशारद है. इस समय पुलिस आयुक्त आरती सिंह, सहायक पुलिस आयुक्त पूनम पाटिल, सायबर थाने की निरीक्षक सीमा दातालकर,महिला सेल की निरीक्षक ज्योती विल्हेकर, सहायक पुलिस निरीक्षक रविन्द्र सहारे उपस्थित थे. कार्यक्रम का सचालन पुलिस उपनिरीक्षक शुभांगी मामनकर ने किया.
* संगीत विशारद से कक्ष सेविका
गांधारी यह अचलपुर की उपजिला अस्पताल की कक्ष सेविका की नौकरी करती है. जिस गांधारी ने कान में अपनी माता का गीत नहीं सुना. वहीं गांधारी अस्पताल में रोनेवाले बच्चों के लिए गीत गाती है. उससे उसके माता को मिलनेवाला संतोष यह उसकी सफलता है.