गणेश कुशवाह ने लिखे 1 करोड 69 लाख रामनाम
हनुमानजी को 6011 सुंदरकांड सुनाने का भी संकल्प किया पूर्ण
अमरावती/दि.22- अध्यात्म क्षेत्र में रामनाम का विशेष महत्व हैं. सतयुग में ध्यान से, त्रेतायुग में यज्ञ से और व्दापरयुग में पूजन से भगवान प्रसन्न हुए है. लेकिन कलयुग में हनुमानजी की कृपा पाने के लिए रामनाम जप, सुंंदरकांड पाठ एवं हनुमान चालीसा को पढना आवश्यक है. शहर के मोरबाग मसानगंज निवासी तथा सब्जी व्यवसायी गणेश कुशवाह ने 1 करोड 69 लाख बार रामनाम और हनुमानजी को 6011 सुंदरकांड सुनाने का संकल्प पूर्ण किया है.
गणेश कुशवाह समाजशास्त्र में एमए हैं. सेना में 1972 व 1973 में उनका चयन हुआ था. पश्चात 1980 में उन्हें सरकारी नौकरी भी मिल गई थी. लेकिन मानव जीवन का लक्ष्य भगवत प्राप्ती होता है और वे इसी मार्ग पर चल पडे. बजरंग टेकडी के भक्तों ने जब गणेश कुशवाह को 501 सुंदरकांड सुनाने का आग्रह किया तो उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया. पश्चात निर्मल मन से उन्होंने हनुमानजी को 251 सुंदरकांड सुनाए. उसके बाद रामनाम लिखने लगे. सुंदरकांड के साथ वह 2100 बार रामनाम लिखते जाते है. उनका यह रिकॉर्ड झी न्यूज तथा अमरावती के चैनलों पर प्रसारित हो चुका है. अब तक उन्होंने 6011 सुंदरकांड सुनाने का संकल्प पूर्ण किया है. उन्होंने अब तक 36 हजार 351 पन्नों में 1 करोड 69 लाख राम-राम लिख चुके हैं. जिसे पूर्ण करने में उन्हें 16 वर्ष लगे हैं. अब वे 2 करोड रामनाम लिखने का संकल्प पूर्ण करेंगे. 1993 में उन्होंने एक पोस्टकार्ड पर 1 लाख 1 हजार अक्षर लिखकर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है. इस कार्ड से दूरबीन से देखा जा सकता है.
गणेश कुशवाह ने 12 ज्योर्तिलिंग, चार धाम तथा नेपाल के पशुपतिनाथ की यात्रा पूर्ण की है. अमरनाथ यात्रा भी 10 वर्षो से लगातार पैदल चलकर पूर्ण की है. वैष्णोदेवी भी रामनाम का जप करते हुए 22 बार पैदल चलकर पूर्ण की है. इसी तरह मां के 51 शक्तिपीठों में हिमाचल के 9 शक्तिपीठों के अलावा कन्याकुमारी, मीनाक्षी मंदिर मदुराई, कोल्हापुर की महालक्ष्मी, मां तुलजा भवानी, कोलकाता की काली माता, मैय्यर की शारदा माता, उज्जैन हरसिद्ध, माहुर की रेणुका माता और अष्टविनायक के भी दर्शन किए है. गणेश कुशवाह का कहना है कि वह रिकॉर्ड बनाने का उद्देश्य नहीं रखते.