अमरावती/दि. 27– शादी में सोने की चैन, अंगूठी और ब्रासलेट न देने के कारण पर से विवाहिता पर मानसिक व शारीरिक अत्याचार किए जाने से उसके व्दारा आत्महत्या किए जाने से आरोपी गणेश धवने पर पारिवारिक अत्याचार व दहेज बली कानून अंतर्गत मामला दर्ज किया गया था. लेकिन बचाव पक्ष की तरफ से एड. प्रशांत भेलांडे व्दारा सफल युक्तिवाद किए जाने से सबूतों के अभाव में न्यायालय ने आरोपी गणेश धवणे को बाइज्जत बरी कर दिया.
जानकारी के मुताबिक 2 जून 2013 को धामणगांव रेलवे निवासी गणेश धवणे का पुलगांव की एक युवती के साथ विवाह हुआ था. विवाह के 1 साल के भीतर 5 फरवरी 2014 को विवाहिता ने घर में आत्महत्या कर ली. लेकिन मृतक के भाई गणेश धोंडे ने इस बाबत दत्तापुर थाने में शिकायत दर्ज कर आरोप किया कि गणेश धवणे ने शादी में सोने की चेन, अंगूठी और ब्रासलेट न देने से उसकी बहन पर मानसिक व शारीरिक अत्याचार कर उसे आत्महत्या के लिए प्रवृत्त किया. शिकायत के आधार पर दत्तापुर पुलिस ने आरोपी गणेश धवणे के खिलाफ धारा 304 (ब), 498 (अ), 306 के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया था. चार्जशीट अदालत में दखिल होने के बाद इस प्रकरण की सुनवाई जिला व सत्र न्यायालय में शुरु रहते सरकारी वकील ने मृतक के भाई व अन्य रिश्तेदारों के बयान लेकर आरोपी को कडी सजा देने का युक्तिवाद किया. बचाव पक्ष की तरफ से एड. प्रशांत भेलांडे ने युक्तिवाद करते हुए कहा कि जिस दिन विवाहिता ने आत्महत्या की उस दिन वह घर में अकेली थी. विवाह के पूर्व से उस पर मानसिक उपचार शुरु रहने बाबत जानकारी देना उसके परिजनों व्दारा धवणे परिवार को आवश्यक था. लेकिन फिर भी इस बात को गोपनीय रखा गया. निराशा के चलते ही विवाहिता ने आत्महत्या की. न्यायमूर्ति राव ने दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद आरोपी गणेश धवणे को बाइज्जत बरी कर दिया. इस अवसर पर एड. रोहित उपाध्याय, एड. अजय भगत, एड. यश भेलांडे ने सहयोग दिया.